राजधानी जयपुर स्थित राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान में दुनिया का पहला एक्सीलेंस सेंटर बनेगा। जहां 9.32 करोड़ की परियोजना के तहत औषधीय पौधों की डीएनए बारकोडिंग, जीनोम सीक्वेंसिंग और गुणवत्ता परीक्षण से बड़ा डेटा बैंक तैयार किया जाएगा।
जयपुर: अब आयुर्वेदिक औषधियों की असलियत और उनकी गुणवत्ता पर कोई संदेह नहीं रहेगा। इसके लिए कच्ची औषधियों के मूल स्रोत से सैंपल और देश भर के बाजार से मिलने वाले सैंपल जुटाकर उनकी जांच की जाएगी।
इतना ही नहीं, जीनोम सीक्वेंसिंग और डीएनए बारकोडिंग से औषधीय पौधों की असल पहचान और गुणों का एक बड़ा डेटा बेस भी तैयार किया जाएगा। यह देश में पहली बार होगा।
आयुष मंत्रालय ने इस प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी जयपुर स्थित राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान को सौंपी है। संस्थान के द्रव्यगुण विभाग को इसके लिए एक्सीलेंस सेंटर का दर्जा दिया गया है।
यह केवल भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया का पहला ऐसा एक्सीलेंस सेंटर होगा, जहां औषधीय पौधों के क्षेत्र में अनुसंधान, शैक्षणिक विकास और गुणवत्ता मानकों की स्थापना होगी। प्रोजेक्ट के लिए आयुष मंत्रालय ने प्रथम चरण में तीन वर्ष के लिए 9.32 करोड़ रुपए का बजट मंजूर किया है।
द्रव्यगुण विभाग की लैब में परीक्षण के लिए अत्याधुनिक तकनीक और नई मशीनें लगाई जाएंगी। तीन वर्ष की अवधि में संस्थान 80 औषधीय पौधों के प्रामाणिक नमूने और बाजार से खरीदे गए सैंपलों का परीक्षण करेगा। इससे यह स्पष्ट होगा कि बाजार में बिकने वाला आयुर्वेदिक कच्चा माल वास्तव में कितना शुद्ध और असरदार है।
यह प्रोजेक्ट औषधीय पौधों की पहचान और गुणवत्ता मानकों को तय करने में बड़ी भूमिका निभाएगा। मार्च तक सेंटर पूरी तरह तैयार हो जाएगा, हालांकि शुरुआती स्तर पर काम शुरू हो चुका है।
विशेषज्ञों के अनुसार, इस प्रोजेक्ट से तैयार डेटा बैंक और पहचान फीचर्स से घटिया दवाओं पर रोक लगेगी।उपभोक्ताओं तक केवल सत्यापित और गुणवत्तापूर्ण दवाएं पहुंचेंगी, जिससे लोग मिलावटी दवाओं के दुष्प्रभाव से बचेंगे।
देशभर से सैंपल जुटाए जाएंगे, उनकी जांच होगी और जीनोम सीक्वेंसिंग व डेटा बैंक तैयार किया जाएगा।
-प्रो. सुदीप्त कुमार रथ, विभागाध्यक्ष, द्रव्यगुण विभाग