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Rajasthan News: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में प्रदूषण नियंत्रण से संबंधित एक महत्वपूर्ण मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार के मुख्य सचिव द्वारा दायर हलफनामे को स्वीकार कर लिया है। न्यायमूर्ति विनोद चंद्रन की पीठ ने राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (RSPCB) में प्रत्यक्ष भर्ती के रिक्त पदों को भरने के लिए राज्य को तीन माह का अतिरिक्त समय प्रदान किया।
हालांकि, प्रोन्नति के पदों को इस समयसीमा के दायरे से बाहर रखते हुए राज्य को छूट दी गई है। यह निर्णय एनसीआर में प्रदूषण नियंत्रण के लिए चल रही अवमानना कार्यवाही के तहत लिया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने 8 मई 2025 को अपने आदेश में राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिवों को प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों में रिक्त पदों को भरने की 30 अप्रैल 2025 की समयसीमा का पालन न करने पर अवमानना नोटिस जारी किया था। इस नोटिस के जवाब में राजस्थान सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा ने कोर्ट को बताया कि आरएसपीसीबी में स्वीकृत 808 पदों में से लगभग 70% पहले ही भरे जा चुके हैं।
वर्तमान में केवल 250 रिक्तियां शेष हैं, जिनमें से 175 पद प्रोन्नति के माध्यम से भरे जाने हैं। शिव मंगल शर्मा ने यह भी स्पष्ट किया कि एनसीआर क्षेत्र में राजस्थान के केवल पांच जिले शामिल हैं, और इन सभी जिलों में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड चार क्षेत्रीय अधिकारियों के साथ पूर्ण क्षमता पर कार्य कर रहा है।
न्यायालय ने राजस्थान सरकार की दलीलों पर विचार करते हुए प्रोन्नति के पदों को समयसीमा से छूट देने का फैसला किया, लेकिन प्रत्यक्ष भर्ती के रिक्त पदों को तीन माह के भीतर भरने का सख्त निर्देश दिया।
इसके अतिरिक्त, सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश को निर्देश दिया कि वे शपथपत्र दाखिल करें, जिसमें यह विस्तार से बताया जाए कि दीपावली के दौरान बढ़ने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं। दीपावली के समय वायु प्रदूषण में वृद्धि, विशेष रूप से पटाखों के उपयोग और अन्य पर्यावरणीय कारकों के कारण, एनसीआर क्षेत्र में एक गंभीर समस्या बन जाती है। कोर्ट ने इन राज्यों से ठोस उपायों की मांग की है ताकि प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित किया जा सके और जन स्वास्थ्य की रक्षा हो।
यह मामला एनसीआर में प्रदूषण की गंभीर स्थिति को देखते हुए विशेष महत्व रखता है। सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार इस बात पर जोर दिया है कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को पूरी क्षमता के साथ कार्य करना होगा ताकि पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रभावी कदम उठाए जा सकें। राजस्थान सरकार द्वारा किए गए प्रयासों को स्वीकार करते हुए कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि समयसीमा का पालन सुनिश्चित करना सभी संबंधित राज्यों की जिम्मेदारी है। इस मामले में अगली सुनवाई में कोर्ट इन राज्यों द्वारा उठाए गए कदमों की समीक्षा करेगा।
Updated on:
17 Sept 2025 06:00 pm
Published on:
17 Sept 2025 05:59 pm
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