Tallesh Ravan In The World: इस बार कोटा के रावण का पुतला दुनिया में सबसे ऊंचा था। इसे एशिया और इंडिया बुक ऑफ रेकॉर्ड में दर्ज किया गया।
Kota Dussehra Mela 2025: एशिया और इंडिया बुक ऑफ रेकॉर्ड टीम के प्रतिनिधि ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की मौजूदगी में मेला समिति अध्यक्ष विवेक राजवंशी को प्रमाण पत्र और मेडल सौंपा।
132 वें राष्ट्रीय दशहरा मेले में गुरुवार को कोटा के दशहरा मैदान में परम्परागत तरीके से 233 फीट रावण के पुतले का दहन हुआ। रिमोट से रावण के कुनबे का दहन किया गया। इस दौरान मेघनाद का पुतला तो 2 मिनट में ढेर हो गया लेकिन रावण का विशालकाय पुतला पूरा नहीं जल पाया। कुंभकर्ण भी आधा-अधूरा ही जला। बाद में हाइड्रोलिक मशीन से डीजल-पेट्रोल डालकर रावण को पूरा जलाने के प्रयास देर रात तक किए गए लेकिन सफलता नहीं मिली। इस बार कोटा के रावण का पुतला दुनिया में सबसे ऊंचा था। इसे एशिया और इंडिया बुक ऑफ रेकॉर्ड में दर्ज किया गया।
रावण के पुतले का दहन 8.40 बजे शुरू किया गया। शुरू में तो रावण के पुतले के दस सिरों में रिमोट से विस्फोट हुए। रिमोट से अन्य प्वाइंट्स पर भी धमाके किए गए। इससे रावण के पुतले में 7 मिनट तक तेजी से धमाके और आतिशबाजी चलती रही, लेकिन फिर ये धीमी पड़ गई। रात 8.50 होते-होते रावण के पुतले में से धमाके लगभग बंद हो गए और पुतले में से धुआं निकलता रहा। रावण के दोनों हाथ, मुंह, मुकुट, तलवार, छाती का आधा हिस्सा, पैर जलने से रह गए। लोकसभा अध्यक्ष और सीएम समूचे रावण दहन देखने के लिए मंच पर बैठे रहे, लेकिन देरी होने पर चले गए। इसके बाद दहन पूरा करने के लिए देर रात तक कड़ी मशक्कत करनी पड़ी, लेकिन पूरी सफलता नहीं मिली। रात साढ़े ग्यारह बजे बाद प्रयास भी बंद कर दिए गए।
8.37 बजे कुंभकरण के पुतले में रिमोट से सिर में लगे अनार को जलाया गया। अनार के बाद पुतले में सिर में चक्र चला और पुतले में आग लग गई। तेज धमाकों के साथ पुतले में आग फैली और तीन मिनट में 8.40 बजे पुतले का अधिकांश भाग जल गया, लेकिन पुतले का चेहरा, मुकुट और दायां हाथ पूरा नहीं जल सका। अधजला कुंभकरण सीना ताने मैदान में डटा रहा।
रावण के कुनबे का दहन गुरुवार शाम परम्परागत तरीके से पूर्व राजपरिवार के सदस्य और पूर्व सांसद इज्यराज सिंह द्वारा कलश का भेदन करने के बाद शुरू हुआ। सबसे पहले मेघनाद के पुतले में 8.35 बजे सिर में रिमोट से अनार चलाया गया। इसके बाद सिर में चक्र से पूरे पुतले में तेजी से आग फैल गई और तेज धमाकों के साथ लड़ियों और आतिशबाजी के साथ दो मिनट में 8.37 बजे पूरा पुतला जलकर नष्ट हो गया।