
कटनी. लंबे समय से लाइसेंस नवीनीकरण की प्रतीक्षा कर रहे कटनी के दाल मिलर्स को राहत मिली है। हाईकोर्ट से आदेश प्राप्त होने के बावजूद शासन स्तर पर रिन्युअल प्रक्रिया लंबित पड़ी थी, जिससे उद्योग से जुड़े व्यापारियों में असंतोष की स्थिति बनी थी। व्यवसायियों ने इस संबंध में विधायक संदीप जायसवाल को समस्या बताई। मिलर्स की समस्या को गंभीरता से लेते हुए उन्होंने प्रमुख सचिव एम शैलवेन्द्रम से संपर्क कर उच्च न्यायालय के निर्देशों की जानकारी दी और विभागीय नोटिस को निरस्त किए जाने के आदेशों का हवाला दिया। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वसूली नहीं होने के आधार पर लाइसेंस नवीनीकरण रोकना न्यायालय के आदेशों के विपरीत है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए प्रमुख सचिव स्तर से तत्काल हस्तक्षेप किया गया और भोपाल मुख्यालय द्वारा दाल मिलर्स के लाइसेंस नवीनीकरण के आदेश जारी किए गए।
साथ ही, दाल उद्योग को और राहत देने की दिशा में प्रदेश के बाहर से दलहन मंगाने पर मंडी शुल्क में छूट से जुड़े आदेश भी जल्द जारी किए जाने की संभावना है। दाल मिलर्स संघ के अध्यक्ष संजय तीर्थानी ने कहा कि यह निर्णय व्यापारिक माहौल के लिए सकारात्मक संकेत है और इससे कटनी जिले का दाल उद्योग फिर से गति पकड़ सकेगा।
शहर की दाल मिलों में दाल बनाने के लिए दूसरे राज्यों से मंगवाए जाने वाले कच्चे माल में लगने वाले मंडी टैक्स ने मिल मालिकों को बाजार की प्रतिस्पर्धा में टिक पाना बड़ी मुश्किल साबित हो रहा है। 80 से 90 के दशक में कटनी शहर में 250 दाल मिलें संचालित हो रही थीं। इन मिलों में जिले सहित आसपास के जिलों से हजारों लोगों को रोजगार तो मिल ही रहा था साथ ही अन्य कई जिलों के बेरोजगार रोजगार से जुड़े थे। सरकार को भी करोड़ों रुपए के राजस्व की प्राप्ति हो रही थी, लेकिन दोहरे कर (टैक्स) की मार के कारण मिलें ठप हो चली हैं।
मई 2023 में 31 मार्च तक के लिए मंडी टैक्स में छूट मिली थी, लेकिन 1 अप्रेल 24 से फिर दोहरा टैक्स लग रहा है, जिसके कारण मिलें भी बंद होने की कगार पर पहुंचने लगी हैं। मैंडी टैक्स में छूट न मिलने के कारण कटनी में 35 मिलें तुअर रनिंग में हैं, लेकिन 50 से अधिक मिलें बंद पड़ी हैं, अन्य दाल मिलों का भी यही हाल है। इसकी मुख्य वजह है मिलर्स को मंडी टैक्स में छूट न मिलना। जानकर ताज्जुब होगा कि मिलर्स साल दर साल कटनी में मिलें बंद होती चली गईं और लोगों का रोजगार छिनता चला जा रहा है। कारोबारी किसी दूसरे काम की ओर रुख कर रहे हैं या फिर कुछ दूसरे प्रदेश में शिफ्ट हो रहे हैं। पूर्व में तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान, तत्कालीन कृषि मंडी कृषि कमल पटेल द्वारा मंडी टैक्स में छूट की घोषणा की गई थी, लेकिन विभाग के अफसर इस घोषणा पर पूरे समय के लिए अमल नहीं करा पाए। अब कारोबारियों को नई सरकार से राहत की उम्मीद है।
तुअर में मंडी टैक्स में छूट दिए जाने के लिए 25 मई को राजपत्र प्रकाशित किया गया था। क्रमांक/4/1/1/0003/2023-एसइसी-2-14(एजीआर) (पी-185386) मध्यप्रदेश कृषि उपज मंडी अधिनियम, 1972 (क्रमांक 24 सन 1973) की धारा 69 की उप-धारा (1) एवं (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों को प्रयोग में लाते हुए, इस विभाग की अधिसूचना क्रमांक डी-15-11-2005-चौदह-3, दिनांक 01 अगस्त, 2018 जिसका प्रकाशन मध्यप्रदेश राजपत्र में हुआ था, की शर्तों के अधीन, राज्य सरकार, एतद्द्वारा अधिसूचित कृषि उपज तुअर जो कि राज्य के बाहर से आयातित) मंडी क्षेत्र में स्थापित दाल मिलों में लाई गई हो, पर उक्त अधिनियम के अधीन देय मंडी फीस के भुगतान से पूर्णत: छूट प्रदान करती है। मंडी फीस के भुगतान से यह छूट इस अधिसूचना के मध्यप्रदेश ‘राजपत्र’ में प्रकाशन की दिनांक से 31 मार्च 2024 तक प्रवृत्त की गई थी।
जानकारी के अनुसार मिलर्स को दोहरा टैक्स लग रहा है। महाराष्ट्र से कच्चा माल लेने पर वहां पर भी मंडी टैक्स चुकाना पड़ रहा है और फिर जब यह माल मध्यप्रदेश आता है तो यहां पर भी टैक्स चुकाना पड़ता था। एक किलो उपज में एक रुपये 70 पैसे टैक्स दूसरे प्रदेश में और फिर एक रुपए 70 पैसे कटनी में भी टैक्स चुकाना पड़ रहा था। 24 साल से मिलर्स को यह समस्या हो रही थी। अब फिर मिलर्स के सामने वहीं पुरानी समस्या खड़ी हो गई है। मध्यप्रदेश में दाल के लिए कच्चा माल मंगवाने पर तो टैक्स लगता है, लेकिन दूसरे राज्यों से दाल मंगवाने पर किसी प्रकार का टैक्स नहीं है। इसका असर यह हुआ कि दाल बिक्री के डीलर बढ़ गए और दाल मिलों के बंद होने के कगार पर पहुंचने से यहां काम करने वाले कुशल श्रमिक और मजदूर बेरोजगारी की कगार पहुंच गए।
दाल मिलर्स का कहना है कि यदि बाहर से दलहन लाकर यहां मिलिंग की जाती है तो 10 हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा। अभी भी 5 से 6 हजार मजदूरों को काम मिला हुआ है। यदि यह विसंगति न रहे और मंडी टैक्स हटा दिया जाए तो कटनी देश का सबसे अधिक प्रोडक्शन करने वाला शहर हो जाएगा। टैक्स हटाने से कारोबार बूम पकड़ेगा। मिलर्स ने कहा कि इस मामले में जनप्रतिनिधि नहीं सुन रहे हैं। राहत देने के बाद फिर टैक्स थोपना कहां तक जायज है, जबकि किसी भी प्रदेश में ऐसा नहीं हो रहा।
Published on:
06 Apr 2025 07:41 pm
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