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जज बनने का सपना और फिर गायब होने तक, बड़ी फिल्मी है अर्चना तिवारी की कहानी

Archana Tiwari Case: अर्चना तिवारी खुद वकील, पुलिस को सुनाई इंदौर से नेपाल तक अपने मिसिंग मिशन की पूरी प्लानिंग, उड़ा दिए होश...

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Aug 21, 2025
Archana Tiwari Case(Photo: Social Media)

Archana Tiwari Case: अर्चना तिवारी 13 दिन बाद सकुशल मिल गई, लेकिन इन 13 दिनों में अर्चना ने पूरे मीडिया का ध्यान अपनी ओर खींच लिया। पेशे से वकील और जज बनने की तैयारी कर रही अर्चना की गुमशुदगी की कहानी किसी मिस्ट्री फिल्म से कम नहीं है।

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ट्रेन से गुम हुई, पुलिस जंगल, नदी खंगालती रही

29 साल की अर्चना कटनी की रहने वाली हैं। नर्मदापुरम से ट्रेन से उतरने के बाद अर्चना गुम हो गई। और पुलिस उसे नदी, नाले और जंगल में खंगालती रही। नर्मदा नदी में पुलिस 32 किमी तक सर्च आपरेशन चलाया। कहीं वह नदी में बह तो नहीं गई, इसके लिए गोताखोरों को उतारा गया। 2000 से ज्यादा सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए। 13 दिन में सात शहर और दो देश नापने वाली अर्चना काफी महत्वाकांक्षी हैं। जज बनने की चाहत रखने वाली अर्चना कभी छात्र राजनीति में भी सक्रिय रही हैं।

सोचा था जीआरपी मिसिंग केस पर ध्यान नहीं देगी

किसी भी स्टेशन पर उतरने का सुबूत न मिलना और लोकेशन का अचानक गायब हो जाना, इनसे पुलिस हैरान थी। परिवार की शिकायत और एडवोकेट जैसा प्रोफाइल होने की वजह से पुलिस पर काफी दबाव था। मंगलवार 19 अगस्त को अर्चना ने काठमांडू से अपनी मां को फोन किया और सलामती की बात बताई। अर्चना तिवारी को लगा था कि जीआरपी मिसिंग केस पर इतना ध्यान नहीं देगी। लेकिन जब उसे पता चला कि सारांश पुलिस की गिरफ्त में है तो उसने अंतत: मां को फोन लगाया और पुलिस की सर्विलांस में आ गई।

पुलिस को गुमराह करती रही अर्चना

अर्चना ने पुलिस को गुमराह करने की खूब कोशिश की। इसीलिए ट्रेन में सामान छोड़ा, ताकि लगे कहीं गिर गई है। मोबाइल भी जंगल के पास बंद हुआ। इस बीच सारांश से वाट्सऐप कॉल पर बात करती रही। यात्रा के दौरान टोल को भी अवॉइड किया। शुजालपुर में नया मोबाइल खरीदा। इतने दिनों तक सारांश का मोबाइल भी एरोप्लेन मोड पर था। ताकि उसकी लोकेशन इंदौर दिखे। यानी दोनों ने मिलकर बहुत चालाकी से काम किया।

सारांश की पहचा नेपाल तक

सारांश ड्रोन स्टार्टअप चलाता है। उसकी पहचान नेपाल तक है। इसलिए दोनों नेपाल पहुंचे। इनका पहला मददगार बना सारांश का पूर्व ड्राइवर तेजिंदर। वो तेजिंदर ही था जिसने शुजालपुर होते हुए बुरहानपुर फिर हैदराबाद जाने की योजना अर्चना को सुझाई थी।

पुलिस के हाथ लंबे हैं…

अर्चना वकील है। इसलिए उसने सभी कानूनी पहलुओं को देखते हुए ही मिशन मिसिंग की प्लानिंग की थी। लेकिन शायद वह भूल गई कि पुलिस के हाथ लंबे होते हैं, इसलिए अंतत: पकड़ में आ ही गई। पुलिस ने सीडीआर यानी कॉल डाटा रेकॉर्ड और आइपीडीआर यानी इंटरनेट प्रोटोकॉल डाटा रेकॉर्ड की जांच की तब सारा भेद खुल गया।

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Updated on:
21 Aug 2025 10:04 am
Published on:
21 Aug 2025 10:01 am
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