झुंझुनू

राजस्थान के इस जिले के 2 सरकारी स्कूलों की अनूठी पहल, छात्र-छात्राओं की इन 3 अच्छी आदतों को जानकर कहेंगे, वाह

Government Schools Unique initiative : राजस्थान के झुंझुनूं जिले के 2 सरकारी स्कूलों में एक नई और अनूठी पहल शुरू की गई है। इस अनूठी पहल को जानकर आप वाह करने से अपने आपको रोक नहीं सकेंगे। इनमें एक है बच्चे खाना खाने के बाद अपनी थाली में जूठन नहीं छोड़ते है। बाकी 2 और भी रोक है।

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राजस्थान के झुंझुनूं जिले के 2 सरकारी स्कूलों में एक नई और अनूठी पहल

राजेश शर्मा

Government Schools Unique initiative : थाली में जूठन छोड़ना भोजन का अनादर करने के समान है। ऐसे ही कुछ संस्कारों की शुरुआत की गई है राजस्थान के झुंझुनूं जिले के दो सरकारी स्कूल में। दोनों स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे पोषाहार के वक्त थाली में अन्न का एक दाना भी नहीं छोड़ते। इतना ही नहीं, इन स्कूल के बच्चे दूसरों को भी जूठन नहीं छोड़ने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। दोनों स्कूल के छात्र-छात्राएं जहां भी शादी समारोह, किसी पार्टी या अन्य जगह जाते हैं, वहां कोई जूठन छोड़ता है तो उसे नमस्कार कर विनम्रता पूर्वक जूठन नहीं छोड़ने की विनती करते हैं।

खाने के बाद मॉनिटर को दिखाते हैं बर्तन

नरसाराम पुरोहित राउमा विद्यालय भडौंदा कला में भी बालक जूठन नहीं छोड़ते। प्रधानाचार्य सुमन भड़िया ने बताया कि उन्होंने बच्चों को अलग से पोषाहार मॉनिटर बना रखा है। हर बच्चा खाना खाने के बाद अपने मॉनिटर को बर्तन दिखाता है। यहां के बालक किसी भी शादी समारोह या अन्य जगह जाते हैं तो जूठन छोड़ने वालों को विनम्रता पूर्वक टोकते हैं।

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एक फायदा यह भी

झूठन नहीं छोड़ने से प्रतिदिन 125 लीटर पानी की बचत हो रही है। जूठन से नालियों में होने वाली गंदगी व बदबू की समस्या भी नहीं रही। छापोली में इसके लिए पोषाहार प्रभारी लक्ष्मण मीणा, बनवारी लाल मीणा, गिरधारी लाल, सरिता गुप्ता व हरदेव को शामिल किया हुआ है। सभी क्लास टीचर्स व स्काउट गाइड भी इस व्यवस्था में सहयोग कर रहे हैं। बर्तन धोने वाले पानी का उपयोग भी पौधों में किया जाता है।

अन्न के एक-एक कण का होता है उपयोग

उदयपुरवाटी क्षेत्र में स्थित महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम राजकीय उमावि छापोली में बच्चे जिस बर्तन में पोषाहार खाते हैं, उसी बर्तन में उनको पीने के लिए पानी दिया जाता है। इससे अन्न के एक-एक कण का उपयोग होता है। स्कूल प्रधानाचार्य विवेक जांगिड़ ने बताया कि ऐसा करने से बर्तन साफ हो जाता है। बाद में नेचुरल अपमार्जक एक चुटकी राख से रगड़ कर कपड़े से साफ कर लेते हैं। बाद में बर्तन को धोने में बहुत कम पानी लगता है। बालक किसी शादी समारोह में जाते हैं तो वहां भी जूठन नहीं छोड़ते। अन्य लोगों को भी इसके लिए प्रेरित करते हैं।

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Published on:
15 May 2024 12:03 pm
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