नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग का अमला मच्छर जनित बीमारियों को रोकने के लिए नहीं दे रहा गंभीरता से ध्यान
कटनी. मच्छरों से बेहाल शहरवासियों को राहत दिलाने के लिए नगर निगम द्वारा खरीदी गई फॉगिंग मशीनें छह महीने बाद भी उपयोग में नहीं लाई गईं। लाखों रुपए की लागत से खरीदी गईं ये मशीनें नगर निगम परिसर में समग्र सेेंटर के बाजू से धूल फांक रही हैं, जबकि शहर के 54 वार्डों में मच्छरजनित रोगों का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है।
नगर निगम प्रशासन ने नवंबर-2024 में आधुनिक तकनीक वाली छह फॉगिंग मशीनें खरीदी थीं। ये मशीनें ई-रिक्शा पर आधारित हैं, जिससे उन्हें डीजल-पेट्रोल पर नहीं चलाना पड़ता और संचालन में लागत कम आती है। हर मशीन की कीमत करीब 4 लाख रुपये है। यानी कुल मिलाकर लगभग 24 लाख रुपए की राशि जनता के टैक्स से खर्च की गई।
लेकिन अफसोस की बात यह है कि ये मशीनें नगर निगम परिसर से बाहर नहीं निकलीं। छह महीने बाद भी इनका संचालन शुरू नहीं हुआ है। मौके पर जाकर देखने पर पता चला कि वहां अब केवल चार मशीनें मौजूद हैं। बाकी दो मशीनें कहां गईं, इसका कोई स्पष्ट उत्तर नगर निगम के पास नहीं है। कटनी नगर निगम की यह लापरवाही न केवल आर्थिक नुकसान है, बल्कि शहरवासियों के स्वास्थ्य के साथ भी खिलवाड़ है। जिस उद्देश्य से ये मशीनें खरीदी गई थीं, वह पूरी तरह विफल नजर आ रहा है। अब देखना होगा कि निगम प्रशासन कब जागता है और इन मशीनों को वाकई ज़मीन पर उतारता है या फिर ये यूं ही शोपीस बनी रहेंगी।
नगर निगम के पास पहले से कुछ हस्तचालित फॉगिंग मशीनें भी थीं, जिनका इस्तेमाल विशेषकर बारिश के बाद मच्छरों के प्रकोप को रोकने के लिए किया जाता था, लेकिन वर्तमान में उन मशीनों का भी कोई अता-पता नहीं है। उनका न तो इस्तेमाल हो रहा है और न ही रखरखाव की कोई व्यवस्था नजर आ रही है। ये मशीनें कबाड़ में पड़ी हैं।
शहर के विभिन्न वार्डों से मच्छरों की भरमार की शिकायतें लगातार मिल रही हैं। डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसे केस जिले में सामने आ चुके हैं। जिला अस्पताल में हर दिन एक हजार से अधिक की ओपीडी बीमारों होने वाले लोगों के आंकड़े बयां कर रहा है। मलेरिया, टायफाइड, डेंगू सहित कई रोगों के मरीज सरकारी और निजी अस्पतालों में लगातार पहुंच रहे हैं। इसके बावजूद नगर निगम की ओर से फॉगिंग या मच्छरनाशक दवाओं का कोई विशेष अभियान नहीं चलाया जा रहा।
जनता को सुविधा दिलाने के नाम पर विभागों के अफसर लाखों रुपए की फॉगिंग मशीनें, कीटनाशक सामग्री, डीजल-पेट्रोल आदि तो क्रय कराते हैं, लेकिन यह खेल सिर्फ कागजों में अधिकांश समय चलता है। शहर में मच्छरों के प्रकोप को कम करने कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। हैरानी की बात तो यह है कि विभागों की बेपरवाही पर जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों द्वारा भी ध्यान नहीं दिया जा रहा।
राजा जगवानी, माधवनगर ने कहा कि हमारे वार्ड में पिछले कई महीनों से कोई फॉगिंग नहीं हुई है। कई लोग बीमार पड़ चुके हैं। जब इतने पैसे की मशीनें खरीदी गईं तो फिर उनका उपयोग क्यों नहीं हो रहा। इसमें अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों को ध्यान देना चाहिए। विकास दुबे, तिलक कॉलेज ने कहा कि नगर निगम को जवाब देना चाहिए कि जब लाखों से से मशीनें खरीदी गईं तो चलवाई क्यों नहीं जा रहीं। साथ ही मशीनों को जल्द से जल्द वार्डों में भेजा जाए ताकि लोगों को राहत मिल सके। लापरवाही बरनते वाले कर्मचारियों पर कार्रवाई हो।
स्वास्थ्य विभाग का भी यही हाल है। लाखों रुपए कीमती की हस्तचलित फॉगिंग मशीनें खरीदी गई हैं। ब्लॉकों में भी सुविधा मुहैया कराई गई है। मलेरिया विभाग द्वारा इन मशीनों को शहर के वार्डों में चलाने, ग्रामीण इलाकों में कुआं कराने आदि को लेकर कोई पहल नहीं की जा रही। सिर्फ अभियान के समय रस्म अदायगी की जाती है। जब डेंगू, चिकनगुनिया, फाइलेरिया, मलेरिया आदि बीमारी फैलती हैं तभी फोटो सेशन चलता है। शेष समय भले ही मच्छरों का प्रकोप रहे, मच्छर जनित बीमारियां, बढ़ें, लेकिन मशीनों से धुआं नहीं कराया जा रहा है।
नीलेश दुबे आयुक्त ने कहा कि शहर में मच्छरों को खत्म करने करने के लिए मशीनें क्रय की गई हैं। उनका वार्डों में उपयोग शुरू हो, यह व्यवस्था जल्द सुनिश्चित की जाएगी। पुरानी मशीनों का भी उपयोग कराया जाएगा, ताकि मच्छरजनित बीमारियों को कम किया जा सके। डॉ. आरके अठया, सीएमएचओ ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा लगातार जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं। फॉगिंग मशीनों से धुआं भी काराया जाता है। जहां पर विशेष समस्या होगी वहां पर फिर मशीनें चलवाई जाएंगी। संबंधित विभाग से मशीनों की वास्तविक स्थिति की जानकारी जुटाई जाएगी।