Free Medicine Scheme : राजस्थान में फ्री दवा का सच जानें। दवा निर्माण का तरीका दोयम दर्जे का है। मानकों के अनुसार पैकिंग नहीं है। घटिया पैकिंग में सरकारी सप्लाई हो रही है। बच्चों का सिरप कमजोर प्लास्टिक व पिचकी बोतलों की जा रही है।...
Free Medicine Scheme : नि:शुल्क दवा योजना का उद्देश्य हर गरीब तक गुणवत्तापूर्ण दवा पहुंचाना था, लेकिन कुछ दवा निर्माता कंपनियां सरकारी सप्लाई और निजी बाजार के लिए दवाइयों के अलग-अलग बैच तैयार कर रही हैं। सूत्रों के अनुसार, जयपुर के सरना डूंगर स्थित केयसंस फार्मा की सप्लाई के बाद राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन ने सीकर और भरतपुर के सरकारी अस्पतालों में जो दवाएं भेजी, उनके 19 बैचों का निर्माण भी कंपनी ने विशेष तौर पर नि:शुल्क दवा योजना के लिए किया था। सीकर, भरतपुर भेजे गए सैंपल पास होने के बाद सरकार सभी बैच की जांच करा रही है।
पत्रिका की पड़ताल में सरकारी उपयोग वाली बोतलें सस्ती और कमजोर प्लास्टिक से बनी मिली। इतनी हल्की कि हल्का दबाव डालने पर ही मुड़ और चिपक जाती हैं। यह पैकिंग राष्ट्रीय औषधि मानकों के विपरीत है। विशेषज्ञों के अनुसार ऐसी पैकिंग में सिरप या दवा गुणवत्ता जांच में तो पास हो जाती है, लेकिन मरीज को वितरण से पहले घटिया होने का अंदेशा रहता है। कई बार ये एक्सपायरी तारीख से पहले भी सुरक्षित नहीं रह पाती।
बच्चों के श्वांस संबंधी सिरप सैल्बुटामोल की पैकिंग की शीशी पिचकी रहती है। जबकि ऐसे हल्के प्लास्टिक से पैक दवा को सप्लाई नहीं की जा सकती। यह रुड़की की फर्म से सप्लाई होती है। पत्रिका को टेबलेट फार्म में भी कुछ ऐसी दवाइयां मिली जो वितरण और एक्सपायरी तिथि से पहले ही खराब हो चुकी थी।
नि:शुल्क दवा योजना में सप्लाई करने वाली दवा निजी बाजार में भेजी जाने वाली दवा की तुलना में करीब दस गुना सस्ती होती हैं। राजस्थान के सबसे बड़े दवा बाजार फिल्म कॉलोनी के एक दवा कारोबारी का कहना है कि दवा की गुणवत्ता पर तो सवाल नहीं उठाया जा सकता, लेकिन कम कीमत में सप्लाई के कारण कंपनियां निर्माण लागत घटाने की कोशिश करती हैं। जिसमें पैकिंग भी शामिल है तो वह खतरनाक है।