जयपुर

Jaipur Accident: गले में फंसी रस्सी, सांस भी न ले सका… शिव कथा स्थल पर एक लापरवाही ने छीन ली युवक की जान

Jaipur Accident: विद्याधर नगर में पं. प्रदीप मिश्रा की शिव कथा संपन्न हो चुकी थी। श्रद्धालुओं की भीड़ लौट चुकी थी। मंच खाली था, पर सड़कों पर एक लापरवाही अब भी बसी हुई थी, वही लापरवाही...

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May 12, 2025

Jaipur News: जयपुर शहर में धर्म और भक्ति का वातावरण था। विद्याधर नगर में पं. प्रदीप मिश्रा की शिव कथा संपन्न हो चुकी थी। श्रद्धालुओं की भीड़ लौट चुकी थी। मंच खाली था, पर सड़कों पर एक लापरवाही अब भी बसी हुई थी, वही लापरवाही जो एक मेहनतकश मजदूर की गर्दन लपेट गई।

दिनेश, अपने परिवार के सपनों को रंगता था, अपनी रोज की मेहनत में व्यस्त था। उसे नहीं पता था कि जिस सड़क से वह काम के लिए निकला है, वहां भक्ति के नाम पर अव्यवस्था मौत बनकर उसका इंतजार कर रही है। पंडाल बांधने के लिए सड़क पर बंधी रस्सी अब खुली थी, लेकिन उसकी जगह पक्की थी, दिनेश की गर्दन पर। वह पल कुछ सेकंड का था, पर असर ऐसा कि अब उसकी पत्नी, बच्चे और परिवार उम्रभर उस पल को रोते रहेंगे।

विद्याधर नगर स्टेडियम के पास 8 मई की दोपहर पेंटिंग का काम करने वाला दिनेश (40) अपने साढ़ू विवेक के साथ बाइक पर था। दोनों काम के सिलसिले में सेक्टर-6 जा रहे थे। स्टेडियम के पास अचानक सड़क पर बंधी रस्सी सीधे दिनेश की गर्दन में फंस गई। वह संभल नहीं पाया और बाइक से गिर पड़ा। गर्दन पर गहरी चोट लगी, विवेक के होठों पर भी गंभीर चोटें आईं।

आनन-फानन में दोनों को कांवटिया अस्पताल ले जाया गया, लेकिन दिनेश की हालत बिगड़ती गई। आखिरकार एसएमएस अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। दिनेश पिछले 12 वर्ष से जयपुर में शास्त्री नगर इलाके में किराए पर रह रहा था। मूलत: उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले का रहने वाला था। जयपुर में पेंटिंग के जरिये कमाई करके घर चला रहा था। उसके पीछे पत्नी दीपमाला, बेटा कुशाल (14) और बेटी खुशी (12) हैं।

ये हैं जिम्मेदार

आयोजक: कथा संपन्न होने के बाद पंडाल हटाने के कार्य में लापरवाही। रस्सी को खुला छोड़ दिया गया।
नगर निगम: अनुमति देने के बाद आयोजन स्थल की निगरानी नहीं की गई।
पुलिस प्रशासन: ट्रैफिक और सुरक्षा प्रबंधन की जिम्मेदारी के बावजूद ऐसी चूक हुई, जिससे एक जान चली गई।

क्या होगी कार्रवाई?

फिलहाल पुलिस मामले की जांच में जुटी है। अनुसंधान अधिकारी माधो सिंह के अनुसार, घटनास्थल से रस्सी को तुरंत हटा दिया गया, पर सवाल यह है, क्या हटा देने से जवाबदेही खत्म हो जाती है?

एक परिवार के लिए यह सिर्फ एक हादसा नहीं

यह एक कमाऊ हाथ का हमेशा के लिए थम जाना है। बच्चों के लिए पिता की छाया खो देना है। सवाल सिर्फ यह नहीं कि रस्सी क्यों बंधी थी, सवाल यह है कि क्यों बंधी रह गई, जब आयोजन खत्म हो चुका था? न्याय की आस लगाए बैठा एक परिवार, अब यही पूछ रहा है, "क्या सिर्फ रस्सी कसूरवार है?"

पूरे मामले में पत्रिका ने विद्याधर नगर आयोजन समिति के सचिव अनिल संत से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन संत ने फोन नहीं उठाया।

इनका कहना है

विद्याधर नगर में रोड पर रस्सी बांधने के दौरान रस्सी में गर्दन फंसने से युवक की मौत के मामले में कोई जानकारी नहीं है।
-शहीन सी, डीसीपी ट्रैफिक

यह आयोजन निजी था। हादसे की जानकारी नहीं है।
-अपर्णा शर्मा, जोन उपायुक्त, नगर निगम


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