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Yamuna Jal Project : केंद्र ने राजस्थान-हरियाणा से तत्काल मांगा टाइम-बाउंड रोडमैप, जानिए क्यों

Yamuna Jal Project : यमुना जल परियोजना पर केंद्र एक्शन मोड में आ गया है। राजस्थान-हरियाणा से तत्काल टाइम-बाउंड रोडमैप मांगा। जानिए क्यों।

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Yamuna Water Project Central Government has immediately demanded a time-bound roadmap from Rajasthan and Haryana find out why.

फाइल फोटो पत्रिका

Yamuna Jal Project : यमुना जल समझौते पर केन्द्र सरकार ने अब राजस्थान और हरियाणा सरकार से काम की विस्तृत कार्ययोजना मांगी है। इसके पीछे मंशा है कि अलाइनमेंट के बाद के काम भी तय समय पर पूरे हों।

बताया जा रहा है कि पिछले दिनों केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री सी.आर.पाटिल के साथ हुई हाईलेवल बैठक के बाद मंत्रालय इस परियोजना को लेकर सक्रिय हो गया है। मंत्रालय चाहता है कि दोनों राज्य तय अलाइनमेंट के अनुरूप कब, क्या और कैसे काम आगे बढ़ाएंगे, इसका स्पष्ट रोडमैप तत्काल भेजें। इसी आधार पर परियोजना की टाइमलाइन तैयार की जाएगी, ताकि काम मौजूदा केंद्र सरकार के कार्यकाल में ही शिलान्यास और निर्माण तक पहुंच सके।

केन्द्र स्तर पर हो सकती है एक कमेटी सक्रिय

संभव है कि केन्द्र स्तर पर एक कमेटी सक्रिय हो, जो समीक्षा करे। परियोजना में 300 किलोमीटर लंबाई में पाइपलाइन बिछाने के लिए अलाइनमेंट सर्वे हुआ है। इसमें 290 किलोमीटर हिस्सा हरियाणा में और 10 किलोमीटर हिस्सा राजस्थान में है।

यह करना है…

1- अंतिम रूप दिए गए अलाइनमेंट के अनुसार निर्माण कार्य के चरण तय होंगे।
2- भूमि अधिग्रहण, डीपीआर अपडेट, फंडिंग पैटर्न और इंटरस्टेट कॉर्डिनेशन से जुड़े बिंदुओं पर स्थिति।
3- कार्य के हर चरण की समय सीमा (टाइम-बाउंड प्लान), जिससे मंत्रालय स्तर पर नियमित मॉनिटरिंग हो सके।

तैयार होगा नेटवर्क

रिजरवॉयर से चूरू, सीकर और झुंझुनूं जिलों के लिए मुख्य वितरण नेटवर्क तैयार होगा। इस परियोजना के तहत लाखों लोगों को पेयजल के साथ-साथ सिंचाई के लिए भी पर्याप्त पानी मिलेगा।

चूरू के अलावा झुंझुनूं जिले की बुहाना तहसील में भी अतिरिक्त स्टोरेज रिजरवॉयर बनाने पर मंथन चल रहा है।

हिमाचल-उत्तराखंड में बन रहे तीन बांध

दोनों राज्यों के बीच हुए एमओयू के तहत 577 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी मिलना तय हुआ है। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में तीन बांध बनाए जा रहे हैं। इनमें यमुना नदी जलग्रहण क्षेत्र में रेणुकाजी (हिमाचल प्रदेश) एवं लखवार बांध (उत्तराखंड) शामिल हैं।

नदी में ज्यादा पानी आने पर बांध में पानी रोका जाएगा और इसी पानी को जरूरत के अनुसार राज्यों में सप्लाई के लिए छोड़ा जाएगा।