जोधपुर

RAS 2023: पूरा करना था दादा का सपना, किताब को छुआ नहीं, जोधपुर के राजेंद्र की आई 41वीं रैंक, जानिए कैसे

राजेंद्र बहुत अधिक टेक्नोलॉजी फ्रैंडली है। उन्होंने पूरी पढ़ाई टेबलेट पर की। गूगल क्लाउड पर नोट्स बनाए। किताबों को हाथ तक नहीं लगाया।

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Oct 16, 2025
राजेंद्र लालस। फोटो- पत्रिका

जोधपुर। जिले के बालेसर के चांचलवा गांव निवासी राजेंद्र लालस ने आरएएस- 2023 परीक्षा में 41वीं रैंक हासिल की है। राजेंद्र ने बताया कि उसने 2013 में आरएएस प्री दिया था। उस वक्त खनिज विभाग में चयन होने के कारण प्री परीक्षा के बाद कोई पढ़ाई नहीं की। दस साल बाद केवल दादा का सपना पूरा करने के लिए फिर से आरएएस में बैठा और सलेक्ट हो गया।

जोधपुर में बीजेएस कॉलोनी में रहने वाले राजेंद्र गौतम वर्तमान जयपुर में खनिज विभाग में सहायक खनिज अभियंता हैं। राजेंद्र ने तत्कालीन एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज से माइनिंग में 2011 में बीई की। इसके बाद चार साल तक झारखण्ड में केंद्र सरकार के उपक्रम कोल इंडिया में काम किया, फिर राजस्थान सरकार के खनिज विभाग में आ गए।

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नोट्स बनाए, किताबों को हाथ तक नहीं लगाया

राजेंद्र बहुत अधिक टेक्नोलॉजी फ्रैंडली हैं। उन्होंने पूरी पढ़ाई टेबलेट पर की। गूगल क्लाउड पर नोट्स बनाए। किताबों को हाथ तक नहीं लगाया। सेना में केप्टन दादा ईश्वरदान की इच्छा की थी कि वह आरएएस की तैयार करे। वर्ष 2017 में उनके देहांत के बाद उनकी इच्छा पूरी करने के लिए तैयारी शुरू की।

बोले, केवल एक बार लिखना था

राजेंद्र से जब पूछा गया कि उन्होंने आरएएस 2024 परीक्षा दी है तो उसने कहा कि उसे केवल एक बार ही लिखना था। इसलिए आरएएस 2024 नहीं दी। राजेंद्र ने बताया कि उसकी गृहिणी पत्नी शर्मिष्ठा देथा ने उसे पढ़ाई के लिए काफी मोटिवेट किया था। राजेंद्र के पिता चण्डीदान सरकारी स्कूल में शिक्षक हैं। माता कंचन कंवर गृहिणी हैं।

रक्षिता की 200वीं रैंक

वहीं आरएएस-2023 के परीक्षा परिणाम में जोधपुर की रक्षिता कविराज ने 200वीं रैंक हासिल की। रक्षिता का यह दूसरा प्रयास था। वह वर्तमान में समाज कल्याण विभाग के अधीन बालिका गृह मण्डोर में अधीक्षक पद पर कार्यरत हैं। आरटीओ के पास विनायक नगर निवासी रक्षिता ने 2020 में बीए की थी। इसके बाद 2021 में आरएएस का फॉर्म भरकर तैयारी में जुट गई। आरएएस की तैयारी के साथ-साथ एलएलबी की। आरएएस 2021 में रक्षिता को 406वीं रैंक मिली थी। रक्षिता साइंस बायोलॉजी की छात्रा हैं।

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नीट में असफल होने के बाद उसने आरएएस को लक्ष्य बनाया। रक्षिता ने बताया कि उसने एक बार कोचिंग की थी क्योंकि आरएएस परीक्षा का पाठ्यक्रम उसके लिए नया था। रक्षिता अपने फूफा सेवानिवृत आरएएस अधिकारी बलदेवसिंह उज्ज्वल से प्रेरित थी। उसने बताया कि उसकी माता सीमा कविराज का 2020 में कैंसर से निधन हो गया था, जिसके बाद उन्होंने अपने आपको पढ़ाई में ही झौंक दिया। रक्षिता के पिता राजेंद्र सिंह सरकारी स्कूल में शिक्षक हैं। उसका छोटा भाई बीए में अध्ययनरत हैं।

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