Rajasthan: राजस्थान के किसान इन दिनों मंडियों में कम दाम पर अपनी सरसों की उपज बेचने को मजबूर हैं। जानिए इसके पीछे की वजह?
कोटा/सांगोद। मार्च माह बीतने को है, लेकिन सरसों की सरकारी खरीद शुरू होने का किसानों का इंतजार अब भी अधूरा है। समर्थन मूल्य पर सरसों की खरीद शुरू नहीं होने से किसान मंडियों में कम दाम पर अपनी उपज बेचने को मजबूर हैं। इन दिनों सरसों की कटाई जोर शोर से चल रही है।
उपज तैयार होने के बाद किसान पैसों की जरूरत पर उपज को मंडियों में बेचने ले जा रहे हैं। लेकिन यहां समर्थन मूल्य से कम भाव पर किसानों को अपनी सरसों की उपज बेचनी पड़ रही हैं। किसान सरसों की खरीद शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं।
गत वर्ष 15 मार्च से यहां क्रय विक्रय सहकारी समिति की ओर से सरसों व चने की समर्थन मूल्य पर खरीद शुरू हो गई थी। इस साल मार्च माह बीतने को है, लेकिन खरीद को लेकर कोई तैयारी नहीं दिख रही। उल्लेखनीय है कि इन दिनों मंडियों में सरसों की आवक हो रही है। फसल कटाई के बाद किसान सीधे सरसों की उपज को तैयार कर बेचने के लिए मंडियों में ले जा रहे है। कई किसान समर्थन मूल्य पर खरीद शुरू होने का इंतजार भी कर रहे हैं।
सरकारी स्तर से भी अभी तक सरसों की खरीद को लेकर कोई दिशा निर्देश जारी नहीं किए गए। खरीद तिथि तय होना तो दूर पंजीयन प्रक्रिया को लेकर तक कोई जानकारी किसानों को नहीं है। किसानों का कहना हैं कि जब तक सरकार खरीद शुरू करेगी तब तक आधी से ज्यादा उपज बाजारों में बिक जाएगी। इस स्थिति में समर्थन मूल्य पर खरीद शुरू करना सिर्फ किसानों के लिए छलावा साबित होगा।
किसानों की माने तो सरसों का समर्थन मूल्य साल 2025-26 के लिए 5,950 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया है। यह साल 2024-25 के मुकाबले 300 रुपए ज्यादा है। साल 2024-25 में सरसों का समर्थन मूल्य 5,650 रुपए प्रति क्विंटल था। मौजूदा समय में सरसों का बाजार भाव उच्च क्वालिटी में 52 सौ से 55 सौ रुपए प्रति क्विंटल तक चल रहा है। इस लिहाज से किसानों को पांच से सात सौ रुपए प्रति क्विंटल का नुकसान है।
सरसों की समर्थन मूल्य खरीद सरकार को 15 मार्च से ही शुरू कर देनी चाहिए। अभी तक सरसों की समर्थन मूल्य पर खरीद शुरू नहीं हुई। किसान बाजार में कम दाम पर अपनी उपज बेचने को मजबूर है।
-लालचंद शर्मा, तहसील अध्यक्ष, भा.कि.संघ
समर्थन मूल्य पर खरीद शुरू नहीं होने से किसानों को नुकसान हो रहा है। सरकार समर्थन मूल्य खरीद के नाम पर सिर्फ किसानों को गुमराह कर रही है। जब तक खरीद शुरू होगी तब तक तो आधी से ज्यादा उपज कम दाम पर बिक जाएगी।
-रामभरोस मेहता, किसान