अब कोचिंग सिटी डमी की जगह ओपन स्कूलिंग मॉडल के साथ फील्ड में उतरने को तैयार है। इसके लिए कुछ बड़े कोचिंग इंस्टीट्यूट ने तो विशेषज्ञों का पैनल तैयार कर नया डिपार्टमेंट भी बनाया है।
‘नो डमी स्कूलिंग’ कोचिंग सिटी कोटा की नई पंचलाइन है। सीबीएसई की सख्ती के बाद कोचिंग नगरी वैध ईको सिस्टम तैयार करने में जुटी है। ओपन स्कूलिंग मॉडल से न केवल स्टूडेंट्स को सही राह दिखाई जा रही है, बल्कि कोचिंग इंडस्ट्री भी इसमें अपने लिए ‘संजीवनी’ देख रही है, क्योंकि ‘डमी’ पर कोर्ट के सख्त रुख के बाद, देशभर से आने वाले स्टूडेंट्स के आंकड़े प्रभावित हुए हैं। हालांकि, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग (एनआइओएस) का विकल्प सालों से उपलब्ध था, लेकिन ‘डमी’ और ओपन स्कूलिंग को लेकर भ्रांतियों के कारण स्टूडेंट्स को यह ‘लीगल चॉइस’ नहीं मिल पा रही थी।
अब कोचिंग सिटी डमी की जगह ओपन स्कूलिंग मॉडल के साथ फील्ड में उतरने को तैयार है। इसके लिए कुछ बड़े कोचिंग इंस्टीट्यूट ने तो विशेषज्ञों का पैनल तैयार कर नया डिपार्टमेंट भी बनाया है। वे ओपन स्कूलिंग की पूरी आरएंडडी के बाद, देश के अलग-अलग शहरों में वर्कशॉप कर इसे ‘न्यू ऐज एजुकेशन’ के रूप में प्रमोट कर रहे हैं।
हर साल ओपन स्कूल से दर्जनों बच्चे जेईई एडवांस्ड क्रैक कर आइआइटी में दाखिला पा रहे हैं। वर्ष 2024 में एनआइओएस के 14 बच्चों को आइआइटी मिली थी। वहीं, राज्यों के ओपन स्कूल से भी 12 से ज्यादा बच्चों को आइआइटी में प्रवेश पाने में सफलता मिली। तेलंगाना ओपन स्कूल से तो हर साल कई बच्चे जेईई एडवांस्ड क्रैक करते हैं।
जहां डमी स्कूलिंग में बच्चा स्कूल नहीं जाकर भी 40 से 60 हजार की फीस दे रहा था, वहीं ओपन स्कूलिंग में यह फीस 10 हजार से भी कम है। इसमें स्टडी मैटेरियल भी शामिल हैं। कोचिंग के जरिए ‘होम स्कूलिंग’ करने वाली कई प्रतिभाएं एनआइओएस से पढ़ाई कर चुकी हैं। गौरतलब है कि वर्ष 2002 से पहले तक ओपन स्कूलिंग सीबीएसई के एक प्रोजेक्ट के रूप में थी, जो बाद में अलग से एनआइओएस बना दिया गया।
चाहे गूगल में सिलिकॉन डिजाइन वेरिफिकेशन इंजीनियर महादेव झा हो या फिर जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से मास्टर्स डिग्री करने वाले श्रीराम श्रीरंगन, ऐसी कई प्रतिभाएं ओपन स्कूलिंग से निकली हैं। जेईई एडवांस्ड 2017 में ऑल इंडिया रैंक 26 पाने वाले अर्जुन भरत भी एनआइओएस से पासआउट हैं। स्कूलिंग में लचीलापन और करियर-टारगेटेड स्टडी के लिए यह बेहतर विकल्प है।
अमित गुप्ता, एजुकेशन एक्सपर्ट, कोटा