जयपुर

Rajasthan : स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेशभर से मांगी विशेषज्ञ डॉक्टरों की जानकारी, समिति का किया गठन, जानें क्यों?

Rajasthan : राजस्थान के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेशभर से फैकल्टी बनने की योग्यता रखने वाले डॉक्टरों की जानकारी मांगी है। स्वास्थ्य विभाग की नंई योजना के तहत विशेषज्ञ डॉक्टरों को मेडिकल कॉलेज की फैकल्टी बनाया जाएगा। पर इधर गांव के छोटे अस्पतालों पर क्या असर होगा, इसका अध्ययन हो रहा है।

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ग्राफिक्स फोटो पत्रिका

Rajasthan : राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) की पिछले दिनों विशेषज्ञ डॉक्टरों को मेडिकल कॉलेजों की फैकल्टी बनाने की नई गाइडलाइन के बाद राज्य के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेशभर से फैकल्टी बनने की योग्यता रखने वाले डॉक्टरों की जानकारी मांगी है। ऐसे राज्य में करीब 3 से 4 हजार चिकित्सक बताए जा रहे हैं। जानकारी के मुताबिक विभाग ने इतने चिकित्सकों के समायोजित होने के बाद छोटे अस्पतालों पर पड़ने वाले असर का आकलन करने और उसकी पूर्व तैयारी के लिए यह प्रक्रिया शुरू की है। इसके लिए सरकार ने राजस्थान चिकित्सा सेवा महाविद्यालय शाखा नियम 1962 में संशोधन के लिए समिति का भी गठन किया है।

गाइडलाइन के मुताबिक पोस्ट ग्रेजुएट चिकित्सा अधिकारी, जूनियर स्पेशलिस्ट, सीनियर स्पेशलिस्ट और प्रिंसिपल स्पेशलिस्ट फैकल्टी के योग्य हैं। ऐसे चिकित्सक राज्य के जिला, उप जिला, सैटेलाइट और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में कार्यरत हैं।

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फैकल्टी की कमी को दूर करने के लिए निकाला यह रास्ता

निचले स्तर पर तैनात जो भी विशेषज्ञ चिकित्सक पात्र होंगे, उन्हें सीधे मेडिकल कॉलेजों में सहायक आचार्य और सह आचार्य के पदों पर समायोजित किया जाएगा। सरकार ने 5 साल में 25 मेडिकल कॉलेज खोले हैं और उनमें फैकल्टी की कमी को दूर करने के लिए यह रास्ता निकाला है।

मेडिकल टीचर, सेवारत फिर आमने-सामने

राजस्थान मेडिकल कॉलेज टीचर्स एसोसिएसन जयपुर की ओर से कहा गया कि यह कदम चिकित्सा शिक्षा और चिकित्सक शिक्षक दोनों के ही हित में नहीं है। एसोसिएशन ने समिति भंग करने की मांग करते हुए आंदोलन की चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि इससे ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित होंगी।

वहीं अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ के अध्यक्ष डॉ.अजय चौधरी ने बयान जारी कर कहा कि मेडिकल टीचर राज्य की चिकित्सा शिक्षा और चिकित्सा सेवा में हो रही मजबूती का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने एसएमएस मेडिकल कॉलेज सहित जोन स्तर पर पूर्व से स्थापित मेडिकल कॉलेज में चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने और रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए एम्स की तर्ज पर रेफरल सेंट घोषित करते हुए इनमें कार्यरत चिकित्सा शिक्षकों के लिए एनपीए अनिवार्य करने की मांग की है।

बैकअप प्लान तैयार करना होगा

एनएमसी की गाइडलाइन में दी गई योग्यता अनुसार पूरे राज्य से आंकड़ा जुटा रहे हैं। हमें पहले से यह देखना जरूरी है कि स्वास्थ्य विभाग के कितने विशेषज्ञ डॉक्टर मेडिकल कॉलेजों में चले जाएंगे। गांवों के अस्पतालों के लिए भी बैकअप प्लान तैयार करना होगा।
डॉ.रविप्रकाश शर्मा, निदेशक, जनस्वास्थ्य, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग

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Published on:
02 Sept 2025 02:11 pm
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