पहले नगर निगम के 65 की बजाय 100 वार्ड किए और उसके बाद निगम को दो भागों में बांटकर 80-80 वार्डों के दो नगर निगम बना दिए, लेकिन इसके लिए एरिया नहीं बढ़ाया गया था।
Jodhpur News: राज्य सरकार ने प्रदेश के निकायों में जनसंख्या के आधार पर नए सिरे से वार्डों का निर्धारण कर दिया है। इसके अनुसार अब एक निकाय में 35 लाख से ज्यादा जनसंख्या होगी तो ही 150 से ज्यादा वार्ड बनेंगे। जोधपुर की जनसंख्या करीब 13 लाख है। ऐसे में जोधपुर में एक ही निगम बना, तो जनसंख्या के आधार पर यहां 100-105 वार्ड बन सकते हैं। एक ही नगर निगम होने का सबसे बड़ा असर स्वच्छता सर्वेक्षण पर पड़ेगा। शहर की रैंकिंग में सुधार होगा। सरकार की ओर से बजट भी उसी आधार पर मिलेगा।
पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने 15 लाख से ज्यादा आबादी पर 150 वार्ड निर्धारित कर दिए थे। इस फैसले का भाजपा ने विरोध किया था, लेकिन कांग्रेस ने राजनीतिक परिदृश्य को देखते हुए जोधपुर में दो निगम बनाए। इसका खामियाजा आम लोगों के साथ ही निगम को भी भुगतना पड़ा। पहले नगर निगम के 65 की बजाय 100 वार्ड किए और उसके बाद निगम को दो भागों में बांटकर 80-80 वार्डों के दो नगर निगम बना दिए, लेकिन इसके लिए एरिया नहीं बढ़ाया गया था।
रामेश्वर नगर, कुड़ी भगतासनी हाउसिंग बोर्ड को हालांकि नगर पालिका में शामिल किया गया है, लेकिन यह क्षेत्र निगम में आता है तो यहां के लोगों को सफाई, लाइट जैसी कई सुविधाएं मिलेगी। इसके अलावा पाल, डिगाड़ी जैसे करीब 6 क्षेत्र हैं, जो नगर निगम क्षेत्र से सटे हुए हैं। ये क्षेत्र पिछले करीब एक दशक से अधिक समय से जोधपुर शहर का हिस्सा बन चुके हैं। इनमें करीब 2.5 लाख से अधिक जनसंख्या रहती है। निगम इन क्षेत्रों में अपने वार्डों को बढ़ाए तो दायरा बढऩे के साथ ही निगम को रेवेन्यू का भी फायदा होगा।
नगर निगम दो होने के बाद पिछले चार वर्षों में जोधपुर के अधिकांश लोगों को ये भी समझ में नहीं आ रहा है कि वो नगर निगम उत्तर में हैं या दक्षिण में। न तो दो नगर निगम चलाने के लिए स्टाफ है और न ही इंफ्रास्ट्रक्चर है। दोनों नगर निगम का विभाजन राजस्व के लिहाज से भी सही नहीं है। राजस्व स्रोत दक्षिण में ज्यादा हैं ,ऐसे में उत्तर नगर निगम आय की दृष्टि से भी पिछड़ा रहा है। दोनों नगर निगमों को पुनर्गठित कर वापस एक नगर निगम बनाने से काम ज्यादा अच्छे ढंग से होगा। सबसे बड़ी बात पूरे शहर के विकास कार्यों में एकरूपता रहेगी। सरकारी नीतियों के क्रियान्वयन में शहर में एकरूपता रहेगी। शहर की सफाई व्यवस्था, विकास कार्यों के क्रियान्वयन और आम जनता हित में दोनों नगर निगमों का एकीकरण करना प्रशासनिक दृष्टि से सही होगा।