राजस्थान में अक्टूबर 2025 में हुई आगजनी की घटनाओं ने सबको झकझोर दिया। एसएमएस के आईसीयू, दूदू हाइवे और जैसलमेर-जोधपुर बस हादसों में दर्जनों लोग जिंदा जल गए। ये हादसे सुरक्षा मानकों की चूक को दर्दनाक ढंग से दिखाते हैं।
जयपुर: अक्टूबर 2025 में राजस्थान में आगजनी की घटनाओं ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया। महीने के शुरुआती और मध्य दिनों में तीन बड़े हादसे सामने आए, जिनमें दर्जनों लोगों की जान चली गई और कई गंभीर रूप से घायल हुए।
बता दें कि इन घटनाओं ने न केवल आम लोगों को सदमे में डाल दिया, बल्कि यह भी सवाल खड़ा किया कि क्या सुरक्षा मानकों और आपातकालीन प्रबंधन में पर्याप्त तैयारी है। पांच अक्टूबर को जयपुर के एसएमएस ट्रॉमा सेंटर में आईसीयू में शॉर्ट सर्किट से आग लगने की घटना सामने आई।
उस वार्ड में भर्ती मरीजों और उनके परिजनों की चीखें, अफरा-तफरी और बचाव के प्रयास अब भी लोगों की यादों में ताजा हैं। कई मरीजों को सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया, लेकिन नौ लोग इस आगजनी में जान गंवा बैठे।
वहीं, सात अक्टूबर को दूदू के पास हाइवे पर एलपीजी सिलेंडरों से भरे ट्रक में टैंकर की टक्कर से आग लग गई। जोरदार धमाके और फटते सिलेंडरों की आवाज ने राहगीरों और स्थानीय लोगों को डरा दिया था। वहीं, 14 अक्टूबर को जैसलमेर-जोधपुर हाइवे पर प्राइवेट एसी बस में आग लगने से 20 यात्री जिंदा जल गए, जिनमें छोटे बच्चे भी शामिल थे।
इन घटनाओं ने जीवन की नाजुकता और सुरक्षा के महत्व को दर्दनाक ढंग से याद दिलाया। राज्य सरकार ने हादसों की जांच के आदेश दिए हैं और सुरक्षा मानकों की समीक्षा की प्रक्रिया तेज कर दी है।
पांच अक्टूबर को राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित सवाई मान सिंह (एसएमएस) अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर के आईसीयू वार्ड में आग लग गई। शुरुआती जांच में पता चला कि यह आग शॉर्ट सर्किट के कारण लगी। आग लगने के तुरंत बाद आईसीयू में धुआं फैल गया और मरीजों में अफरा-तफरी मच गई।
इस हादसे में नौ लोगों की मौत हो गई और कई अन्य गंभीर रूप से घायल हुए। मृतकों में पुरुष, महिलाएं और दो बच्चे भी शामिल हैं। आग लगने के बाद अस्पताल प्रशासन ने 24 मरीजों को सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित किया। घटना की गंभीरता को देखते हुए राजस्थान सरकार ने उच्च स्तरीय जांच समिति गठित की है। अधिकारियों का कहना है कि अस्पताल में सुरक्षा मानकों की समीक्षा की जाएगी और भविष्य में ऐसे हादसों से बचने के लिए सुधारात्मक कदम उठाए जाएंगे।
एसएमएस ट्रॉमा सेंटर में हुए आगजनी हादसे के ठीक दो दिन बाद, यानी सात अक्टूबर को जयपुर-अजमेर हाइवे पर दूदू क्षेत्र में एक और भयावह आग हादसा हुआ। एलपीजी सिलेंडरों से भरे एक ट्रक में पीछे से टैंकर घुस गया। इस टक्कर के कारण ट्रक में आग लग गई और सिलेंडर फटने लगे। जोरदार धमाकों के कारण आसपास के इलाके में भय का माहौल बन गया।
इस हादसे में दो लोगों की मौत हुई और कई अन्य घायल हुए। स्थानीय प्रशासन ने तुरंत राहत और बचाव कार्य शुरू किया। प्रशासन ने घटना की जांच शुरू कर दी है और कहा है कि सुरक्षा नियमों का उल्लंघन हुआ या नहीं, यह जांच का विषय है।
14 अक्टूबर को राजस्थान में तीसरा बड़ा आग हादसा सामने आया। जैसलमेर से जोधपुर जा रही एक प्राइवेट एसी स्लीपर बस में थईयात गांव के पास अचानक आग लग गई। बस में 57 यात्री सवार थे। आग लगते ही बस के दरवाजे जाम हो गए और यात्री बाहर नहीं निकल पाए।
इस हादसे में 21 लोगों की मौत हो गई, जिनमें कई बच्चे भी शामिल थे। कई यात्री गंभीर रूप से झुलस गए। शुरुआती जांच में आग लगने का कारण बस के एसी सिस्टम में शॉर्ट सर्किट बताया जा रहा है। मृतकों की पहचान के लिए डीएनए परीक्षण किए जा रहे हैं। राज्य सरकार ने प्रभावित परिवारों को मुआवजे की घोषणा की और मृतकों के परिजनों को तत्काल सहायता उपलब्ध कराई।
इन तीनों घटनाओं ने यह साबित किया कि राज्य में बड़े पैमाने पर आगजनी और दुर्घटनाओं से निपटने के लिए सुरक्षा मानकों और आपातकालीन तैयारियों में सुधार की आवश्यकता है। विशेषज्ञों की माने तो अस्पतालों, परिवहन और औद्योगिक क्षेत्रों में नियमित सुरक्षा निरीक्षण और आधुनिक फायर सेफ्टी उपायों को लागू करना जरूरी है। राजस्थान सरकार ने सभी हादसों की जांच के आदेश दिए हैं और भविष्य में ऐसे हादसों से बचने के लिए ठोस कदम उठाने का आश्वासन दिया है।