Crocodile Park: देश के दूसरे सबसे बड़े क्रोकोडायल पार्क कोटमीसोनार में सैलानियों को यहां के टापुओं में बसे साइबेरियन पक्षी अपनी ओर आकर्षित कर रहा है।
Crocodile Park: देश के दूसरे सबसे बड़े क्रोकोडायल पार्क कोटमीसोनार में सैलानियों को यहां के टापुओं में बसे साइबेरियन पक्षी अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। यहां आज से नहीं बल्कि कई सालों से साइबेरियन पक्षी गर्मी के दौरान आते हैं और फिर ठंड के दिनों में वापस लौट जाते हैं। इनकी संख्या हजारों की तादाद में है। जिसे देखने बड़ी संख्या में लोग आते हैं। हालांकि पक्षियों का झुंड पार्क के टापू में थोड़ी दूर से दिखाई पड़ता है। इसके लिए टेलिस्कोप यंत्र का सहारा लेना पड़ता है।
वर्ष 2007 में कोटमीसोनार गांव में क्रोकोडायल पार्क का निर्माण किया गया था। यहां तकरीबन 400 से अधिक मगरमच्छ सैलानियों के लिए आकर्षण केंद्र जरूर है, वहीं दूसरा आकर्षण केंद्र साइबेरियन पक्षी लोगों को भा रहा है। साइबेरिया देश से आए पक्षियों का यहां जमावड़ा होने लगा है। इनकी संख्या यहां लगातार बढ़ रही है। चूंकि यह पक्षी ठंड के दिनों में अपने देश से पलायन कर गर्म प्रदेश की ओर कूच करते हैं। इसके लिए क्रोकोडायल पार्क का टापू सबसे पसंदीदा इलाका बन चुका है। ये यहां आठ माह तक रहेंगे फिर लौट जाएंगे।
साइबेरियन पक्षियों का पसंदीदा भोजन मछली है। पार्क में मगरमच्छों के लिए डाली गई मछली को वे अपना निवाला बनाते हैं। यही वजह है कि इनकी संख्या यहां लगातार बढ़ रही है। इसके अलावा पार्क के करीब कर्रा नाला डेम भी है। जहां बड़ी तादाद में मछली पालन होता है। जो इनके लिए भोजन का मुख्य आधार है।
वन विभाग के मुताबिक साइबेरियन पक्षी मार्च-अप्रैल के दौरान यहां बड़ी संख्या में आते हैं। ये दो माह में बड़ी तादाद में अंडे देते हैं। जब इनके बच्चे तीन-चार महीने में उडऩे लायक हो जाते हैं तो फिर वे अपने देश में लौट जाते हैं। छह माह बाद यही पक्षी फिर यहां डेरा डाल देते हैं।
कोटमीसोनार का क्रोकोडायल पार्क देश में अपनी पहचान बना चुका है। वहीं अब साइबेरियन पक्षी के लिए यह अपने नाम का सुर्खियां बटोर रहा है। इसके लिए वन विभाग रिसर्च करने की योजना बना रहा है। ताकि पार्क का नाम साइबेरियन पक्षी के नाम पर भी अपनी पहचान बना सके।
पार्क में मगरमच्छ के अलावा साइबेरियन पक्षी सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। पार्क के टापू में हजारों की तादाद में साइबेरियन पक्षी निवासरत हैं। इसके लिए वन विभाग रिसर्च कर रहा है ताकि इन पक्षियों को पार्क में बढ़ावा मिल सके।