इंदिरा गांधी नहर की बदौलत मोहनगढ़ क्षेत्र के रेतीले खेत हरा भरा सोना उगा रहे हैं, पर अधिक उत्पादन की चाह ने नहरी क्षेत्र की फिजा में जहर घोल दिया है।
इंदिरा गांधी नहर की बदौलत मोहनगढ़ क्षेत्र के रेतीले खेत हरा भरा सोना उगा रहे हैं, पर अधिक उत्पादन की चाह ने नहरी क्षेत्र की फिजा में जहर घोल दिया है। नहरी पट्टी में यूरिया और कीटनाशकों का अंधाधुंध प्रयोग केवल फसलों को नहीं, बल्कि किसानों की जिंदगी को भी खतरे में डाल रहा है। पिछले साढ़े छह साल में कीटनाशक सेवन के 414 से अधिक मामले सामने आए, इनमें 35 से ज्यादा मौतें दर्ज हुईं।
नहर पानी से सिंचित खेतों में पैदावार बढ़ाने के लिए यूरिया की बोरी खाली हो रही है। साथ ही फसल रोगों से बचाव के नाम पर लाल मार्क वाले अत्यंत खतरनाक कीटनाशक तक खुले आम छिडक़े जा रहे हैं। कृषि आदान संघ के जिलाध्यक्ष हिम्मत चौधरी बताते हैं कि लाल चिह्न वाले मोनो, रोगर जैसे रसायनों पर अमेरिका में पूर्ण प्रतिबंध है, फिर भी यहां धड़ल्ले से बिक्री जारी है। इनका असर अनाज व सब्जियों में रहता है, जो मानव शरीर में पहुंचकर खून की कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त करता है।
अधिवक्ता रेवंत सिंह सोलंकी के अनुसार घरेलू विवाद, कर्ज बोझ और फसल नुकसान जैसे तनावग्रस्त हालात में लोग तेजी से कीटनाशक गटक रहे हैं। पुलिस मर्ग दर्ज करती है, जबकि जबरन पिलाने के मामलों में धारा 302 और उत्पीडऩ से उकसाकर आत्महत्या करने पर धारा 306 लगती है।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी डॉ. मनोहरसिंह भाटी चेताते हैं—कीटनाशक निगलने वाले व्यक्ति को तुरंत उल्टी कराएं, कुछ खिलाएं -पिलाएं नहीं और सेवन किए रसायन की बोतल साथ लेकर अस्पताल पहुंचे। देरी होने पर यह रक्त में घुलकर जान ले सकता है।
-खेत-खलिहान में कीटनाशक को खुले में न रखें, अलमारी में तालाबंद करें।
-मानसिक परेशानी हो तो परिवार, चिकित्सक या मित्र से तुरंत बात करें, आत्मघाती कदम न उठाएं।