जलकुंभी, पूजन सामग्री व कचरा निकालकर दिया स्वच्छता का संदेश, साफ हो रहा घाट
कटनी. पत्रिका अमृतम जलम अभियान के तहत दूसरे दिन गुरुवार को भी कटनी नदी के मसुरहाघाट पर सफाई अभियान चलाया गया। इस अभियान का उद्देश्य नदी को निर्मल बनाना और जल स्रोतों के महत्व को जागरूक करना है। गुरुवार को बड़ी संख्या में लोग मसुरहा घाट पर एकत्र हुए और जलकुंभी, पूजन सामग्री, गंदगी व सिल्ट को हटाकर नदी को स्वच्छ बनाने में योगदान दिया। अभियान में शामिल लोगों ने मानव श्रृंखला बनाकर घाट की सफाई की। फावड़ा और तगाडिय़ों की मदद से कचरा एकत्र कर नदी से बाहर निकाला गया। यह श्रमदान पूरी तरह स्वस्फूर्त था, जिसमें लोगों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
नगर निगम भी घाट को सुंदर बनाने के लिए विशेष पहल कर रहा है। मसुरहा और मोहन घाट पर रिवर फ्रंट योजना के तहत पत्थरों से पिचिंग कराई जा रही है और घाट का गहरीकरण किया जा रहा है ताकि जलधारा स्वच्छ बनी रहे। साथ ही, सीवर ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण किया जा रहा है, जिससे गंदे नाले नदी में न मिलें।
इस अभियान में समाजसेवी मुकेश चंदेरिया, अधिवक्ता सुजीत द्विवेदी, महाकाल सरकार सेवा समिति से प्रदीप द्विवेदी, एमआर एसोसिएशन से शिव शंकर परोहा, आशीष शुक्ला, मलेरिया इंस्पेक्टर पीके महार, ओम साईं विजन ग्रुप से धनराज विश्वकर्मा, ऋषभ, शशि, मनीष, आदर्श, ज्योति, दीपाली, प्रवीण, रोहित, भरत, प्रकाश, निलेश, हिमांशु, कृष्णा, अमित सहित अन्य लोगों ने भाग लिया।
श्रमसाधकों ने कहा कि लोग पूजन सामग्री और अन्य कचरा नदी में डाल देते हैं। हमें अपनी सोच बदलनी होगी और जल स्रोतों का सम्मान करना होगा। साफ-सुथरी नदी न केवल पर्यावरण के लिए जरूरी है, बल्कि यह शहर की खूबसूरती भी बढ़ाती है। सभी को आगे आकर इस अभियान में भाग लेना चाहिए। इस तरह के श्रमदान कार्यक्रमों से लोगों में स्वच्छता के प्रति संवेदनशीलता बढ़ती है। हमें इसे केवल एक दिन का अभियान नहीं, बल्कि आदत बनाना होगा।
अभियान में पहुंचे मलेरिया इंस्पेक्टर पीके महार ने कहा कि कटनी नदी शहर की जीवनदायिनी है। उसकी सफाई और संरक्षण से जल स्तर बना रहेगा और पानी की गुणवत्ता सुधरेगी। नदी में जमी गंदगी, प्लास्टिक और जलकुंभी पानी की गुणवत्ता को नुकसान पहुंचाती हैं। सफाई अभियान से जलस्रोतों का संरक्षण होगा और जलीय जीवन को लाभ मिलेगा। यह अभियान लोगों को जल संसाधनों की महत्ता और उनकी रक्षा के प्रति संवेदनशील बनाता है, जिससे वे नदी को गंदा करने की प्रवृत्ति से बचें। सामूहिक श्रमदान से समाज में स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण की भावना मजबूत होती है। जब नागरिक स्वयं सफाई में भाग लेते हैं, तो उनमें नदी को स्वच्छ बनाए रखने की जिम्मेदारी का एहसास बढ़ता है। जब नदी साफ होगी, तो जलजनित रोगों का खतरा कम होगा और नागरिकों का स्वास्थ्य बेहतर रहेगा।
मसुरहा घाट में शुक्रवार सुबह 8 बजे से अमृतम जलम अभियान चलाया जाएगा। इस कार्यक्रम में विधायक, पार्षद, समाजसेवी, गणमान्य नागरिक, अभाविप, युवा कांग्रेस, भावरण ग्रुप, ओम साईं विजन सहित अन्य संगठनों की भागीदारी रहेगी। आप सभी इस भागीरथी प्रयास में शामिल होकर जीवनदायनी को संवारने में अपना श्रमदान करें।
नदी हमारी जीवनरेखा है। इसे स्वच्छ और संरक्षित रखना हमारी जिम्मेदारी है। यह अभियान जागरूकता और सहभागिता का बेहतरीन उदाहरण है।
मुकेश चंदेरिया, समाजसेवी।
कटनी नदी का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है। पत्रिका के साथ हम सभी को मिलकर इसे बचाने की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे।
सुजीत द्विवेदी, अधिवक्ता।
नदी में गंदगी जलजनित बीमारियों को जन्म देती है। इसके संरक्षण से न केवल पर्यावरण बल्कि जनस्वास्थ्य भी सुरक्षित रहेगा। पत्रिका का सराहनीय अभियान है।
आशीष शुक्ला, समाजसेवी।
समुदाय की भागीदारी से ही जल संरक्षण संभव है। पत्रिका की तरह के अभियानों को निरंतर चलाने की आवश्यकता है। सभी लोग इसमें भागीदार बनें।
दीपाली सिंह, ओम साईं विजन।
नदी हमारी सांस्कृतिक धरोहर है, इसे संवारना और स्वच्छ रखना हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। ऐसे अभियानों से समाज में जागरूकता आती है।
ज्योति सिंह, ओम साईं विजन।
पत्रिका का जल स्रोतों की सफाई का यह संदेश जिम्मेदारी को बताता है। हर नागरिक को इसमें योगदान देना चाहिए। नदी की स्वच्छता से पूरे शहर को लाभ मिलेगा।
शिव शंकर परोहा, एमआर एसोसिएशन।
नदी की स्वच्छता से जल स्तर भी बना रहेगा और आने वाली पीढिय़ों को शुद्ध जल मिल सकेगा। यह पहल लंबे समय तक जारी रहनी चाहिए।
प्रकाश राय, ओम साईं विजन।