जोधपुर

राजस्थान में मां-बेटे की जोड़ी ने किया ऐसा कारनामा… हर तरफ हो रही चर्चा

68 साल की चंद्रा देवी गुर्जर और उनके पुत्र मोहनलाल। इन दोनों हुनरबाजों ने एक और कीर्तिमान रचा है। चमड़े पर कसीदाकारी की बेजोड़ कला के सहारे इन्होंने 8.5 फीट की जूती बनाई है, जो जल्द ही वर्ल्ड रेकॉर्ड में शामिल होगी।

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May 05, 2024

अविनाश केवलिया
Rajasthan News : 68 साल की चंद्रा देवी गुर्जर और उनके पुत्र मोहनलाल। इन दोनों हुनरबाजों ने एक और कीर्तिमान रचा है। चमड़े पर कसीदाकारी की बेजोड़ कला के सहारे इन्होंने 8.5 फीट की जूती बनाई है, जो जल्द ही वर्ल्ड रेकॉर्ड में शामिल होगी। इस जूती को बनाने में तीन महीने का समय लगा। और अब इसकी डिमांड पूरे देश में हो रही है। इससे पहले इनकी बनी कलात्मक जूतियां पहनकर ही इस साल हुए मिस वर्ल्ड पेजेंट में मॉडल्स रैम्प पर उतरी थीं।


मोहनलाल बताते हैं कि उनकी मां जब 12-13 साल की थीं तभी से जूतियां बनाने और उन पर कसीदाकारी का काम कर रही हैं। हर बार कुछ न कुछ अलग करने के लिए मशहूर मां-बेटे की जोड़ी ने इस बार 8.5 फीट की जूती को आकार दिया है। इसके बाद चंद्रा देवी और उनके साथ दो-तीन अन्य महिलाओं ने कई दिनों तक काम कर इसको एम्ब्राइडरी से सजाया है। इसे बनाने में करीब 1.5 लाख रुपए लगे हैं। इससे पहले ये 6 फीट और 4.5 फीट आकार की जूती बना चुके हैं, लेकिन यह हाइट में अब तब सबसे बड़ी है। इस पर कसीदाकारी में मधुबनी आर्ट को फोकस किया गया है।

फैशन डिजाइन के बच्चों को देती हैं ज्ञान

चंद्रा देवी खुद ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं हैं, लेकिन जोधपुर में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (एनआईएफटी) व फुटवियर डिजाइइन एंड डवलपमेंट इंस्टीट्यूट (एफडीडीआई) जैसे संस्थानों में बच्चों को सिखाती हैं। वे गेस्ट लेक्चरर के रूप में एम्ब्राइडरी बारीकियां सिखाती हैं। हाल ही में हुए सूरजकुंड इंटरनेशन क्राफ्ट मेले में चंद्रा देवी को प्रथम पुरस्कार दिया गया है। इससे पहले इनको राष्ट्रपति पुरस्कार भी मिल चुका है। अब पद्मश्री के लिए भी आवेदन कर चुके हैं।

मॉडल्स ने बिखेरे राजस्थानी रंग

दिल्ली में मिस वर्ल्ड पेजेंट के सेमीफाइनल राउंड के एक सेगमेंट में राजस्थानी रंग भी बिखरे थे। उस राउंड में सभी मॉडल्स ने ट्रेडिशनल ड्रेस के साथ जोधपुरी जूतियां पहनी थीं। यह जूतियां चंद्रा देवी व मोहनलाल की ही डिजाइन की हुई थीं।

विदेशों से भी आते हैं सीखने

चंद्रा और मोहन जूतियां बनाने का काम पैतृक रूप से कर रहे हैं। इनके पास यूरोप, अमरीका व आस्ट्रेलिया से कई लोग सीखने के लिए आते हैं। पिछले महीने आस्ट्रेलिया से 15 लोगों का ग्रुप कई दिन यहां रहकर इनसे कलाकारी सीख कर गया है।

Published on:
05 May 2024 09:31 am
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