जोधपुर

Jodhpur: 3 प्राचीन बावड़ियां ढ़हने के बाद 16 साल की अनाध्या ने उठाया संरक्षण का बीड़ा, ‘रक्षा सूत्र’ अभियान से बदली झालरों की तस्वीर

Rajasthan News: अनाध्या ने प्राचीन जल स्रोतों की रक्षा करने के लिए अभियान का नाम दिया ‘रक्षा सूत्र’। पिछले एक साल में उन्होंने अपने पिता के सहयोग से एक संस्था भी बनाई है।

2 min read
Sep 15, 2025
फोटो: पत्रिका

Monday Motivational Story: पश्चिमी राजस्थान में पानी और परंपरागत जलस्रोत के महत्व को कौन नहीं जानता? उनके संरक्षण के सरकारी प्रयास होते हैं लेकिन जोधपुर शहर में प्राचीन झालरों (बावड़ीनुमा जलस्रोत) की जल धरोहरों की हालत देख 16 साल की किशोरी अनाध्या के मन पर गहरा असर हुआ।

बारहवीं कक्षा की अनाध्या पर अब शहर के प्राचीन जलस्रोतों को बचाने का जुनून सवार है। साथियों के साथ उनके इस प्रयास से महामंदिर झालरा की तस्वीर बदल गई है। अब वहां पर्यटक आकर सेल्फी ले रहे हैं।

ये भी पढ़ें

राजस्थान से मध्यप्रदेश को जोड़ेगा एक और नया रेलमार्ग, 8 नए स्टेशन बनेंगे, सर्वे और डीपीआर का काम पूरा

दरअसल 12वीं कक्षा की छात्रा अनाध्या जैन अपनी स्कूल विजिट पर गई तो जर्जर अवस्था में महामंदिर झालरा देखा। इससे वह व्यथित हो गई। उन्होंने अपने शिक्षक और उद्यमी पिता गौरव से इसके महत्व को जाना तो उनके मन में ऐसे पारंपरिक जल स्रोतों के संरक्षण पर काम करने का विचार आया। उन्होंने शिक्षकों और साथियों से झालरे की सफाई की योजना बनाई।

पिता की सहमति के बाद वह साथियों के साथ महामंदिर और अन्य प्राचीन झालरों की सफाई और संरक्षण के प्रयास में जुट गई। आज महामंदिर झालरे की तस्वीर बदली है और अन्य झालरों पर काम चल रहा है।

अभियान का नाम दिया 'रक्षा सूत्र'

अनाध्या ने प्राचीन जल स्रोतों की रक्षा करने के लिए अभियान का नाम दिया ‘रक्षा सूत्र’। पिछले एक साल में उन्होंने अपने पिता के सहयोग से एक संस्था भी बनाई है। पढ़ाई के साथ अवकाश के दिन उनका ग्रुप झालरों व बावड़ियों की सफाई और संरक्षण में जुटता है।

पर्यटन का स्पॉट बन गई

जोधपुर की तूअरजी झालरा, मायला बाग झालरा जैसे प्राचीन जलस्रोत ऐसे हैं जो जीवंत हुए और अब पर्यटन का बड़ा केन्द्र बन चुके हैं। यहां हर साल हजारों की संख्या में पर्यटक आते हैं। यहां की खूबसूरती कैमरों में कैद करते हैं। इसके आस-पास बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार भी मिला है।

इसलिए जरूरत… 10 दिन में तीन बावड़ियां ढहीं: …..

इसलिए जरूरत… 10 दिन में तीन बावड़ियां ढहीं: इस साल मानसून में अच्छी बारिश हुई तो बावड़ियों-झालरों में पानी की ज्यादा आवक हुई, जिससे एक-एक कर तीन बावड़ियां ढह गईं। जोधपुर में पहले रोडवेज बस स्टैंड में बनी बावड़ी ढही, फिर व्यास बावड़ी, गोरिंदा बावड़ी की दीवार भी गिर गई। रखरखाव के अभाव में जर्जर बावड़ियों की हालत खराब है जिन्हें ठीक करने का जुनून अनाध्या ने पाला है।

ये भी पढ़ें

Rajasthan: 200 रुपए मीटर की दर से मिलेंगे आवासीय पट्टे, जानें कब और कहां लगेगा शिविर

Updated on:
15 Sept 2025 12:22 pm
Published on:
15 Sept 2025 12:21 pm
Also Read
View All

अगली खबर