विश्व पर्यावरण दिवस विशेष : हरे-भरे इलाकों के लोगों का बदल रहा व्यवहार - ऐसे क्षेत्रों में चारी व अन्य अपरोधों की दर भी कम देखी गई - ग्रीनरी सुकून के साथ मन और दिमाग भी कर रही पॉजिटिव
अरुण कुमार
जयपुर. देश-दुनिया के कई अध्ययनों का कहना है कि हरियाली न केवल सुकून देती है, बल्कि अपराध दर को कम भी करती है। इससे घर-परिवार और पति-पत्नी के झगड़ों में कमी भी देखी गई है। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई), नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित 2024 की रिपोर्ट- ग्रीन स्पेस एंड अर्बन सेफ्टी में दिल्ली और मुंबई के हरियाली वाले क्षेत्रों में अपराध दर में 3-5 फीसदी की कमी दर्ज की गई। रिपोर्ट में लोधी गार्डन और संजय गांधी नेशनल पार्क जैसे क्षेत्रों का उल्लेख प्रमुखता से किया गया है।
इसी प्रकार इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (आईआईएससी), बेंगलुरु के 2019 के एक अध्ययन- अर्बन ग्रीन स्पेस एंड सोशल वेलबीइंग में बेंगलुरू के कब्बन पार्क और लालबाग जैसे हरे क्षेत्रों के आसपास अपराध दर का विश्लेषण किया गया, जिसमें हिंसक अपराध 5-8 फीसदी कम पाए गए। इस तरह हरा-भरा भारत न केवल सुंदर, बल्कि सुरक्षित भी हो सकता है।
हरियाली और अपराध का उलटा रिश्ता
यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो के अध्ययन- ग्रीन स्पेस एंड क्राइम और येल यूनिवर्सिटी के अध्ययन- अर्बन ग्रीनिंग एंड क्राइम रिडक्शन में पाया गया कि हरे-भरे पार्कों और वृक्षों वाले क्षेत्रों में हिंसक अपराध, जैसे हत्या और डकैती 7-10 फीसदी कम होते हैं। शिकागो के 100 से अधिक मोहल्लों के विश्लेषण में संपत्ति संबंधी अपराध 4-6 फीसदी कम दर्ज हुए।
शहरी नियोजन में हरियाली जरूरी
शोधकर्ताओं का मानना है कि शहरी नियोजन में हरियाली को प्राथमिकता देना अपराध रोकथाम का एक प्रभावी उपाय है। पेड़ लगाने और पार्क विकसित करने से न केवल पर्यावरण सुरक्षित होगा, बल्कि सामाजिक समरसता बढ़ती है और पारिवारिक विवाद भी कम होते हैं।
जहां ग्रीनरी ज्यादा वहां अपराध कम
राज्य/संघ राज्य हरियाली (फीसदी) अपराध/लाख व्यक्ति
नागालैंड 75.3 103.2
सिक्किम 47.1 139.6
मिजोरम 85.4 174.6
उत्तराखंड 45.4 247.5
हिमाचल प्रदेश 27.7 191.2
स्रोत : आईएसएफआर और एनसीआरबी
जहां कम ग्रीनरी वहां बढ़े अपराध
राज्य/संघ राज्य हरियाली (फीसदी) अपराध/लाख व्यक्ति
हरियाणा 3.6 496
पंजाब 3.7 374
राजस्थान 4.9 470
उत्तर प्रदेश 6.1 467
गुजरात 7.6 738
दिल्ली 13.1 1832
भारत* 21.7 422
स्रोत : आईएसएफआर और एनसीआरबी