Jojari River: प्रतिदिन 12 एमएलडी औद्योगिक वेस्ट और 200 एमएलडी से ज्यादा सीवरेज का पानी नदी में होता है प्रवाहित, कुछ दिन पहले लोगों ने आंदोलन किया तो हुई थी गहन जांच
जोजरी नदी में बढ़ते प्रदूषण के मामले को सुप्रीम कोर्ट ने गंभीरता से लिया है। नदी में औद्योगिक इकाइयों के पानी के साथ 200 एमएलडी सीवरेज का पानी प्रवाहित किया जाता है तो जोधपुर, बालोतरा व बाड़मेर जिलों के करीब 50 गांवों के लिए नासूर बन गया है।
हालात यह है कि यहां पेयजल के लिए पानी नहीं बचा। पिछले दिनों डोली-अराबा के समीप लोग विरोध में उतरे और धरना दिया। इसके बाद समझाइश हुई और राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने इस मामले के लिए विशेष जांच भी करवाई थी।
जोजरी और लूणी नदी में प्रदूषण का इतिहास काफी पुराना है। समय-समय पर इसके लिए एनजीटी और आरपीसीबी ने गाइड लाइन जारी की। कई बार औद्योगिक इकाइयां बंद हुई और कई बार ग्रामीण आंदोलन पर उतरे, लेकिन इसके बाद भी प्रदूषण का स्थाई समाधान नहीं निकला। नदी में पूरी तरह से प्रदूषित पानी की आवक रोकने के लिए औद्योगिक इकाइयों जीरो लिक्विड डिस्चार्ज प्लांट और सीवरेज पानी के लिए शत-प्रतिशत ट्रीटमेंट प्लांट की जरूरत है, लेकिन इसके लिए बड़ा बजट भी चाहिए।
जलस्रोत प्रदूषित : यह नागौर जिले के पुंदलू गांव की पहाड़ियों से निकलकर जोधपुर जिले में लूणी नदी में मिलती है। आगे लूणी नदी भी इससे प्रभावित है और कई गांवों में तालाब, कुएं और जलस्रोत प्रदूषित हो चुके हैं।
औद्योगिक अपशिष्ट : जोजरी नदी व लूणी नदी में जोधपुर व बालोतरा, जसोल व बिठूजा की टैक्सटाइल और स्टील रीरोलिंग इकाइयों का पानी मिलता है। जोधपुर से 300 इकाइयों से करीब 12 एमएलडी पानी प्रतिदिन जोजरी नदी में जाता है, जो कि सीईटीपी प्लांट से ट्रीट होता है। इसके बाद अलावा अवैध इकाइयां भी संचालित है। स्टील ने औपचारिक रूप से जीरो डिस्चार्ज की घोषणा कर रखी है, लेकिन फिर भी नदी में हेवी आयरन पार्टिकल मिले हैं।
सीवरेज पानी : जोधपुर शहर का हर दिन 200 एमएलडी से ज्यादा सीवरेज का पानी जोजरी नदी में जाता है। मात्रा ज्यादा होने के कारण यही औद्योगिक अपशिष्ट में मिलकर ग्रामीणों के लिए परेशानी खड़ी करता है। अधिकांश सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट या तो बंद पड़े हैं या फिर शत-प्रतिशत क्षमता पर काम नहीं कर रहे।
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गौरतलब है कि राजस्थान के नागौर, जोधपुर और बालोतरा जिलों से होकर बहने वाली जोजरी नदी औद्योगिक कचरे के कारण जहरीली हो चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ने इस गंभीर पर्यावरणीय संकट का स्वत: संज्ञान लेते हुए सख्त रुख अपनाया है। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने मामले को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) के समक्ष भेजने का आदेश दिया है। ये आदेश इसलिए दिया गया है ताकि उचित दिशा-निर्देश जारी किए जा सकें।