पोकरण कस्बे से करीब 3 किलोमीटर दूर उत्तर दिशा में पहाड़ी पर स्थित कैलाश टेकरी मंदिर व 5 किलोमीटर दूर स्थित नरासर कुंड एवं भैरव राक्षस गुफा क्षेत्र वर्षों से उपेक्षा का शिकार बने हुए है।
पोकरण कस्बे से करीब 3 किलोमीटर दूर उत्तर दिशा में पहाड़ी पर स्थित कैलाश टेकरी मंदिर व 5 किलोमीटर दूर स्थित नरासर कुंड एवं भैरव राक्षस गुफा क्षेत्र वर्षों से उपेक्षा का शिकार बने हुए है। गौरतलब है कि करीब 600 से 700 वर्ष पूर्व पहाड़ी पर साथलमेर नाम से गांव आबाद था। कालांतर में साथलमेर के निवासियों ने पहाड़ी छोड़ दी और यहां नीचे आकर बस गए एवं पोकरण नाम से गांव पहचाना जाने लगा। आज भी साथलमेर के ऐतिहासिक स्थल और उनके निशां मौजूद है। इनमें प्रमुख रूप से कैलाश टैकरी मंदिर व नरासर कुंड है। साथ ही भैरव राक्षस की गुफा भी यहां स्थित है। ये जगहें वर्षों से उपेक्षा का शिकार बनी हुई है। हालांकि भामाशाहों के सहयोग से कैलाश टैकरी में जरूर कुछ कार्य करवाए गए है, लेकिन प्रशासनिक उपेक्षा के चलते पर्याप्त विकास कार्य नहीं हो सके है। ऐसे में न तो यहां पर्यटकों का आकर्षण बढ़ रहा है और न ही यहां आने वाले स्थानीय लोगों को कोई सुविधा मिल पा रही है।
साथलमेर के अतीत से जुड़ा कैलाश टैकरी स्थल आमजन की आस्था से भी जुड़ा हुआ है। पोकरण से करीब 3 किलोमीटर दूर तलहटी से करीब 100 मीटर ऊंची पहाड़ी पर भगवान शिव, देवी जगदंबा, रामभक्त हनुमान के मंदिर और एक संत का आश्रम स्थित है। पूर्व में यहां जाने के लिए सुगम मार्ग नहीं था। कुछ वर्ष पूर्व यहां सीढियां बनाई गई है, लेकिन सडक़ नहीं होने के कारण आज भी वाहन ऊपर नहीं जा पाते है। हालांकि एक मार्ग गोमट की तरफ से है, लेकिन अधिक दूरी और ग्रेवल सडक़ या पक्के रास्ते के अभाव में आवागमन मुश्किल होता है।
कस्बे से करीब 5 किलोमीटर दूरी पर पहाड़ी के बीच नरासर कुंड स्थित है। यहां जाने के लिए सुगम मार्ग भी नहीं है। करीब एक से डेढ़ किलोमीटर तक पहाड़ी पर चढ़ाई के साथ पैदल भी चलना पड़ता है। यहां पहाड़ी के बीच एक कुंड स्थित है। बारिश के दौरान पहाड़ी से पानी झरने के रूप में यहां बहता है, जिसे देखने के लिए कस्बे सहित आसपास क्षेत्र से बड़ी संख्या में युवा पहुंचते है और नहाने का लुत्फ उठाते है।
-कैलाश टेकरी से तलहटी तक आने-जाने के लिए सीसी सडक़ का निर्माण हो जाए तो आवागमन में सुविधा मिल सकती है।
-कैलाश टेकरी मंदिरों के चारों तरफ दीवार बनाकर यहां झूले, उद्यान विकसित किए जा सकेंगे।
-रात में रोशनी के लिए यहां बड़ी हाइमास्ट लाइट की दरकार।
-यहां नलकूप खुदवाया जाता है तो पेयजल की समस्या का समाधान हो सकेगा।
-नरासर कुंड तक भी आवागमन के लिए सुगम मार्ग की व्यवस्था हो।
-छाया के लिए टिन शेड, रोशनी के लिए लाइट व अन्य सुविधाएं विकसित होती है तो यह कुंड बारिश के दिनों में पर्यटन स्थल बन सकेगा।
-कुंड के आसपास क्षेत्र में हो रहे अवैध खनन को बंद किए जाने की जरूरत।