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रोजगार की तलाश में बाहरी लोगों की आमद, सत्यापन को लेकर गंभीरता दिखाने की दरकार

दिसंबर माह के अंतिम सप्ताह में पर्यटन सीजन के चरम पर पहुंचने के साथ ही जिले में रोजगार के अवसर तेजी से बढ़े हैं, लेकिन इसके समानांतर सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं भी उभरकर सामने आई हैं।

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दिसंबर माह के अंतिम सप्ताह में पर्यटन सीजन के चरम पर पहुंचने के साथ ही जिले में रोजगार के अवसर तेजी से बढ़े हैं, लेकिन इसके समानांतर सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं भी उभरकर सामने आई हैं। नव वर्ष के मौके पर सैलानियों की भारी भीड़, होटल, पेइंग गेस्ट, रेस्टोरेंट, बाजारों और पर्यटन स्थलों पर दबाव बढ़ा रही है।

इसी के साथ रोजी-रोटी की तलाश में बड़ी संख्या में बाहरी लोग जैसलमेर पहुंच चुके हैं, जिनमें से कई का अब तक पुलिस सत्यापन नहीं हो पाया है। सरहदी जिला होने के कारण जैसलमेर में सुरक्षा संवेदनशीलता स्वाभाविक है। पर्यटन स्थलों पर बाहरी लोग यहां रोजगार के लिए पहुंचे हुए हैं, न तो उनका सत्यापन किया गया है और न ही उनकी पहचान जानने के लिए सक्रियता दिखाई जा रही है। यही नहीं सोनार दुर्ग, गड़ीसर मार्ग सहित शहर के अन्य पर्यटन स्थलों पर रोजगाार के लिए पहुंचे लोगों के बारे में तो उनके आसपास रहने वाले या दुकानें संचालित करने वाले लोगों को भी पुख्ता जानकारी नहीं है। आंतरिक सुरक्षा के लिए ऐसे लोगों का सत्यापन जरूरी है।

हकीकत यह भी

विगत वर्षों में जिले में विकास की गति तेज हुई है। पवन और सौर ऊर्जा परियोजनाओं के विस्तार से जैसलमेर विद्युत उत्पादन में आत्मनिर्भर बना है और यहां उत्पादित बिजली देश के विभिन्न हिस्सों तक आपूर्ति की जा रही है। पर्यटन नगरी के रूप में पहचान मजबूत होने से सैकड़ों नए होटल, गेस्ट हाउस और रेस्टोरेंट खुले हैं, जिससे रोजगार के नए द्वार खुले, लेकिन सत्यापन व्यवस्था की अनदेखी ने सुरक्षा जोखिम बढ़ा दिए हैं।

क्या कहते हैं कानूनी प्रावधान

-कानूनी प्रावधानों के अनुसार क्रिमिनल संशोधन एक्ट 1996 के तहत अधिसूचित थाना क्षेत्रों में बाहरी व्यक्तियों के प्रवेश के लिए अनुमति अनिवार्य है।
-वर्ष 2008 में सीमा से जुड़ी जमीन बिक्री के मामलों के बाद इस कानून को और सख्त किया गया था। बिना अनुमति पाए जाने पर कार्रवाई का प्रावधान है।
-जिले के आठ थाना क्षेत्रों के करीब साढ़े तीन सौ गांव प्रतिबंधित क्षेत्र में आते हैं, जहां बाहरी ही नहीं, बल्कि जिले के नागरिकों को भी प्रवेश के लिए अनुमति लेनी होती है।
-सत्यापन के बाद यह अनुमति अधिकतम 15 दिन के लिए दी जाती है।

महंगा पड़ सकता है सुरक्षा को नजर अंदाज करना

पुलिस अधिकारियों का कहना है कि बाहरी लोगों से पूछताछ की जाती है। निजी फर्मों, संस्थानों और कंपनियों को समय-समय पर सत्यापन के लिए नोटिस दिए जाते हैं। जमीनी हकीकत यह है कि जमीनी स्तर पर इसका पालन कमजोर दिखाई देता है। विशेषज्ञों का मानना है कि विकास और रोजगार की दौड़ में सुरक्षा को नजरअंदाज करना किसी भी अप्रिय घटना को न्योता दे सकता है। ऐसे में नव वर्ष सीजन की बढ़ती भीड़ के बीच सत्यापन प्रक्रिया को सख्ती से लागू करना, निरंतर निगरानी रखना और सभी संबंधित संस्थानों की जवाबदेही तय करने की दरकार है।