Vegetable Prices: लोकल बाड़ी से सब्जियों की सप्लाई होने में अभी और समय लगेगा। ऐसे में फिरहाल कीमतों में गिरावट का कोई आसार नहीं है। सब्जी की कीमतों पर मांग और पूर्ति की नियम लागू होते हैं।
Vegetable Prices: लोकल बाड़ियों से सब्जियों की सप्लाई इन दिनों नहीं के बराबर है। इसके चलते सब्जियों की कीमत बढ़ने लगी है। सब्जी व्यापारियों ने बताया कि इन दिनों लगातार बारिश व लोकल बाड़ियों से आवक कम होने के कारण सभी प्रकार के सब्जियों के दाम बढ़ने लगे हैं।
लोकल बाड़ी से सब्जियों की सप्लाई होने में अभी और समय लगेगा। ऐसे में फिरहाल कीमतों में गिरावट का कोई आसार नहीं है। सब्जी की कीमतों पर मांग और पूर्ति की नियम लागू होते हैं। जैसे ही सप्लाई कम होते हैं कीमत बढ़ जाती है और सप्लाई ज्यादा होते ही कीमतों में गिरावट आने लगती है। लोकल बाड़ी से आने वाले सब्जी पूर्व की अपेक्षा कम होने लगी, जिसके कारण दाम बढ़ने लगा है। हरी सब्जियों की कीमत सुन उपभोक्ताओं की पसीने छूट रहे हैं। गोभी, करेला की कीमत 80 रुपए किलो पहुंच चुका है।
वहीं टमाटर 30 से 40 रुपए किलो बिक रहा है। प्याज फिर से रुलाने के लिए आतुर है। केवल लौकी को छोड़ दे तो ऐसी कोई भी सब्जी नहीं है, जो 40 रुपए से कम दाम पर बिक रही है। थोक सब्जी विक्रेता आनंद कुर्रे ने बताया कि कवर्धा तालपुर में प्रतिदिन लोकल व बाहर से सब्जियां आती है। लगातार बारिश से आवक व सब्जियों का उत्पादन प्रभावित हुआ। बारिश के बाद मौसम साफ होते ही 10 से 15 दिनों बाद सब्जियों के दाम में गिरावट आएगी।
हरी की बजाय सूखी सब्जी से काम चला रहे
थैलाभर सब्जियां खरीदना मुश्किल है। एक माह पूर्व तक सब्जियों के भाव में कमी देखी जा रही थी। इसलिए 100 से 200 रुपए में दो-तीन दिन की सब्जी मिल जाती थी। अभी सब्जियों के भाव आसमान पर हैं, इसलिए 500 रुपए में भी पर्याप्त सब्जियां नहीं मिल पा रहीं हैं। मतलब समझिए कि हरी सब्जी फिर से थाली से गायब हो रहे हैं। इसकी जगह सूखी सब्जी से काम चलाया जा रहा है। यह हर घर के लिए बड़ी परेशानी का सबब है।