जैसलमेर

जैसलमेर में छोटे पैकेट से नशे की खतरनाक जड़ें गहरी

सीमावर्ती जैसलमेर जिले में नशा तस्करी और खपत का जाल लगातार गहराता जा रहा है। अब तस्कर बड़े पैमाने पर सप्लाई करने के बजाय नशे को छोटे पैकेटों में बेचने की रणनीति पर काम कर रहे हैं।

2 min read
Sep 13, 2025

सीमावर्ती जैसलमेर जिले में नशा तस्करी और खपत का जाल लगातार गहराता जा रहा है। अब तस्कर बड़े पैमाने पर सप्लाई करने के बजाय नशे को छोटे पैकेटों में बेचने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। इन पैकेटों तक युवाओं की आसान पहुंच ने स्थिति को बेहद चिंताजनक बना दिया है। नशे की मांग पूरी करने के लिए एमडी यानी मेथाड्रोन और अन्य सिंथेटिक ड्रग्स का ज्यादा प्रचलन बढ़ा है। युवाओं में पार्टी ड्रग के तौर पर इसे अपनाने की प्रवृत्ति देखी जा रही है। शुरुआत में च्एडवेंचरज् के नाम पर आजमाया गया यह नशा धीरे-धीरे लत में बदल रहा है। नतीजा यह कि एक ओर युवाओं की जेब खाली हो रही है, वहीं उनका मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य भी तेजी से बिगड़ रहा है।

हकीकत यह भी

पत्रिका पड़ताल में यह बात सामने आई है कि जिले की भौगोलिक स्थिति तस्करी को पनाह दे रही है। रेगिस्तानी इलाकों में चौकसी करना आसान नहीं है। सीमा सुरक्षा बल और पुलिस के संयुक्त प्रयासों के बावजूद छिटपुट रूप से नशे की खेप स्थानीय नेटवर्क तक पहुंच ही जाती है। छोटे पैकेटों में आपूर्ति करने से यह धंधा और भी पकड़ से बाहर होता जा रहा है।
इसके साथ ही जैसलमेर का पर्यटन और ट्रांजिट हब होना भी तस्करों के लिए मददगार साबित हो रहा है। बड़ी संख्या में आने वाले पर्यटकों की आड़ में नशे का व्यापार छुपाना आसान हो जाता है। कुछ होटल, रिसॉर्ट और निजी ठिकाने ऐसे भी हैं, जहां की गतिविधियों पर संदेह जताया जा रहा है।

सबसे बड़ी चुनौती

युवाओं के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि एक बार लत लगने के बाद पढ़ाई, नौकरी और पारिवारिक रिश्तों से ध्यान हट जाता है। माता-पिता अपने बच्चों की आदतें बदलते देख परेशान हैं। वहीं, पुलिस लगातार अभियान चलाकर इसकी आपूर्ति से जुड़ी श्रृंखला पर नकेल कसने की कोशिश कर रही है। हाल ही में पकड़ी गई कई खेपों ने साफ कर दिया है कि सिंथेटिक ड्रग्स के नेटवर्क को जड़ से खत्म करने के लिए अधिक सख्त कार्रवाई और सतत निगरानी की जरूरत है।

Published on:
13 Sept 2025 11:53 pm
Also Read
View All

अगली खबर