Jaisalmer Bus Fire: जैसलमेर से जोधपुर जा रही एसी स्लीपर बस में शॉर्ट सर्किट से लगी भीषण आग में 20 यात्रियों की जिंदा जलकर मौत हो गई, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। 15 गंभीर झुलसे लोगों को जोधपुर रेफर किया गया। मृतकों की डीएनए से शिनाख्त शुरू कर दी गई है।
Jaisalmer Bus Fire: जैसलमेर से जोधपुर जाने वाली यात्रियों से भरी निजी वातानुकुलित स्लीपर बस में शार्ट सर्किट से मंगलवार दोपहर करीब साढ़े तीन बजे अचानक आग लग गई। इससे 20 यात्री जिंदा जल गए। इनमें महिलाएं और छोटे बच्चे शामिल हैं।
बता दें कि हादसे में 15 लोग गंभीर रूप से झुलस गए, जिन्हें जोधपुर रेफर किया गया। अधिकांश 50 से 70 प्रतिशत तक झुलसे पाए गए। बस में करीब 57 लोग सवार थे। इनमें से अधिकांश सवारियां जैसलमेर से पोकरण के बीच आने वाले गांवों की थी।
जैसलमेर से जोधपुर के रास्ते में करीब 10 किमी दूर थईयात मार्ग पर वॉर म्यूजियम के पास बस के पिछले हिस्से में धुआं निकला और देखते ही देखते पूरी बस आग का गोला बन गई। बस में सवार कई लोगों ने खिड़कियों से कूदकर जान बचाई।
आग की लपटों में घिरी बस को देखकर सैन्य स्टेशन से सेना के जवान और मेडिकल टीम के सदस्य वहां पहुंचे। सूचना पर पहुंचे दमकल वाहनों ने आग पर काबू पाया। रात साढ़े आठ बजे मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा घटना स्थल पहुंचे। केंद्र सरकार ने मृतकों के परिजन को दो-दो लाख और घायलों को 50-50 हजार रुपए मुआवजा देने की घोषणा की है।
एफएसएल की अतिरिक्त निदेशक डॉ. शालू मलिक ने बताया कि शवों की शिनाख्त के लिए डीएनए जांच कराई जा रही है। केवल एक मृतक की शिनाख्त जैसमलेर निवासी हुसैन के रूप में अभी तक हो पाई है। 19 शव और एक हड्डियों की पोटली जोधपुर पहुंच चुकी है। झुलसे हुए लोगों का इलाज जारी है। डीएनए रिपोर्ट से ही मृतकों की असली पहचान सामने आएगी। वहीं, परिवार के दो लोगों के सैंपल लिए जा रहे हैं।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हादसे के बाद 45 से 50 मिनट तक कोई फायर ब्रिगेड मौके पर नहीं पहुंची। मिलिट्री को सूचना मिलने के बाद जेसीबी मौके पर पहुंची। आर्मी ने जेसीबी की मदद से बस का गेट तोड़ा और फंसे लोगों को बाहर निकाला।
पुलिस ने बुकिंग एजेंट लक्ष्मण से पूछताछ की। पता चला, चार से पांच टिकटें पहले से बुक थीं, जबकि बाकी टिकट बस में ही दिए।
हादसे में कुल 20 यात्रियों की मौत हो गई। बस बिल्कुल नई थी। एक अक्टूबर को ही बस का रजिस्ट्रेशन हुआ था और यह संभवत: उसका तीसरा फेरा था। बैटरी में शॉर्ट सर्किट से एसी की वायरिंग में भी आग लग गई। पर्दों और ज्वलनशील रैग्जीन की सीटें चपेट में आने से आग भीषण हो गई।
-राजेश मीणा, पुलिस महानिरीक्षक रेंज, जोधपुर
घटना अत्यंत हृदयविदारक है। इस दुखद हादसे से प्रभावित नागरिकों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करता हूं। प्रभु श्रीराम दिवंगत आत्माओं को अपने श्री चरणों में स्थान दें। राज्य सरकार प्रभावित परिवारों के साथ है।
-भजनलाल शर्मा, मुख्यमंत्री
बस की बनावट संकरी थी तथा इमरजेंसी गेट केवल पीछे की ओर लगाया गया था, जबकि दोनों ओर होना आवश्यक था। नई बस में एसी की गैस पूरी भरी हुई थी।
स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि बस में फायर सेफ्टी उपकरण नहीं थे। अगर सेफ्टी उपकरण मौजूद होते तो जान बच सकती थी।
कस्तूर सिंह ने बताया कि उनके सामने बस से 16 शव निकाले गए, जबकि अंदर कई लाशें पड़ी थीं। झुलसे यात्रियों में आठ साल के मासूम से लेकर 79 साल तक के बुजुर्ग शामिल हैं। मैंने आंखों के सामने लोगों को जलते देखे, पर कोई कुछ कर नहीं पा रहा था।
वहीं, जैसलमेर के अस्पताल में भी बदहवासी का आलम था। एंबुलेंस में जिन घायलों को लाया गया उन्हें स्थानीय लोगों ने तुरंत अपने कंधों पर ट्रोमा सेंटर तक पहुंचाया। कोई अपने बच्चे को ढूंढ रहा था, कोई भाई या बहन को। रोते बिलखते एक पिता ने कहा, बस पांच मिनट पहले बेटे से बात की थी, अब वो कहां है पता नहीं।