जयपुर

RSS 100 Years : विजयादशमी पर संघ के 100 साल होंगे पूरे, जयपुर में कब शुरू हुई थी शाखा, बेहद रोचक है ये जानकारी

RSS 100 Years : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के विजयादशमी पर 100 साल पूरे होंगे। जयपुर में संघ की पहली शाखा कब और कहां शुरू हुई। जानें पूरा इतिहास।

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फोटो सोर्स - एआइ

RSS 100 Years : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के विजयादशमी पर 100 साल पूरे होंगे। जयपुर में संघ की पहली शाखा वर्ष 1942 में शुरू हुई थी। अजमेर से यहां आकर विश्वनाथ लिमिए ने चांदी की टकसाल, हनुमान मंदिर के पीछे पहली शाखा की शुरुआत की थी। इसके बाद महावीर पार्क व पुरानी बस्ती में शाखा लगने लगी, धीरे-धीरे शहर की सभी चौकड़ियों में शाखा शुरू हुई। अब जयपुर महानगर में 658 शाखाएं लग रही हैं। इनमें रोजाना सुबह 392 व्यवसायी शाखा और शाम को 266 शाखा विद्यार्थियों की लग रही है।

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जयपुर महानगर 4 भागों में बंटा हुआ

जयपुर महानगर 4 भागों में बंटा हुआ है, जिसमें 29 नगर हैं। ये 29 नगर भी 291 बस्तियों (10 हजार की आबादी पर एक बस्ती) में बंटे हैं। इनमें 658 शाखाएं लग रही हैं। पार्क व मैदानों में लगने वाली शाखाओं में स्वयंसेवक जीवन में राष्ट्र प्रथम का भाव जागृत कर रहे हैं।

सुबह तरुण व्यवसायी व शाम को लगती है प्रौढ़ शाखा

जयपुर शहर में सुबह व्यवसायी शाखा लग रही है। इसे 2 श्रेणी में बांटा है, पहली शाखा तरुण व्यवसायी शाखा है, जिसमें 40 साल तक के स्वयंसेवक आते हैं। ये शहर में 215 शाखाएं हैं। दूसरी श्रेणी में प्रौढ़ शाखा आती है, जिसमें 40 साल से अधिक उम्र के स्वयंसेवक आते है, ये 177 शाखाएं हैं।

विद्यार्थी शाखा 3 श्रेणियों में बांटा

शाम को विद्यार्थी शाखा लग रही है। इसे 3 श्रेणियों में बांटा है। इसमें बाल शाखा, तरुण शाखा व संयु€त विद्यार्थी शाखा शामिल है। 10 बाल शाखा, 58 तरुण शाखा और 198 संयु€क्त विद्यार्थी शाखा हैं।

जयपुर प्रांत में चल रहे 958 सेवा कार्य

संघ के सेवा विभाग व सेवा भारती की ओर से जयपुर प्रांत में 958 सेवा कार्य चल रहे हैं। वहीं, राजस्थान को जयपुर, जोधपुर व चित्तौड़गढ़ में बंटा है।

जयपुर प्रांत में क्षेत्र व संचालित सेवा कार्य

शिक्षा 463
स्वास्थ्य 72
स्वावलंबन 135
सामाजिक 288

7 तरह की गतिविधियों से कर रहे जागरूक

कुटुंब प्रबोधन : परिवारों को सामूहिक रूप से रहने के लिए जागरूक कर रहे हैं। साथ में भोजन, भजन जैसी गतिविधियां आयोजित करते हैं।
पर्यावरण : पर्यावरण को बढ़ावा देने के लिए पेड़ लगाने, सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग घटाने तथा पानी
बचाने जैसे जागरूकता कार्यक्रम।
सामाजिक समरसता : व्यवहार में भेदभाव मिटाने के साथ महापुरुषों की जानकारी दी जाती है।
गो सेवा : गाय के प्रति लोगों में श्रद्धा जागृत करना व गोवंश को बढ़ावा देना प्रमुख है, साथ ही गो उत्पादों के महत्व को भी बढ़ावा दिया जाता है।
धर्म जागरण : धर्म के प्रति लोगों में भाव जागृत किया जाता है।
बस्ती विकास : बस्ती के विकास के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
घुमंतू कार्य : राजस्थान में घुमंतू जातियों के विकास व उन्नयन के लिए विभिन्न कार्य किए जाते हैं।

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Published on:
01 Oct 2025 08:49 am
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