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पेयजल आपूर्ति को वॉल्टेज का ‘झटका’ जारी…सर्दी में भी पानी को तरस रहे जैसाणवासी

पर्यटननगरी के तौर पर दुनिया में पहचान बना चुका जैसलमेर सर्दी के मौसम में भी पीने के पानी के संकट से गुजर रहा है।

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पर्यटननगरी के तौर पर दुनिया में पहचान बना चुका जैसलमेर सर्दी के मौसम में भी पीने के पानी के संकट से गुजर रहा है। सर्दी के मौसम में जहां सामान्यत: पानी की खपत कुछ कम हो जाती है, तो आम तौर पर जलापूर्ति व्यवस्था अपने आप सुचारू होने लगती है लेकिन इस बार हालात उलट हैं। शहर में पीने के पानी की आपूर्ति लगातार बाधित हो रही है और कई मोहल्लों में लोग हर दूसरे-तीसरे दिन पानी के लिए परेशान घूमते नजर आ रहे हैं।

शहर के अलग-अलग हिस्सों में 4 से 6 दिन के अंतराल में एक बार आपूर्ति की जा रही है और वह भी पहले की अपेक्षा कम अवधि में मिल रहा है। गौरतलब है कि जलापूर्ति के इस संकट के पीछे बाड़मेर लिफ्ट परियोजना के मोहनगढ़ स्थित हेडवक्र्स पर लगातार वॉल्टेज के उतार-चढ़ाव की स्थिति बनी हुई है। इससे शहर में मांग की तुलना में कभी 50 तो कभी 70 प्रतिशत पानी की सप्लाई हो पा रही है। पेयजल प्रबंधन पर सवाल इसलिए भी उठ खड़े हुए हैं क्योंकि बार-बार तकनीकी खामी आने से जलापूर्ति का पूरा सिस्टम चरमराता दिख रहा है।

लाइन बदली से नहीं बदले हालात

मोहनगढ़ हेडवक्र्स पर वॉल्टेज सहित बिजली आपूर्ति की समुचित व्यवस्था के लिए बीते अर्से चांधन की बजाए मोहनगढ़ स्थित 33 केवी फीडर से सीधा कनेक्शन लिया गया था। तब यह उम्मीद जताई गई थी कि, समस्या का समाधान हो जाएगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं है। जलदाय विभागीय अधिकारियों के अनुसार मोहनगढ़ हेडवक्र्स पर बीते कई दिनों से बार-बार बिजली का वॉल्टेज कभी एकदम ज्यादा तो कभी एकदम कम हो रहा है। इस ट्रिपिंग के कारण उच्च क्षमता वाले पम्प पूरी क्षमता से नहीं चल पाते। इसका सीधा असर सप्लाई लाइन पर पड़ रहा है। शहर में पहले प्रतिदिन हेडवक्र्स से 15-16 एमएल तक पानी मिल जाता था, वह इन दिनों 7 से 10 एमएल पर आ गया है।

अभी यह हैं हालात

मौजूदा सर्दी के मौसम में भी शहर के भीतरी भागों से लेकर आवासीय कॉलोनियों तक में लोग लगभग एक समान पेयजल संकट का सामना करना पड़ रहा है। सोशल मीडिया प्लेटफार्मों से लेकर विभागीय अधिकारियों के समक्ष व्यक्तिगत व दूरभाष के जरिए समस्या उठाई जा रही है। नलों में पानी नहीं आने से मजबूर होकर लोग ट्रैक्टर टैंकर मंगवा रहे हैं, जिनके दाम भी अचानक बढ़ गए हैं। सामान्य दिनों में 400-500 रुपए में मिलने वाला टैंकर अब 700-900 रुपए तक में मिल रहा है। निम्न और निम्न मध्यम आय वर्ग के परिवारों के लिए यह अतिरिक्त बोझ गले की फांस बन चुका है। स्थानीय बाशिंदों का कहना है कि पानी का संकट नया नहीं है, मगर सर्दियों में भी यह स्थिति होना चिंता का विषय है। अंदरूनी शहर निवासी गणपतसिंह ने बताया कि मौसम ठंडा है, खपत कम है, फिर भी नलों में पानी नहीं आ रहा। गर्मियों में क्या होगा? लोग सोशल मीडिया पर अपनी व्यथा साझा करने के साथ विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठा रहे हैं।

स्टेबलाइजर लगाने को मंजूरी

जलदाय विभाग के सहायक अभियंता देवीलाल भील ने बताया कि वॉल्टेज के उतार-चढ़ाव की समस्या के बारे में डिस्कॉम को लगातार अवगत करवाया जा रहा है। उनकी तरफ से यह कहते हुए हाथ खड़े किए जा रहे हैं कि लाइन ओवरलोड चल रही है। उन्होंने बताया कि वॉल्टेज की समस्या के समाधान के लिए हेडवक्र्स पर स्टेबलाइजर लगाने की योजना है और उसकी स्वीकृति के लिए जयपुर मुख्यालय से अनुरोध किया गया है। करीब 82 लाख रुपए के स्टेबलाइजर लग जाने से वॉल्टेज की समस्या का समाधान हो सकेगा। ऐसा स्टेबलाइजर मोहनगढ़ हेडवक्र्स से बाड़मेर जिले को आपूर्ति किए जाने वाली मशीनरी पर लगाया जा चुका है। सवाल यह भी उठता है कि, तब जैसलमेर के लिए सप्लाई करने वाली मशीनरी में यह क्यों नहीं लगाया गया?

व्यवस्था में सुधार के प्रयास जारी

जैसलमेर शहर में जलापूर्ति व्यवस्था का दारोमदार मोहनगढ़ हेडवक्र्स से होने वाली सप्लाई पर है। वहां बिजली आपूर्ति में वॉल्टेज की समस्या का समाधान नहीं हो सका है। इसके उपरांत भी व्यवस्था में सुधार के निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। जल्द ही समस्या का स्थायी समाधान हो सकेगा, ऐसी उम्मीद है।

  • निरंजन मीणा, अधिशासी अभियंता, नगरखंड, जन स्वा. अभि. विभाग, जैसलमेर