कोलकाता

पश्चिम बंगाल में जंगलमहल की जंग – अधिकारी और बनर्जी दो परिवारों के बीच वर्चस्व की लड़ाई

कोलकाता. पश्चिम बंगाल के कुछ जिलों को मिलकार बना जंगलमहल में राजनीतिक जंग शुरू हो गई है। यह जंग इस बार नंदीग्राम से भी बड़ी है। इस बार पार्टियां नहीं बल्कि दो परिवारों के बीच वर्चस्व की लड़ाई है। एक है अधिकारी परिवार और दूसरा मुख्यमंत्री का बनर्जी परिवार। अधिकारी परिवार का नेतृत्व शिशिर अधिकारी और उनके पुत्र शुभेंदु अधिकारी कर रहे हैं। बनर्जी परिवार के नेतृत्व की कमान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और अभिषेक के पास है।

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Battle of Jangalmahal in West Bengal - Battle of supremacy between two families Adhikari and Banerjee

-अधिकारी और बनर्जी परिवार आमने-सामने, आठ सीटों पर मतदान 25 को

जो जीतेगा वही सिकंदर, अभी दोनों जंगलमहल का राजा साबित करने में जुटे

केडी पार्थ

कोलकाता. पश्चिम बंगाल के कुछ जिलों को मिलकार बना जंगलमहल में राजनीतिक जंग शुरू हो गई है। यह जंग इस बार नंदीग्राम से भी बड़ी है। इस बार पार्टियां नहीं बल्कि दो परिवारों के बीच वर्चस्व की लड़ाई है। एक है अधिकारी परिवार और दूसरा मुख्यमंत्री का बनर्जी परिवार। अधिकारी परिवार का नेतृत्व शिशिर अधिकारी और उनके पुत्र शुभेंदु अधिकारी कर रहे हैं। बनर्जी परिवार के नेतृत्व की कमान मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और अभिषेक के पास है।
यह लोकसभा चुनाव जंगलमहल के लिए बहुत खास होने वाला है। अधिकारी और बनर्जी दोनों ही परिवार फिलहाल बंगाल की राजनीति के केंद्र में हैं। यहां की आठ लोकसभा सीटों पर 25 मई को मतदान होगा। यहां से जो जीतेगा, वही सिकंदर होगा। चुनौती ज्यादातर अधिकारी परिवार को है। इसलिए यह माना जा रहा है कि अधिकारी परिवार इन आठ सीटों पर अपना दबदबा कायम रखने के लिए हर हाल में इन्हें जीतना चाहेगा। यही कारण है कि अधिकारी परिवार ने पूरी ताकत झोंक दी है।

इस बार सिर्फ कांथी में परिवार

अब तक कांथी और तमलुक सीटों पर अधिकारी परिवार के सदस्य ही उम्मीदवार होते थे। भाजपा ने इस बार कांथी से शिशिर अधिकारी के मझले पुत्र सौमेंदु अधिकारी को टिकट दिया, जबकि तमलुक से पूर्व जज अभिजीत बनर्जी मैदान में हैं। पिछले कई टर्म से कांथी और तमलुक संसदीय सीट अधिकारी परिवार के पास ही रही हैं।

पहले बेहतर थे दोनों परिवारों में रिश्ते

2021 विधानसभा चुनाव से पहले दोनों परिवारों का आपसी तालमेल बहुत अच्छा था। शुभेंदु के भाजपा में जाते ही रिश्ते में भी खटास आ गई। इसके बाद अधिकारी परिवार ममता बनर्जी के निशाने पर आ गया। जंगलमहल में प्रचार के जोर पकड़ते ही ममता ने अधिकारी परिवार पर तीखे हमले शुरू कर दिए हैं। भतीजे अभिषेक भी ममता का साथ दे रहे हैं।

जंगलमहल में जड़ जमाने का दावा

अधिकारी परिवार का दावा है कि उनकी वजह से ही जंगलमहल में तृणमूल अपनी जड़ें जमा पाई। शुभेंदु ने नंदीग्राम और नेताई हत्याकांड का नेतृत्व किया जो ममता बनर्जी के लिए टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ।

छत्रधर महतो ने निभाई थी प्रमुख भूमिका

अधिकारी परिवार के दावे को झूठा करार देते हुए ममता बनर्जी का कहना है कि वह पहली बार आदिवासी नेता छत्रधर महतो के साथ जंगलमहल में आईं। मालूम हो ममता के सत्ता में आने से पहले ही वाममोर्चा सरकार ने छत्रधर महतो को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया था। छत्रधर को माओवादी नेता किशनजी का जंगलमहल में खास आदमी माना जाता था।

इन जिलों को मिलाकर बना है जंगलमहल

पश्चिम बंगाल के पश्चिमी मेदिनीपुर, झाडग़्राम, पुरुलिया और बांकुड़ा जिले को आम बोलचाल की भाषा में जंगलमहल कहा जाता है। माओवादी गतिविधियों के कारण जंगलमहल देश में चर्चित हो गया। इन जिलों के तहत आठ लोकसभा सीटें तमलुक, कांथी, घटाल, झाडग़्राम, मेदिनीपुर, पुरुलिया, बांकुड़ा और विष्णुपुर हैं। इन सीटों पर 25 मई को मतदान है।

अधिकारी परिवार का एकक्षेत्र राज

जंगलमहल पर 2009 से 2021 तक अधिकारी परिवार का एकक्षेत्र राज रहा। कांथी और तमलुक दोनों लोकसभा सीटें इस परिवार के पास ही रहीं। कांथी से शिशिर अधिकारी 2009 से 2021 तक तृणमूल के सांसद रहे। तमलुक से कभी शुभेंदु अधिकारी तो कभी उनके भाई सांसद रहे। यह पहला मौका है जब शिशिर या उनके पुत्र शुभेंदु अधिकारी यहां से चुनाव नहीं लड़ रहे। एक तरह से यह अधिकारी परिवार की सीटें मानी जा रही हैं, जिन्हें बनर्जी परिवार छीनना चाह रहा है।

नंदीग्राम से सुर्खियों में आए शुभेंदु

पिछले विधानसभा चुनाव (2021) में नंदीग्राम से ममता बनर्जी को हराकर भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी पहली बार सुर्खियों में आए। हालांकि ममता ने गड़बड़ी का आरोप लगाया था। मामला अब तक हाईकोर्ट में चल रहा है। उसके बाद से ही दोनों परिवार राजनीतिक जमीन बचाने और छीनने की जुगत में लगे हैं।

Published on:
22 May 2024 07:14 pm
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