समाजसेवी संस्था सुदर्शना की संस्थापक समाज के लिए बनीं मिसाल, कमजोरी को बनाया ताकत, शिक्षा, स्वास्थ्य, आर्थिक, बौद्धिक सशक्तिकरण की पहल
कटनी. कहते हैं कि अगर मन में कर गुजरने का जज्बा हो तो कमजोरी भी ताकत बन जाती है। नई बस्ती निवासी सुश्री मीरा भार्गव इसकी जीती-जागती मिसाल हैं। 11 वर्ष की उम्र में वायरल बुखार के कारण उनके शरीर का गर्दन से नीचे का हिस्सा शून्य हो गया था। चिकित्सकों ने बचने की कम उम्मीद जताई, लेकिन ईश्वर की कृपा से वे पूरी तरह स्वस्थ हो गईं और हिम्मत के साथ जीवन में आगे बढ़ीं। आज 15 वर्षों से व्हीलचेयर पर रहने के बावजूद उन्होंने समाजसेवा के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई है। समाज में इनकी बतौर समाजसेवा छवि तो है साथ ही कवि व रचनाकार भी हैं। आज मीरा भार्गव कटनी में समाज सेवा और महिला सशक्तिकरण का प्रतीक हैं, जो अपने संगठन के माध्यम से निरंतर समाज में सकारात्मक बदलाव ला रही हैं।
मीरा भार्गव ने सुदर्शन लेडीज क्लब कटनी (सुदर्शना महिला बाल विकास शिक्षा समिति) की स्थापना की जो 1 दिसंबर 1995 से निरंतर महिला सशक्तिकरण, शिक्षा और समाजसेवा के क्षेत्र में काम कर रहा है। इस संगठन में वर्तमान में 150 महिला सदस्य सक्रिय हैं। जो समाजसेवा में हाथ बंटा रही हैं। संगठन ने पिछले 30 वर्षों में 65 जरुरतमंद बेटियों का विवाह, सैकड़ों महिलाओं को आर्थिक मदद और स्वास्थ्य उपचार उपलब्ध कराकर जीवन संवारने में मदद की। इस वर्ष पांच गरीब बेटियों की शादी में सहायता की गई। कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से जूझ रही महिलाओं का ऑपरेशन कर जीवन बचाने में संगठन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
सुदर्शना महिला बाल विकास शिक्षा समिति ने 250 से अधिक बेटियों को नि:शुल्क शिक्षा, स्वास्थ्य शिविर और देखभाल प्रदान कराई। संगठन द्वारा बेटियों के व्यक्तित्व विकास के लिए विभिन्न प्रशिक्षण और प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। मीरा भार्गव ने 60 से अधिक कोर्स शुरू किए, जिनमें सिलाई, कढ़ाई, बुनाई, योगा, एरोबिक्स, नृत्य, संगीत, पेंटिंग, हैंडवर्क, ड्राइंग, कुकिंग आदि शामिल हैं। हजारों बेटियों को इन गतिविधियों के माध्यम से मानसिक, शारीरिक और बौद्धिक रूप से सशक्त बनाने का काम किया गया।
मीरा भार्गव को उनके समाजसेवा कार्य और महिला सशक्तिकरण की दिशा में योगदान के लिए 2017 में मुख्यमंत्री के द्वारा विशेष सम्मान दिया गया। राज्य महिला आयोग द्वारा सम्मान, इसके अलावा राज्य और जिला स्तर पर भी उन्हें समाजसेवा और महिला उत्थान के क्षेत्र में सम्मानित किया गया। इसके अलावा इनको विद्यावाचस्पति सम्मान, साहित्य रत्न, श्रेष्ठ समीक्षक, दोहा श्रेष्ठ, अटल ज्योति गौरव, जिज्ञासा गौरव, साहित्य साधक सहित कई सम्मान प्राप्त हो चुके हैं।
मीरा के जीवन में भले ही संघर्षों का पहाड़ है, लेकिन सेवा प्रकल्पों की कहानी प्रेरणादायक है। 11 वर्ष की उम्र में गंभीर बुखार से उबरने के बाद उन्होंने पढ़ाई जारी रखी और एमए (सामाजिक शास्त्र), विद्या वाचस्पति, हिंदी साहित्य विशारद जैसी उच्च शिक्षा हासिल की। नौकरी की पेशकश होने के बावजूद उन्होंने समाजसेवा को चुना। मीरा का मानना है कि लोगों को सिर्फ शरीर से नहीं, बल्कि दिमाग और हिम्मत से भी काम किया जा सकता है। उन्होंने महिलाओं के लिए हेल्थ सेंटर शुरू किया और शारीरिक, मानसिक तथा आध्यात्मिक रूप से महिलाओं को सशक्त बनाने का कार्य शुरू किया।