Indian Railway: कोटा-नागदा रेल खंड पर स्लीपर वंदे भारत ट्रेन का 180 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से सफल ट्रायल किया गया, जिसमें 900 टन भार के बावजूद इंजन में रखा पानी का गिलास नहीं छलका।
Sleeper Vande Bharat Train Trial: भारतीय रेलवे के इतिहास में एक और सुनहरा अध्याय जुड़ गया है। कोटा-नागदा रेल खंड पर मंगलवार को स्लीपर वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन का तीसरे दिन हाई-स्पीड ट्रायल सफलतापूर्वक पूरा किया गया। इस दौरान ट्रेन ने 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार हासिल की। यह ट्रायल सवाई माधोपुर-कोटा-नागदा सेक्शन पर किया गया जो देश के सबसे महत्वपूर्ण और व्यस्त रेल मार्गों में से एक है।
ट्रायल के दौरान ट्रेन की स्थिरता और कंपन स्तर की जांच के लिए एक अनोखा प्रयोग किया गया। इंजीनियरों ने ट्रेन के इंजन में पानी से भरा एक गिलास रखा ताकि यह देखा जा सके कि इतनी तेज गति पर ट्रेन में कंपन किस स्तर तक होता है। नतीजा चौंकाने वाला रहा 180 किमी प्रति घंटे की रफ्तार पर भी गिलास से एक बूंद पानी नहीं छलका।
ट्रायल के दौरान ट्रेन में लगभग 900 टन से अधिक भार जोड़ा गया था ताकि वास्तविक परिस्थितियों में इसके प्रदर्शन का आकलन किया जा सके। यह परीक्षण RDSO की निगरानी में किया गया। इस ट्रायल का उद्देश्य ट्रेन की स्पीड, ब्रेकिंग, स्थिरता और ट्रैक की क्षमता की जांच करना था।
इस हाई-स्पीड ट्रायल में आरडीएसओ के निदेशक राधेश्याम तिवारी, मुख्य लोको निरीक्षक रामनिवास मीणा, यातायात निरीक्षक संदीप दुबे, लोको पायलट पंचम सिंह, अभिनंद त्रिगुनायक, राजेश भाटजीवाल, पीके जैन और ट्रेन प्रबंधक धर्मेन्द्र सैनी सहित कई तकनीकी विशेषज्ञ मौजूद रहे।
वंदे भारत ट्रेन का यह नया स्लीपर वर्जन लंबी दूरी की यात्राओं के लिए तैयार किया गया है। अब यात्री हाई-स्पीड के साथ-साथ आरामदायक नींद का भी आनंद उठा सकेंगे। स्लीपर कोच में आधुनिक सुविधाएं, नॉइज़ कंट्रोल तकनीक और बेहतर एयर सस्पेंशन सिस्टम लगाए गए हैं।
यह ट्रायल अभियान 17 नवंबर तक जारी रहेगा। आने वाले दिनों में अलग-अलग रफ्तार और परिस्थितियों में ट्रेन की टेस्टिंग की जाएगी। सफल परीक्षणों के बाद उम्मीद की जा रही है की स्लीपर वंदे भारत ट्रेन को जल्द ही यात्रियों के लिए शुरू किया जाएगा।