Free Abroad Education Scheme in Rajasthan: सत्र 2024-25 में 365 छात्रों को देश-विदेश के उच्च शिक्षण संस्थानों में नि:शुुल्क शिक्षा के लिए चयनित किया गया।
विजय शर्मा
Rajasthan Vivekananda scholarship for academic excellence: जयपुर। स्वामी विवेकानंद स्कॉलरशिप फॉर एकेडमिक एक्सीलेंस योजना में सरकार ने बदलाव कर विदेश के साथ देश की उच्च शिक्षण संस्थानों में नि:शुल्क शिक्षा के द्वार खोल दिए। लेकिन छात्रों का रुझान देश में कम और विदेश शिक्षा में ज्यादा नजर आ रहा है।
हाल ही उच्च शिक्षा विभाग की ओर से योजना में चयनित छात्रों से जुड़े आंकड़े जारी किए गए। इसमें सत्र 2024-25 में 365 छात्रों को देश-विदेश के उच्च शिक्षण संस्थानों में नि:शुुल्क शिक्षा के लिए चयनित किया गया। इनमें से 308 छात्र तो विदेश के लिए चयनित किए और 57 छात्रों का देश के उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए चयन किया गया। अब भी 143 सीटें देश के उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए खाली हैं। आवेदन नहीं आने से अब कॉलेज आयुक्तालय ने सरकार की अनुमति से फिर से पेार्टल खोला है। अब 31 मार्च तक पुन: आवेदन मांगे गए हैं।
दरअसल, पिछली कांग्रेस सरकार ने राजीव गांधी स्कॉलरशिप फॉर एकेडमिक एक्सीलेंस के नाम से योजना की शुरुआत की थी। लेकिन भाजपा सरकार ने आने के बाद योजना का नाम बदल दिया। इतना ही नहीं, 500 विद्यार्थियों की जगह विदेश शिक्षा का दायरा घटाकर 300 कर दिया। 200 छात्रों को देश के ही नामी संस्थानों मेें नि:शुल्क पढ़ाने का निर्णय लिया। लेकिन इन 200 सीटों के लिए भी आवेदन नहीं आ रहे हैं।
विदेश शिक्षा के लिए छात्र आवेदन के समय झूठी जानकारी भी दे रहे हैं। आवेदन के साथ रिकॉर्ड टू रिपोर्ट (आरटीआर) और सालाना आय की जानकारी देनी होती है। पॉलिसी के तहत ई-1 कैटेगरी के छात्रों को पहले प्राथमिकता दी जाती है। इसके बाद ई-2, ई-3 कैटेगरी के छात्रों को वरीयता दी जाती है। ऐसे में छात्र ई-1 कैटेगरी में आने के लिए आवेदन में झूठी जानकारी दे रहे हैं। लेकिन विभाग की ओर से आवेदनों की जांच सीए से कराई जा रही है। इसमें छात्रों का झूठ सामने आ रहा है।
विदेश में पढ़ाई की धारणा भी है और विदेशी शिक्षण संस्थानों की ओर हमारे युवाओं में आकर्षण भी बढ़ रहा है। विदेशों में शिक्षा की गुणवत्ता हमारे यहां से बेहतर मानी जाती है। इससे साफ जाहिर होता है कि युवाओं का देश की शिक्षण व्यवस्था पर विश्वास नहीं है।
सरकार वित्तीय सहायता के साथ विदेश में शिक्षा का मौका दे रही है तो युवा विदेशी शिक्षण संस्थानों को प्राथमिकता देंगे। इसके लिए सरकार को प्रयास करने होंगे। हमारे यहां उच्च शिक्षण संस्थानों की गुणवत्ता को सुधारना होगा।
-डॉ. देव स्वरूप, कुलपति, बाबा आमटे दिव्यांग विश्वविद्यालय, पूर्व कुलपति राजस्थान विश्वविद्यालय एवं पूर्व एडिशनल सेक्रेटरी यूजीसी