7 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

राजस्थान में विशेषज्ञ चिकित्सकों की भारी कमी, पढ़ें ग्राउंड रिपोर्ट, हकीकत से करेगी रूबरू

Rajasthan News : केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी हेल्थ डायनामिक्स ऑफ इंडिया (इंफ्रास्ट्रक्चर एंड हयूमन रिसोर्स) की रिपोर्ट में राजस्थान में विशेषज्ञ चिकित्सकों की भारी कमी बतायी गई है। पढ़ें ग्राउंड रिपोर्ट, हकीकत से करेगी रूबरू।

2 min read
Google source verification
Rajasthan specialist doctors huge shortage read ground report you will get to know reality

ग्राफिक्स फोटो पत्रिका

विकास जैन
Rajasthan News :
राजस्थान में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के दावों और मेडिकल कॉलेजों की संख्या दोगुनी होने के बावजूद प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों (पीएचसी) और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों (सीएचसी) की सेहत ठीक नहीं है। शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों की हालात अधिक खराब है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी हेल्थ डायनामिक्स ऑफ इंडिया (इंफ्रास्ट्रक्चर एंड हयूमन रिसोर्स) की रिपोर्ट में प्रदेश में विशेषज्ञ चिकित्सकों की भारी कमी बतायी गई है।

प्रदेश के ग्रामीण सीएचसी में सर्जन के 549, स्त्री रोग विशेषज्ञ के 519, फिजिशियन के 498, शिशु रोग विशेषज्ञ के 524 सहित कुल विशेषज्ञ डॉक्टरों के 2000 से भी अधिक पद रिक्त है। यह हालात तो तब हैं जबकि राज्य में आरजीएचएस, निरोगी राजस्थान, मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य योजना सहित कई अन्य योजनाएं संचालित हैं।

विशेषज्ञ चिकित्सकों के 500 से अधिक पद रिक्त

प्रदेश में ग्रामीण क्षेत्रों की सीएचसी के अलावा उप जिला अस्पताल और जिला अस्पताल पर भी विशेषज्ञ चिकित्सकों के 500 से अधिक पद रिक्त हैं। राज्य सरकार की ओर से विशेषज्ञ चिकित्सकों की सीधी भर्ती सिर्फ मेडिकल कॉलेज स्तर पर ही की जा रही है। जबकि उक्त आंकड़ों में ग्रामीण क्षेत्रों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की भारी कमी है। हाल ही में करीब 1200 चिकित्सा अधिकारियों की भर्ती प्रक्रिया अभी चल रही है, लेकिन उसमें विशेषज्ञ चिकित्सकों के लिए कोई प्रावधान नहीं है। प्रदेश में मेडिकल कॉलेज की संख्या में दोगुना इजाफा, एमबीबीएस सीटों सहित एमडी, एमएस सीटों में भी वृद्धि के बाद भी ग्रामीण जगत में विशेषज्ञ चिकित्सकों की अनुपलब्धता है।

राजस्थान को ये बड़े नुकसान…

1- हर छोटी-छोटी बीमारी या हर छोटी सर्जरी के लिए ग्रामीण मरीजों को शहरों के अस्पतालों में रैफर करना पड़ रहा है।
2- शिशु और मातृ मृत्यु दर में सुधार तो है, लेकिन राजस्थान तेजी से अग्रणीराज्यों में शुमार नहीं हो पा रहा।

नियुक्ति की उचित प्रक्रिया ही नहीं

राज्य में चिकित्सा अधिकारी और सहायक आचार्य (असिस्टेंट प्रोफेसर) के रूप में दो पद ही सीधे नियुक्ति के पद हैं। सहायक आचार्य का पद मेडिकल कॉलेज और चिकित्सा अधिकारी का पद उप जिला, जिला अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मे भरा जाता है। जानकारों के मुताबिक जब तक इन निचले स्तर के अस्पतालों में राज्य सरकार अपने नियम बदलकर सीधे विशेषज्ञ चिकित्सकों भर्ती नहीं करेगी, तब तक राज्य की सभी योजनाओ का लाभ तथा विशेषज्ञों का लाभ प्रदेश की जनता को नहीं मिलेगा।

डाक्टर-जनसंख्या अनुपात

राज्य में डाक्टर जनसंख्या अनुपात 1:1670। इस मतलब है कि राज्य में हर 1670 पर लोगों पर एक डाक्टर है। अनुपात डब्ल्यूएचओ की 1:1000 की सिफारिश से कम है।

कैसे बनेगा मेडिकल टूरिज्म हब?

सरकार राज्य को मेडिकल टूरिज्म हब बनाने के साथ ही जयपुर में एम्स की तर्ज पर रिम्स बनाने के लिए कार्य कर रही है। वहीं सामान्य सर्जरियों के लिए भी मरीजों को एसएमएस आना पड़ रहा है।