जनपद पंचायत बड़वारा की 27 ग्राम पंचायतों में सीइओ व कार्यपालन यंत्री द्वारा दबाव डालकर कराया गया था काम, संभागायुक्त के यहां से होनी है दोषियों पर कार्रवाई
कटनी. ग्राम पंचायतों में भ्रष्टाचार हमेशा सुर्खियों में रहा है। पंचायत के सचिव, सरपंच, जीआरएस और इंजीनियर मिलकर खूब गड़बड़ी करते हैं, लेकिन जिले में एक ऐसा मामला सामने आया है जहां पर जनपद पंचायत के सीइओ व आरइएस के तत्कालीन कार्यपालन यंत्री के द्वारा दबाव डालकर 27 पंचायतों से नियमों को ताक में रखकर स्ट्रीट लाइटें लगवाई गईं। शासन द्वारा मामले में दोषी पाते हुए दागी सीइओ को जिले से तो हटा दिया गया, लेकिन लगभग 6 माह बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।
जानकारी के अनुसार लगभग एक साल पहले बड़वारा जनपद पंचायत क्षेत्र की 27 ग्राम पंचायतों में ढाई करोड़ रुपए से स्ट्रीट लाइट लगवाने का प्रस्ताव बनवाया गया। बड़वारा जनपद के तत्कालीन सीइओ केके पांडेय व आरइएस के इंजीनियर ने ग्राम पंचायतों पर दबाव डालकर स्ट्रीट लाइटें लगवाई गईं। लगवाई गई लाइटों की कीमत ढाई करोड़ रुपए थी। हैरानी की बात तो यह रही कि इसमें आरइएस ने नियम विरुद्ध तरीके से टीएस भी कर दिए, जिससे यह विभाग की जांच के घेरे में आया।
इस मामले की शिकायत जुलाई माह में तत्कालीन जिला पंचायत सीइओ शिशिर गेमावत के पास पहुंची। आनन-फानन में जनपद सीइओ केके पांडेय को मुख्यालय अटैच कर दिया गया था और यहां की कमान कटनी सीइओ प्रदीप सिंह को सौंपते हुए मामले की जांच शुरू कराई गई। 4 सदस्यीय टीम ने छह माह पहले मामले की जांच। इस जांच टीम में जिला पंचायत से अधिकारी मृगेंद्र सिंह, इ-एमइबी अमित सक्सेना, लेखापाल सत्येंद्र सोनी ने जांच की। जांच में टीम ने दोषी पाते हुए रिपोर्ट अगस्त माह में जिला पंचायत सीइओ को सौंप दी थी।
इस मामले में दागी सीइओ का दूसरे जिला तो स्थानांतरण हो गया, लेकिन अबतक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। जिला पंचायत से सीइओ, इइ को नोटिस भी जारी किए गए थे, कार्रवाई के लिए प्रस्ताव संभागायुक्त के पास भेजे जाने की बात अधिकारी कर रहे हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसमें इइ आरइएस पीएस खटीक सेवानिवृत्त हो चुके हैं। सूत्रों की मानें तो दोनों अधिकारियों को बचाने का प्रयास किया गया है। छह माह बाद भी दोषी पाए जाने पर कार्रवाई न होने सिस्टम पर सवाल खड़े कर रहा है।
जांच में यह तथ्य सामने आये थी कि जनपद सीइओ ने ग्राम पंचायतों में दबाव डालकर काम कराया गया था। इसमें ग्रामीण यांत्रिकी सेवा विभाग ने भी नियमों की अवहेलना की। नियम के अनुसार विद्युत विभाग से यह काम होना था, या फिर बिजली विभाग सुपरवीजन में होना था काम, लेकिन भ्रष्टाचार के चलते नियमों का पालन नहीं किया गया। पंचायतों में नियमों को ताक में रखकर काम कराया गया।
मझगवां, नन्हवारा कलां, सलैया सिहोरा, बड़ागांव, पथवारी, रुपौंध, बसाड़ी, सुड्डी, देवरी, बरमानी, लोहरवारा, बरन महागवां, अमाड़ी, भदौरा नंबर दो, परसवाड़ा कला, गणेशपुर बरगवां नंबर दो, लखाखेरा, कछारी, झरेला, भागनवारा, नन्हवारा सेझा ग्राम पंचायत में मनमानी की गई है।
इस पूरे मामले में जिन ग्राम पंचायतों ने मनमानी की है, उनके खिलाफ धारा 89 की भी कार्रवाई प्रस्तावित है। सभी से अंतर की राशि वसूल की जानी है। 27 ग्राम पंचायतों से लाखों रुपए लिए जाने हैं। जांच कमेटी ने यह पाया है कि यदि बिजली विभाग व एक्सपर्ट की निगरानी में लाइटें लगाई जाती हैं तो कम लागत आती, अब वहीं अंतर की राशि वसूल होनी है।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार 27 ग्राम पंचायतों के सरपंच-सचिवों ने जनपद सीइओ के दबाव में आकर लाइटें लगवाई हैं। ऐसा करने वाले सरपंच व सचिवों के खिलाफ भी अबतक कोई कार्रवाई नही हुई है। पूर्व के अफसरों ने मामले में गड़बड़ी पकड़ी और सीइओ को बड़वारा से तो हटा दिया, लेकिन अबतक जमीनी स्तर पर मनमानी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई। पूरी तरह से इस मामले में दोषियों को बचाने का प्रयास हो रहा, इसी के चलते 6 माह बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो पाई।
जिला पंचायत सीइओ को जांच टीम रिपोर्ट सौंपी थी। जांच रिपोर्ट में नियमों का उल्लंघन पाया गया है। कार्रवाई के लिए संभागायुक्त को पत्र लिखा गया है। दोषियों पर कार्रवाई वहीं से होनी है।