औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाली स्लरी को डंपिंग यार्ड में डंप करने की बजाय मनमर्जी से डंप किया जा रहा है और उसके बाद उसे ट्रेलरों में भरकर गुजरात भेजा जा रहा है।
Jalore News: जालोर में जिला पर्यावरण समिति की बैठक में जिला कलक्टर की ओर से प्रदूषण नियंत्रण मंडल के अधिकारियों को अवैध रूप से ग्रेनाइट स्लरी डंप करने वालों पर सख्ती बरतने के आदेश 24 घंटे के भीतर ही हवा हो गए। बैठक में जिला कलक्टर प्रदीप के गावंडे ने स्लरी की समस्या के स्थायी समाधान और पर्यावरण संरक्षण के लिए ये निर्देश जारी किए, लेकिन विभागीय और प्रशासनिक मॉनिटरिंग के चलते ऐसा संभव नहीं हो पाया।
आदेश के अगले ही दिन औद्योगिक क्षेत्र में 50 से अधिक स्थानों पर स्लरी की मनमर्जी से डंपिंग की गई। खास बात यह है कि ये अस्थायी डंपिंग यार्ड स्लरी के बिकवालों के हैं, जो स्लरी के सूखने का इंतजार करते हैं और उसके बाद इसे मोरबी तक भेजते हैं। जहां पर सिरेमिक टाइल्स का निर्माण होता है।
करीब पांच साल पूर्व तक जालोर की प्रमुख समस्याओं में शामिल ग्रेनाइट स्लरी जैसे ही सिरेमिक टाइल्स निर्माण में उपयोगिता साबित हुई तो एक नई समस्या पर्यावरण प्रदूषण के रूप में अब नजर आने लगी है। इकाइयों से निकलने वाली स्लरी को डंपिंग यार्ड में डंप करने की बजाय मनमर्जी से डंप किया जा रहा है और उसके बाद उसे ट्रेलरों में भरकर गुजरात भेजा जा रहा है। नियमानुसार ऐसा किया जाना गलत है और पर्यावरण के अनुकूल भी नहीं है।
जिला कलक्टर प्रदीप के गावंडे ने प्रदूषण नियंत्रण मंडल सिरोही के स्टाफ से पूछा कि जालोर में ग्रेनाइट स्लरी एक प्रमुख समस्या है। जगह जगह आउट ऑफ डंपिंग एरिया में डंपिंग हो रही है, उस पर विभाग ने क्या कार्रवाई की। पर्यावरण नियंत्रण मंडल के स्टाफ ने कहा कि सूचना पर विजिट करते हैं। कहा कि राजस्व विभाग की टीम के साथ मिलकर पूर्व में कार्रवाई की गई थी। उन्होंने संयुक्त कार्रवाई की गुजारिश की, ताकि रेवेन्यू से डंप की गई जमीन का राजस्व रिकॉर्ड मिल सके और नियम विरुद्ध होने पर संबंधित के खिलाफ भी कार्रवाई अमल में लाई जा सके।
जालोर में औद्योगिक क्षेत्र प्रथम चरण, द्वितीय चरण, तृतीय चरण के अलावा, बिशनगढ़, बागरा क्षेत्र में 1500 से अधिक ग्रेनाइट इकाइयां है, लेकिन प्रदूषण नियंत्रण मंडल कार्यालय आज भी जालोर में नहीं है। वर्तमान में सिरोही जिले में कार्यालय है।
प्रदूषण नियंत्रण मंडल के कनिष्ठ पर्यावरण अभियंता शंकरलाल ने कहा कि नियमानुसार स्लरी को डंपिंग एरिया में ही डंप किया जा सकता है। कहीं अन्य खाली किया जाता है तो विभागीय गाइड लाइन के विपरीत है। हमनें पूर्व में भी कार्रवाई की है। नियमानुसार प्रत्येक इकाई को फैक्ट्री से निकलने वाली स्लरी का रिकॉर्ड भी रखना जरुरी है, लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है। प्रशासन सहयोग करें तो पहले स्तर पर उद्यमियों को जागरुक करने के साथ नियमों की पालना के लिए सजगता का प्रयास किया जा सकता है। लगातार उल्लंघन पर कार्रवाई का प्रावधान है।
ग्रेनाइट स्लरी की मनमर्जी की डंपिंग की समस्या के स्थायी समधान के लिए निर्देशित किया गया है। एक कमेटी गठित की जा रही है। जिसमें एसडीएम और पोल्यूकेशन डिपार्टमेंट का स्टाफा शामिल होगा। कमेटी की जांच रिपोर्ट के आधार पर अग्रिम कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।