SMS Hospital Fire: राजधानी जयपुर के एसएमएस अस्पताल के ट्रोमा सेंटर में रविवार देर रात भीषण आग लगने से अफरा-तफरी मच गई। धुआं आईसीयू तक पहुंचने से मरीजों का दम घुटा, आठ लोगों की मौत हो गई।
SMS Hospital Fire: जयपुर: सवाई मानसिंह अस्पताल के सामने ट्रोमा सेंटर में रविवार देर रात आग लगने के बाद पूरे ट्रोमा सेंटर में कोहराम मच गया। आग लगने की घटना के समय प्रदेश के सबसे बड़े ट्रोमा सेंटर में करीब 250 गंभीर मरीज और दुर्घटनाओं के घायलों सहित इतने ही परिजन मौजूद थे।
बता दें कि आग इतनी भीषण थी कि धुआं इमरजेंसी ऑपरेशन थिएटर तक भी पहुंच गया। इस कारण इमरजेंसी ऑपरेशन बंद करने पड़े। देर तक इस सेंटर में पहुंच रहे घायलों को भी तत्काल इलाज नहीं मिल पाया। सेंटर के अंदर और बाहर के हालात देखकर कुछ परिजन अपने मरीज को वापस ले गए। जो वहीं ठहरे उनकी भी जान पर बन आई।
सवाई माधोपुर जिले से आए एक मरीज दिगंबर के परिजनों ने बताया कि उनके मरीज ने सड़क पर ही दम तोड़ दिया। इसके बाद भी पुलिस जबरन उसे अस्पताल में ले गई। इस दौरान परिजन विलाप करते रहे। आईसीयू में बने स्टोर में लगी थी आग। धुआं आईसीयू में भरने से मरीजों का दम घुटने लगा। स्टोर के गेट पर ताला था। खिड़की तोड़नी पड़ी, फिर काबू पाया जा सका।
मृतकों में पिंटू (सीकर), बहादुर व दिलीप (जयपुर), श्रीनाथ, रुक्मिणी तथा कुसुमा (सभी भरतपुर) शामिल हैं।
घटना की गंभीरता को देखकर पुलिस ने एसएमएस अस्पताल की ओर जाने वाले टोंक रोड के प्रमुख रास्तों को एहतियातन बंद कर दिया। इस दौरान अस्पताल के बाहर भारी भीड़ जमा हो गई। घटना के बाद रेस्क्यू टीमों और मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने 11 मरीजों को आईसीयू से सुरक्षित बाहर निकालने का दावा किया है।
आईसीयू में आग लगने के बाद अस्पताल के सेमी आईसीयू से भी मरीजों को दूसरे वार्ड और एसएमएस के मुख्य भवन में शिफ्ट किया गया। इसके अलावा 15 गंभीर मरीज भी मुख्य भवन में शिफ्ट किए गए। ट्रोमा के घायलों को भी तत्काल आईसीयू के बेड नहीं दिए जा सके और उन्हें सामान्य वार्ड में ही रखना पड़ा। आईसीयू से बाहर लाए गए मरीजों को भी वार्ड में ही रखा गया।
भरतपुर से इलाज के लिए आई कुसुमा को ट्रोमा सेंटर के आईसीयू के बेड नंबर चार पर भर्ती किया गया था। घटना के समय उसके परिजन बाहर खाना खाने गए थे। आग लगने की सूचना पर भागते हुए आईसीयू के बाहर पहुंचे, लेकिन अंदर नहीं जा सके। रात करीब दो बजे तक परिजनों को कुसुमा नहीं मिली। परिजन देर रात सड़क पर रोते-बिलखते रहे।
आग लगने के बाद मरीज को ट्रोमा से बाहर लाए। मरीज की ऑक्सीजन हटाते ही उसने दम तोड़ दिया। यह देख उसका परिजन बिलख पड़ा और सड़क पर ही चीखते-चिल्लाते लेट गया।
सांगानेर, कपूरवाला निवासी बहादुर सिंह (40) को भी 1 अक्टूबर को ट्रोमा सेंटर में भर्ती कराया गया था। भाई राजकुमार ने आरोप लगाया कि घटना के बाद से भाई का पता नहीं लग पाया। न ही उसकी कोई जानकारी मिली। काफी देर तक भटकने के बाद भी भाई के बारे में कुछ जानकारी नहीं मिली।
ट्रोमा सेंटर के बगल वाली बिल्डिंग सुपर स्पेशलिटी के फायर फाइटिंग सिस्टम की मदद से आग पर काबू पाने का प्रयास किया गया। सुपर स्पेशलिटी अस्पताल का स्टाफ भी आग बुझाने में जुट गया। इस कारण दस जनों की तबीयत बिगड़ गई। इन सभी को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।