Terror Funding NGO Kanpur कानपुर में टेरर फंडिंग को लेकर एजेंसियों की जांच में एनजीओ के नाम सामने आए हैं। जिनके माध्यम से बड़ा लेनदेन हुआ है। जांच एजेंसियों ने एनजीओ का रजिस्ट्रेशन कैंसिल करवा दिया है और अब संचालकों की तलाश कर रही है।
Terror Funding NGO Kanpur कानपुर में आतंकवादियों को फंडिंग देने के मामले में एनजीओ के नाम सामने आए हैं। जिनके बैंक अकाउंट से करोड़ों का लेनदेन हुआ है। यह सभी एनजीओ 10 साल पुराने हैं। जांच एजेंसी अब एनजीओ से संबंधित लोगों की तलाश कर रही है। जांच में यह भी पता चला है कि गैरकानूनी कार्य करने वाले बंद पड़े एनजीओ की जानकारी रजिस्ट्रेशन ऑफिस से करते हैं और उनकी फाइल निकलवा कर एनजीओ को सक्रिय कर देते हैं। एजेंसी की जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि पुराने एनजीओ के बैंक अकाउंट का भी इस्तेमाल किया जाता है। जिसके माध्यम से अवैध लेनदेन होता है।
उत्तर प्रदेश के कानपुर में जांच एजेंसियों को टेरर फंडिंग को लेकर बड़ी जानकारी हाथ लगी है। पुराने एनजीओ के माध्यम से टेरर फंडिंग की जाती है। इस मामले में जांच एजेंसी ने दो एनजीओ को चिन्हित किया है। दोनों 8 से 10 साल पुराने हैं। जिनके बैंक अकाउंट से करोड़ों का लेनदेन सामने आया है। जांच एजेंसी ने एनजीओ का रजिस्ट्रेशन कैंसिल करवा दिया है। अब संचालित करने वाले लोगों की तलाश में लगी है।
जांच एजेंसियों को दो बैंक अकाउंट की जानकारी हुई है। जिसमें पिछले 9 महीने से बड़ा लेनदेन हुआ है। इनमें से एक एनजीओ चकेरी थाना क्षेत्र के भाभा नगर निवासी युवक के नाम रजिस्टर्ड है। पता चला कि 2011 में कौमी एकता के नाम से एनजीओ का रजिस्ट्रेशन कराया गया था। लेकिन संचालक की मृत्यु के बाद एनजीओ का काम ठप हो गया। लेकिन बैंक अकाउंट अभी भी चल रहा है। इसी प्रकार का एक और एनजीओ जांच एजेंसियों के सामने आया है। जिसका रजिस्ट्रेशन 2009 में कराया गया था। 11 सदस्यों की एनजीओ में अधिकांश नोएडा के रहने वाले हैं। इस अकाउंट से भी बड़ी रकम का लेनदेन किया गया है।
सुरक्षा एजेंसी को जांच में पता चला कि गलत काम करने वाले बंद पड़े एनजीओ के विषय में जानकारी प्राप्त करते हैं और रजिस्ट्रेशन ऑफिस से संपर्क करके उनकी फाइलों को निकलवा लेते हैं। इसके बाद इनके बैंक अकाउंट को भी अपने नियंत्रण में ले लेते हैं। जिसके माध्यम से गैर कानूनी लेन-देन किया जाता है। इस प्रकार के दो अकाउंट सामने आए हैं। बंद पड़े एनजीओ को दोबारा शुरू करा लेते हैं। बैंक अकाउंट को भी जुगाड़ से अपने नियंत्रण में ले लेते हैं। गैर कानूनी कार्य करने वाले ऐसे एनजीओ को प्राथमिकता देते हैं जिनके संचालक की मौत हो चुकी हो। उल्लेखनीय है कि समिति के जिम्मेदार सदस्यों के मरने के बाद भी बैंक अकाउंट चलता रहता है। इस तरह के अब तक दो एनजीओ सामने आए हैं।