Success Story: हौसला बुलंद हो तो सफलता भी उड़ान भरती है। शेखावाटी की बेटियों ने इसे सच कर दिखाया है।
Indian Air Force Day: झुंझुनूं। हौसला बुलंद हो तो सफलता भी उड़ान भरती है। शेखावाटी की बेटियों ने इसे सच कर दिखाया है। झुंझुनूं जिले के छोटे से गांव पापड़ा की रहने वाली मोहना सिंह, झुंझुनूं जिले की पिलानी से घूमनसर की रहने वाली प्रिया शर्मा और चूरू जिले के सादुलपुर तहसील के नरवासी की प्रतिभा पूनिया शेखावाटी से देश में लड़ाकू विमान उड़ाने वाली बेटियां हैं। तीनों में बचपन से ही देश के लिए कुछ करने का जज्बा था। आज इन पर पूरे देश को नाज है।
राजस्थान की पहली महिला पायलट झुंझुनूं जिले के पापड़ा की ढाणी जीतरवालों की निवासी मोहना सिंह बचपन में कागज के प्लेन बनाकर उड़ाती थी और कहती थी मैं एक दिन आकाश में भी स्वतंत्र रूप से प्लेन उड़ाउंगी। मोहना सिंह इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद कई बार अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए परीक्षा में बैठी लेकिन असफल रही।
कुछ वर्षों के लिए निजी कंपनी में काम किया। लेकिन लक्ष्य पाने का जज्बा खत्म नहीं हुआ। आखिरकार 18 जून 2016 में भावना कंठ व अवनी चतुर्वेदी के साथ वह पहली फाइटर प्लेन चालक बनी। मिग 21 उड़ाने वाली स्क्वाड्रन लीडर मोहना सिंह अब तेजस उड़ाने वाली पहली महिला फाइटर पायलट बन चुकी है।
चूरू जिले की प्रतिभा पूनिया वायुसेना में लड़ाकू विमान उड़ाने वाली शेखावाटी से दूसरी महिला पायलट है। अभी वह बीकानेर के नाल में तैनात है। प्रतिभा के पिता पूर्व सैनिक छोटूराम पूनिया वर्तमान में सरदार शहर में आबकारी पुलिस में कार्यरत हैं। उन्होंने बताया कि प्रतिभा 4-5 साल की थी, तब गांव के पास ही एक विमान क्रैश हो गया था।
प्रतिभा गांव वालों के साथ विमान को देखने गई तो उसके एक पैर की जूती कहीं गिर गई। घर आने पर मां से डांट पड़ी तो उसने मां से कहा चिंता मत करो हवाई जहाज से लेकर आउंगी खोई हुई जूती। दरअसल प्रतिभा बचपन से ही आसमान में उड़ने का सपना देखती थी। उसने कॉलेज में एनसीसी ज्वॉइन की और घुड़सवारी सीखी। वह सामने विलक्षण परिस्थिति को देखकर मायूस नहीं होती,बल्कि उनसे लड़कर आगे बढ़ती है।
घुमनसर कला में जन्मी प्रिया शर्मा भारतीय वायु सेना में फ्लाइट लेफ्टिनेंट के पद पर तैनात है। वर्तमान में प्रिया बीकानेर में तैनात रहते हुए भारतीय सीमा की निगरानी कर रही है। प्रिया के पिता मनोज शर्मा भी भारतीय वायु सेना में हैं। बचपन में वह जब अपने पिता को लड़ाकू जहाज उड़ाते देखती थी तो उसकी भी इच्छा होती थी। इसलिए उसने भी ठान लिया था कि वह भी बड़ी होकर पापा की तरह लड़ाकू विमान उड़ाएगी।