World Tourism Day: रेत के बीच फूस की झोपड़ी में ठहरने का अलग ही आनंद है। इन झोपड़ियों में देशी से लेकर विदेशी मेहमान पहुंचते हैं, जहां मिट्टी के चूल्हे पर बनी बाजरे की रोटी और साग का अलग ही स्वाद आता है। इन सबके बीच कालबेलिया नृत्य का क्या ही कहना।
World Tourism Day: पर्यटन के मामले में भारत के अंदर किसी राज्य की चर्चा सबसे ज्यादा होती है, तो वह राजस्थान है। यहां की धरती अपने स्वर्णिम रेगिस्तान, अनूठी संस्कृति और लोकजीवन के कारण देश ही नहीं, पूरी दुनिया के पर्यटकों को आकर्षित करती है।
जैसलमेर की सुनहरी रेत और वहां की डेजर्ट सफारी दुनिया भर में मशहूर है। जब ऊंट की पीठ पर बैठकर पर्यटक थार मरुस्थल की सुनहरी लहरों को पार करते हैं, तो उन्हें अनोखा रोमांच महसूस होता है।
रात में तारों भरे आकाश के नीचे लोकगीतों और कालबेलिया नृत्य की धुनों के साथ डेजर्ट कैंपिंग का अनुभव यात्रियों की जिंदगी भर की याद बन जाता है। जैसलमेर के आसपास बसे छोटे-छोटे गांवों की मेहमाननवाजी भी पर्यटकों में गहरी छाप छोड़ती है।
राजस्थान के अंदर अब धीरे-धीरे पर्यटन देश की सीमा तक पहुंच गया है। जैसलमेर के दूरस्थ गावों में युवा पीढ़ी ग्रामीण पर्यटन का कीर्तिमान गढ़ रही है। रेत के बीच फूस की झोपड़ी में ठहरने का अलग ही आनंद है। इन झोपड़ियों में देशी से लेकर विदेशी मेहमान पहुंचते हैं, जहां मिट्टी के चूल्हे पर बनी बाजरे की रोटी और साग का अलग ही स्वाद आता है।
विदेशी सैलानी भी रेत के बीच बनी झोपड़ियों में ठहरकर सुकून का अनुभव करते हैं। सुबह उठते ही सीधा सूर्य की रोशनी और छांव में बैठकर चाय का आनंद। धीरे-धीरे राजस्थान का पर्यटन अब शहरों से हटकर गावों की तरफ शिफ्ट हो रहा है। रेत के बीच ठहरने का आनंद ही अलग है।
इसके साथ ही पुष्कर का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी किसी से छिपा नहीं है। ब्रह्मा मंदिर और हर साल होने वाला पुष्कर मेला दुनियाभर के लोगों को आकर्षित करता है। यहां ऊंटों का मेला, रंग-बिरंगे कपड़े, लोकनृत्य और संगीत पर्यटकों को राजस्थान की असली आत्मा से रूबरू कराते हैं।
शेखावाटी क्षेत्र अपनी भित्तिचित्र कला और हवेलियों के लिए अंतरराष्ट्रीय पहचान रखता है। नवलगढ़, मंडावा और झुंझुनूं की हवेलियां अपनी दीवारों पर उकेरे गए चित्रों के जरिए राजपूताना इतिहास और संस्कृति की कहानियां सुनाती हैं। यही कारण है कि शेखावाटी को 'ओपन आर्ट गैलरी' कहा जाता है। यहां आने वाला हर सैलानी इस कला से मंत्रमुग्ध हो जाता है।
राजस्थान के किले और महल भी पर्यटन का बड़ा आकर्षण हैं। चाहे जयपुर का आमेर किला हो या उदयपुर की झीलों के किनारे बसा सिटी पैलेस, हर स्मारक अपनी अलग कहानी कहता है। यही विविधता राजस्थान को विश्व पर्यटन मानचित्र पर विशेष पहचान दिलाती है।
विश्व पर्यटन दिवस पर जब सतत पर्यटन और स्थानीय संस्कृति को संरक्षित रखने की बात होती है, तो राजस्थान इसका सटीक उदाहरण बनकर सामने आता है। यहां के गांवों में होम-स्टे, लोक कलाकारों की भागीदारी और ग्रामीण पर्यटन के नए मॉडल न केवल रोजगार बढ़ा रहे हैं, बल्कि दुनिया को राजस्थान की असली धरोहर से जोड़ भी रहे हैं।