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जैसलमेर की शादियों में रंग-बिरंगे साफों का क्रेज, बाजार में मांग की धूम

बाजारों में भीड़ बढ़ी है और हर दुकान पर दूल्हे और उनके परिवार शादी से पहले साफा और परिधान का ट्रायल कर रहे हैं।

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दिसम्बर के पहले पखवाड़े में शादियों की धूम रही। शहर के मुख्य बाजार और गांवों की गलियां दूल्हों के लिए सजावटी साफों और रंग-बिरंगे कपड़ों से जीवंत हो गई हैं। बाजारों में भीड़ बढ़ी है और हर दुकान पर दूल्हे और उनके परिवार शादी से पहले साफा और परिधान का ट्रायल कर रहे हैं।

स्थानीय दुकानदारों ने बताया कि दूल्हों का पूरा सजावटी सामान बुकिंग अमाउंट मात्र 999 रुपए से उपलब्ध है। परंपरागत साफों के साथ अब पेवर और जॉर्जट साफे अधिक लोकप्रिय हो गए हैं। इनकी कीमत 2500 से 3500 रुपए तक होती है। वहीं कॉटन साफे 300 से 1000 रुपए में मिल जाते हैं।

रंग-बिरंगे विकल्पों की बढ़ती मांग

लोकप्रिय साफों में पेवर डी, पेवर ठाकुर, जॉर्जट पंचरगी, लहरिया, राजाशाही बंधेज, मल्टी कलर, चुनरी और सेडेड कलर विशेष रूप से पसंद किए जा रहे हैं। दुकानदारों ने बताया कि दूल्हों और उनके परिवारों का रुझान अब फैशन और परंपरा का संयोजन चुनने की ओर बढ़ा है। रंग-बिरंगे साफे न केवल दूल्हे की शोभा बढ़ाते हैं, बल्कि शादी के पूरे माहौल में उत्साह और जीवन का रंग भरते हैं। स्थानीय बाजारों में दुकानों पर सजावट भी आकर्षक तरीके से की गई है। साफों की अलग-अलग डिज़ाइन और रंग ग्राहकों को लुभा रहे हैं। रोजाना कई दूल्हों और उनके परिवार के लोग ट्रायल और बुकिंग के लिए आते हैं। दुकानदार देवीसिंह भाटी के अनुसार दूल्हों और उनके परिवार के बीच फैशन और परंपरा का संतुलन अब महत्वपूर्ण हो गया है। लोग सजावटी और आरामदायक दोनों प्रकार के साफों को प्राथमिकता देते हैं। पेवर और जॉर्जट साफे टिकाऊ और आकर्षक होने के कारण ज्यादा लोकप्रिय हैं। साथ ही, कॉटन साफे किफायती होने के कारण भी अपने स्थान बनाए हुए हैं। शादी के मौसम में बाजारों में भीड़ बढ़ती है और दुकानों पर उत्साह की झलक नजर आती है। दुकानदार अपने साफों को विशेष रूप से सजाकर रखते हैं। दूल्हों और उनके परिवार के लोग अपने पसंदीदा रंग और डिज़ाइन के साफों का ट्रायल करते हैं और तुरंत बुकिंग कर लेते हैं। रंग-बिरंगे साफे और डिजाइन न केवल खरीददारों को आकर्षित करते हैं, बल्कि यह स्थानीय संस्कृति और परंपरा का जीवंत प्रदर्शन भी करते हैं।

एक्सपर्ट व्यू: केवल फैशन आइटम नहीं, सांस्कृतिक पहचान भी

लोककल्चर और फैशन विशेषज्ञ देवीसिंह भाटी तेजमालता कहते हैं कि जैसलमेर की शादियों में साफा केवल फैशन आइटम नहीं है, बल्कि यह सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक भी है। शादी के मौसम में साफों की मांग स्थानीय कारीगरों और दुकानदारों के लिए आय का मुख्य स्रोत बन जाती है। पेवर और जॉर्जट साफों की बढ़ती लोकप्रियता यह दर्शाती है कि लोग टिकाऊपन और सुंदरता दोनों को महत्व देते हैं। परंपरागत रंग और डिज़ाइन आज भी लोगों के लिए खास बने हुए हैं। जैसलमेर में शादी के मौसम में साफों की यह धूम स्थानीय अर्थव्यवस्था और सांस्कृतिक परंपरा दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। दुकानदार और कारीगर इस अवसर से आर्थिक रूप से लाभान्वित होते हैं, वहीं दूल्हे और परिवार शादी के उत्सव में परंपरा और फैशन का बेहतरीन संगम अनुभव करते हैं।