Invasion of Privacy: जयपुर सोचिए आपको अचानक किसी अनजान नंबर से कॉल आए और कहा जाए… हमें पता चला है आपको डायबिटीज है आइए हमारे अपताल में बेहतरीन डॉक्टर है। सुनते ही आप सकते में जाते है कि आखिर हमारी बीमारी कर राज अस्पताल तक कैसे पहुंचा? यही हो रहा है राजधानी जयपुर में। निजी […]
Invasion of Privacy: जयपुर सोचिए आपको अचानक किसी अनजान नंबर से कॉल आए और कहा जाए… हमें पता चला है आपको डायबिटीज है आइए हमारे अपताल में बेहतरीन डॉक्टर है। सुनते ही आप सकते में जाते है कि आखिर हमारी बीमारी कर राज अस्पताल तक कैसे पहुंचा? यही हो रहा है राजधानी जयपुर में। निजी अस्पताल मरीजों को रिझाने के लिए नया पैतरा अपना रहे है। फोन कॉल पर भेजे जा के ऑफर से यह साफ है कि मरीजों की निजी जानकारी, उनकी जांच और दवा खरीद का ब्यौरा कुछ अस्पतालों तक पहुंच रहा है।
बड़े हेल्थ ग्रुप्स के अस्पताल भी इसमें पीछे नहीं हैं। मरीजों का कहना है कि बाजार से दवा लेने और लैब में टेस्ट कराने के समय मोबाइल नंबर और बीमारी की डिटेल डेटा बेस में दर्ज हो जाती है। यही जानकारी किसी न किसी चैनल से अस्पतालों तक पहुंच रही है। बाद में मरीजों को फोन कर डॉक्टर से अपॉइंटमेंट बुक करने का ऑफर दिया जाता है।
जौहरी बाजार निवासी महिला ने बताया कि उन्हें दो बार कॉल आया। जिसमें कहा, आप डायबिटीज का इलाज करवाइए। फोन करने वालों ने खुद को बड़े अस्पताल समूह से जुड़ा होना बताया। उन्होंने एक महिला सहित को डॉक्टरों के नाम भी बोटिंग की। परिचितों के जरिए उन डॉक्टर्स के बारे में पूछा तो वे विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं थे। टोंक रोड निवासी मितुल ने कि उनके पास भी पिता की बीमारी के लिए ऐसा कर आया। इस तरह के फोन से डर लगा कि कहीं यह फ्रॉड तो नहीं है।
डॉक्टरों की अपॉइंटमेंट फिक्स कराने की कोशिश कर रहे हैं। अपॉइंटमेंट फ्री होने से मरीज को लगता है कि यह विशेष सुविधा है… जबकि असल में यह मार्केटिंग का तरीका है।
विधि विशेषज्ञों का कहना है कि मरीजों की व्यक्गित मेडिकल जानकारी का लीक होना सिर्फ गोपनीयता का उल्लंघन ही नहीं, यह सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धाराओं का भी उल्लंघन हो सकता हैं यह स्पष्ट रूप से अवैध सूचना भंडारण और प्रसार की श्रेणी में आता है। अस्पतालों और डाटा प्रोसेसिंग एजेंसियों के लिए यह अनिवार्य होना चाहिए कि वे सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत उचित सुरक्षा मानक का पालन करें। अगर इस प्रक्रिेया में डेटा उल्लंघन पाए जाते हैं तो उपभोक्ता कोर्ट या अन्य न्यायालय का सहारा लिया जा सकता हैं