राजस्थान में लाखों लोगों की जीवनदायिनी वृहद पेयजल योजनाएं मंजूर होने के बाद अब जमीनी स्तर पर भूमि अधिग्रहण समेत कई काम शुरू हो गए हैं। अगले एक से डेढ़ साल में प्रदेश के छह से ज्यादा जिलों में पेयजल संकट काफी हद तक कम होने की उम्मीद है।
राजस्थान में लाखों लोगों की जीवनदायिनी वृहद पेयजल योजनाएं मंजूर होने के बाद अब जमीनी स्तर पर भूमि अधिग्रहण समेत कई काम शुरू हो गए हैं। अगले एक से डेढ़ साल में प्रदेश के छह से ज्यादा जिलों में पेयजल संकट काफी हद तक कम होने की उम्मीद है। जयपुर, कोटा, बूंदी, झालावाड़ और बारां जिलों के लाखों लोगों को पर्याप्त शुद्ध पेयजल मिल सकेगा।
हाड़ौती के तीन जिलों के लाखों लोगों की जीवनदायिनी परवन अकावद वृहद पेयजल परियोजना के लिए सरकार ने 3523.16 करोड़ रुपए की राशि जारी की है। परियोजना से सांगोद विधानसभा क्षेत्र के 184 गांव समेत बारां, कोटा एवं झालावाड़ जिले के 1402 गांव और 276 ढाणियों में घर-घर शुद्ध जल उपलब्ध करवाया जा सकेगा। इससे तीनों जिलों के तकरीबन 1,52,427 परिवार लाभान्वित होंगे।
परियोजना में बारां जिले के 907 गांव, कोटा जिले के 184 और झालावाड़ जिले के 311 गांव सम्मिलित किए गए हैं। जिसके तहत 2 पंप हाउस और 2 वाटर फिल्टर प्लांट बनेंगे। इसमें बारां जिले में 100 एमएलडी तथा कोटा व झालावाड़ के लिए सारोला में 40 एमएलडी का संयंत्र स्थापित होगा। इसके अलावा 41 स्वच्छ जलाशय, 276 उच्च जलाशय, 661 किलोमीटर मुख्य ट्रांसमिशन पाइपलाइन का निर्माण होगा। वहीं पीएलसी स्काडा कार्य, डेडीकेटेड विद्युत फीडर एवं जीएसएस का निर्माण भी प्रस्तावित है।
तृतीय पैकेज के अंतर्गत झालावाड़ एवं कोटा जिले के लिए कलस्टर पैकेज के तहत राशि जारी हुई है। इसमें कलस्टर डिस्ट्रीब्यूशन, वितरण पाइपलाइन, उच्च जलाशय, स्वच्छ जलाशय और हर घर जल कनेक्शन शामिल है। सांगोद विधानसभा क्षेत्र में सांगोद एवं कनवास में 38 उच्च जलाशयों का निर्माण प्रस्तावित है। परियोजना के पूर्ण होने की संभावित तिथि 13 अगस्त 2027 मानी गई है।
परियोजना के तहत बारां, कोटा एवं झालावाड़ जिले के 1402 गांव लाभान्वित होंगे। इसमें बारां जिले के 1 लाख 13 हजार 49 तथा कोटा जिले के 23 हजार 753 व झालावाड़ जिले के 15 हजार 635 परिवार लाभान्वित होंगे। इसमें बारां जिले में 28, कोटा जिले में 5 एवं झालावाड़ जिले में 8 स्वच्छ जलाशय बनेंगे। साथ ही, बारां जिले में 184, कोटा जिले में 38 और झालावाड़ जिले में 54 उच्च जलाशय का निर्माण कराया जाएगा।
इसी तरह बारां जिले में 412 किलोमीटर और कोटा व झालावाड़ जिले में 249 किलोमीटर मुख्य ट्रांसमिशन पाइपलाइन डाली जाएगी। ग्रामीण वितरण पाइपलाइन बारां जिले में 6789 किमी तथा कोटा एवं झालावाड़ जिले में 2688 किलोमीटर लाइन डाली जाएगी। इसी तरह, बारां में 28 तथा कोटा व झालावाड़ जिले में 16 पंप हाउस बनेंगे।
नौनेरा वृहद पेयजल परियोजना के माध्यम से कोटा और बूंदी जिले के 749 गांव और 6 कस्बों के 1 लाख 13 हजार 287 परिवारों को हर घर नल से जल मिलेगा। इस परियोजना के लिए सरकार द्वारा 1 हजार 661.14 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए हैं।
परियोजना के अंतर्गत एक इन्टैक पंप हाउस, तीन जल शोधन संयंत्र, 14 स्वच्छ जलाशय और 137 उच्च जलाशय का निर्माण होगा। कोटा और बूंदी जिले के लिए 58.45 किलोमीटर लंबी रॉ वॉटर राइजिंग मेन पाइप लाइन बिछाई जाएगी। साथ ही 4 हजार 506.89 किलोमीटर लंबी राइजिंग मेन, क्लस्टर वितरण और ग्रामीण वितरण पाइप लाइन का बिछाव किया जाएगा। दोनों जिलों में कुल 14 पंप गृह भी स्थापित किए जाएंगे।
इन दोनों बड़े पेयजल परियोजनाओं को अगस्त 2027 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। जल जीवन मिशन के तहत इन परियोजनाओं को मंजूरी मिलने से प्रदेश के चार जिलों में पेयजल समस्या का स्थायी समाधान होगा और सरकार के हर घर नल से जल अभियान को महत्वपूर्ण गति मिलेगी।
जयपुर शहर की लाइफ लाइन बीसलपुर डेम की भराव क्षमता 9 फीसदी तक बढ़ाने की तैयारी शुरू हो गई है। इसके लिए 68 गांवों की करीब 350 हेक्टेयर जमीन डूब क्षेत्र में आएगी। इसमें 25 गांव पूर्ण रूप से और 43 गांव आंशिक रूप से डूब क्षेत्र में आएंगे। काम पूरा होने के बाद जयपुर, अजमेर और टोंक शहरों को अधिक पानी मिल सकेगा। शुरुआती सर्वे रिपोर्ट के अनुसार बांध में वर्तमान क्षमता से 99 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी ज्यादा आ सकेगा। जल संसाधन विभाग ने जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिसे पूरा होने में एक से सवा साल लगेंगे। इसी अवधि में बांध के गेट की ऊंचाई बढ़ाने का काम किया जाएगा। बांध की भराव क्षमता बढ़ने का सबसे ज्यादा फायदा जयपुर, टोंक और अजमेर जिले के लोगों को मिलेगा। यहां ज्यादा पानी आपूर्ति संभव हो सकेगी। इसके अलावा रामजल सेतु लिंक परियोजना से कनेक्ट होने पर दौसा, अलवर जिलों को भी लाभ मिलेगा।
बीसलपुर बांध की विस्तार योजना
क्षमता में बढ़ोतरी- 9 प्रतिशत
अतिरिक्त जल भराव- 99 मिलियन क्यूबिक मीटर
प्रभावित क्षेत्र- 350 हेक्टेयर
परियोजना अवधि- 1 से 1.5 वर्ष
वर्तमान स्थिति- भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया शुरू