राजस्थान में स्कूल भवन गिरने से कई बच्चों की मौत से सहमे परिजन, कटनी जिले में भी कभी भी बन सकता है भयावह परिदृश्य, शिक्षा विभाग की घोर लापरवाही से संकट और गहराया
कटनी. राजस्थान के झालवाड़ा में एक सरकारी स्कूल की छत ढही और कई मासूम बच्चों की लाशें मलबे में तब्दील हो गईं। देश स्तब्ध रह गया, लेकिन कटनी का शिक्षा महकमा अब भी सोया है। यहां हालात इससे अलग नहीं शहर से लेकर जिले के 500 से अधिक स्कूल भवन जर्जर और जानलेवा हैं, जिनमें हर रोज हजारों बच्चे अपनी जान हथेली पर रखकर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। स्कूलों के हालात साफ बयां कर रहे हैं कि जिले का शिक्षा विभाग, प्रशासनिक अफसर व जनप्रतिनिधियों सुरक्षा को लेकर कितने गंभीर हैं। मौत के साये के बीच नौनिहाल से लेकर बड़े बच्चे पढऩे को विवश हैं, लेकिन जिम्मेदार बेखबर हैं। प्रस्ताव, कार्ययोजना तक ही कार्रवाई सीमित है।
जिले में 97 स्कूल तो इतने जर्जर हैं कि वहां पढ़ाई ही नहीं हो पा रही, बच्चों को ग्राम पंचायत भवन, आंगनबाड़ी केंद्र या सामुदायिक भवनों में जैसे-तैसे ठूंस दिया गया है। और जो स्कूल अभी भी पुराने ढांचे में चल रहे हैं, वे किसी भी दिन बच्चों के लिए कभी भी खतरनाक खंडहर साबित हो सकते हैं। शहर के सिविल लाइन स्थिति स्कूल में पानी टपक रहा है, बिल्डिंग जर्जर है, बरगवां स्कूल में भी बिल्डिंग जर्जर है। कई स्कूलों हादसों को मुंहबाये हैं। गांवों की कई पाठशाला भी एकदम जर्जर हैं। कहीं प्लास्टर टूट रहा है तो कहीं बारजा, कहीं पानी भर रहा है तो कहीं पर असुरक्षा है, लेकिन शिक्षा विभाग के अफसर चैन की नींद में हैं।
हैरत की बात ये है कि अक्टूबर 2024 में 50 लाख रुपये स्कूल मरम्मत के नाम पर शिक्षा विभाग को मिले थे। लेकिन उस फंड का इस्तेमाल कैसे हुआ, किस स्कूल में कितना खर्च हुआ, इसका कोई अता-पता नहीं। थोड़ा बहुत खर्च कर बिलों में मरम्मत दिखाई गई। ऐसे में रकम के बंटवारे से इन्कार नहीं किया जा सकता। देवगांव स्कूल में लगभग 9 लाख रुपए से मरम्मत हुए है। जानकार बताते हैं कि ठीक से 9 हजार रुपए भी नहीं खर्च किए गए। हद तो तब हो गई जब शिक्षा विभागको अपे्रल माह में फिर 50 लाख आए, लेकिन चार महीने में प्रस्ताव तक नहीं बना।
जिले में 91 स्कूल ऐसे हैं जिनकी बिल्डिंग जर्जर है। बच्चों को बैठने की समस्या है। बारिश के कारण अलग लग रहे हैं या फिर जुगाड़ के भवनों में संचालित हो रहे हैं। ऐसे स्कूलों में अतिरिक्त कक्ष, नए भवन, मरम्मत के लिए कोई ठोस रणनीति नहीं बन पाई है। बच्चों की सुरक्षा के लिए यह निर्णय लिया गया है। निर्माण के लिए कार्ययोजना बनाई गई है, लेकिन अभी स्वीकृति नहीं मिली है।
ग्रामीण इलाकों में स्कूलों की हालत खराब है। ढीमरखेड़ा विकासखंड के अंतर्गत शासकीय प्राथमिक शाला धौरेशर में बच्चों की दर्ज संख्या 17 है। स्कूल में बरसात के दिनों में ज्यादा समस्या होती है। बारिश में कमरों में पानी टपक रहा है। सीपेज की गंभीर समस्या है। स्कूल की छत से छपाई टूटकर बच्चों और शिक्षकों के ऊपर गिर रही, बरसात होने पर बच्चों को बैठने के लिए परेशानी उठानी पड़ती है, लेकिन कोई भी जिम्मेदार ध्यान नहीं दे रहा।
ब्लॉक जर्जर स्कूल गिराने योग्य शिफ्ट स्कूल
कटनी 20 04 05
रीठी 55 34 31
विगढ़ 124 29 07
बड़वारा 182 25 08
बहोरीबंद 127 19 31
एसएस मरावी, जिला शिक्षा अधिकारी ने कहा कि कक्षा एक से लेकर 8 तक डीपीसी देखते हैं। हमारे पास कक्षा 9 से 12 तक हैं। स्कूल जो जर्जर हैं वहां कक्षाएं न लगें यह व्यवस्था सुनिश्चित करेंगे। हमारे पास जो बजट आया है, शीघ्र उनका प्रस्ताव तैयार कराकर मरम्मत कराएंगे। सभी बीआरसी स्कूलों का भ्रमण कर स्थिति का जायजा लेंगे। प्रस्ताव पर स्वीकृति मिलने के बाद आगे की कार्ययोजना तैयार कराई जाएगी।