Yellow frogs: पहली बारिश में आते हैं पानी की सतह पर, बदलते हैं रंग, सालभर रहते हैं जमीन के अंदर, देखने के लिए लोगों की लगी भीड़
Yellow frogs: आकर्षण की प्रवृत्ति केवल मानव तक सीमित नहीं। सुंदर दिखने का चस्का जीव मात्र है। इसके ताजा नजारे भीकनगांव के झिरन्या रोड राठौर कॉलोनी में स्थित तालाब में देखे जा सकते हैं। यह तालाब उन इंडियन बुल फ्रॉग (मेंढक) का ठिकाना है जो मूलत: पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, यांमार के निवासी है।
सालभर यह मेंढक तालाब के अंदर रहते हैं, पहली बारिश होते ही पानी की सतह पर आते हैं। यहां मादा मेंढकों को रिझाने व प्रजनन के लिए अपना रंग चटक पीला कर लेते हैं। रविवार रात को हुई जोरदार बारिश के बाद सोमवार की सुबह ऐसे ही पीले मेंढकों का समूह तालाब में नजर आया। दूर से देखने पर यह मेंढक सूरजमूखी के फूलों की तरह दिखे। यह मेंढक आकार में सामान्य से बढ़े हैं। सोमवार को इन पीले मेंढकों को देखने के लिए लोगों की भीड़ लगी।
भीकनगांव कॉलेज के जीवविज्ञान के प्रो. कन्हैयासिंह ने बताया यह एक यूनिक नेचुरल फेनोमेना है। इस तरह के पीले रंग के मेंढक को इंडियन बुल फ्रॉग कहा जाता है। यह नर मेंढक हैं जो बिलों में रहते हैं। अच्छी बारिश पर बाहर निकलते हैं। इनका यह स्वभाव रहता है कि ये मादा मेंढक को आकर्षित करने के लिए रंग बदलते हैं। मेटिंग, संसर्ग के बाद इन्डियन बुल फ्रॉग यानी पीले रंग के मेंढक का रंग सामान्य हो जाता है।
-यह भारत का सबसे बड़ा मेंढक है।
-इसकी लंबाई 17 सेंटीमीटर तक हो सकती है।
-इन पर बाघ जैसी धारियां होती हैं।
-इनका रंग गहरे भूरे से लेकर जैतून के हरे रंग जैसा हो सकता है।
-थूथन की नोक से वेंट तक एक विशिष्ट रेखा से पहचाना जा सकता है।