Excessive screen time Bad For Kidney Health: डिजिटल लाइफस्टाइल में लापरवाही आपकी किडनी को गंभीर नुकसान पहुंचा सकती है। जानिए कैसे मोबाइल-लैपटॉप की लत से बचकर किडनी को स्वस्थ रखा जा सकता है।
Excessive Screen Time Bad For Kidney: टेक्नोलॉजी की इस दुनिया में स्मार्टफोन, लैपटॉप और टैबलेट हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं। काम, पढ़ाई, एंटरटेनमेंट हो या फिर सोशल मीडिया हर चीज के लिए हम घंटों स्क्रीन के सामने बिताते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि यह स्क्रीन टाइम आपके शरीर खासकर आपकी किडनी पर क्या असर डाल रहा है? ज्यादा स्क्रीन टाइम न केवल आपकी आंखों और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है बल्कि यह आपकी किडनी को भी चुपके-चुपके नुकसान पहुंचा सकता है। आइए जानते हैं कि गैजेट्स हमारी किडनी को कैसे प्रभावित कर रहे हैं और इससे बचने के लिए डिजिटल डिटॉक्स क्यों जरूरी है।
औसतन लोग दिन में 6-10 घंटे स्क्रीन पर बिताते हैं। यह लंबा समय न केवल आंखों में थकान (डिजिटल आई स्ट्रेन) और गर्दन दर्द (टेक्स्ट नेक) का कारण बनता है बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से किडनी स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है।
किडनी हमारे शरीर का फिल्टर सिस्टम है जो खून से अपशिष्ट पदार्थ और अतिरिक्त पानी को बाहर निकालती है। लेकिन ज्यादा स्क्रीन टाइम से जुड़ी आदतें किडनी के लिए खतरा पैदा कर सकती हैं।
डिहाइड्रेशन - National Kidney Foundation के मुताबिक, कम पानी पीने से यूरिन गाढ़ा होता है जिससे किडनी स्टोन या यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (UTI) का जोखिम बढ़ता है। लंबे समय तक डिहाइड्रेशन क्रॉनिक किडनी डिजीज (CKD) को भी बढ़ावा दे सकता है।
सेडेंटरी लाइफस्टाइल - American Journal of Kidney Diseases की एक स्टडी के मुताबिक, लंबे समय तक बैठे रहने से ब्लड प्रेशर और डायबिटीज का खतरा बढ़ता है जो किडनी के लिए दो बड़े जोखिम कारक हैं।
ज्यादा नमक का सेवन - प्रोसेस्ड फूड और नमकीन स्नैक्स, जो स्क्रीन टाइम के दौरान आम हैं, किडनी पर दबाव डाल सकते हैं और ब्लड प्रेशर को बढ़ा सकते हैं।
डिजिटल डिटॉक्स का मतलब सिर्फ सोशल मीडिया से ब्रेक लेना नहीं है। यह एक ऐसा तरीका है जिससे आप स्क्रीन टाइम को कंट्रोल करके अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं।
इसके लिए आप कुछ आसान और प्रभावी टिप्स को फॉलो कर सकते हैं।
इसका जवाब है, हां! डिजिटल डिटॉक्स न केवल आपकी किडनी को स्वस्थ रखने में मदद करता है बल्कि यह आपके मानसिक स्वास्थ्य (तनाव और चिंता में कमी), शारीरिक स्वास्थ्य (बेहतर रक्त संचार), और प्रोडक्टिविटी को भी बढ़ाता है। एक अध्ययन (PubMed, 2024) के अनुसार, 8-सप्ताह के डिजिटल डिटॉक्स प्रोग्राम ने प्रतिभागियों में तनाव और थकान को कम किया और उनके समग्र स्वास्थ्य में सुधार नजर आया है।
अगर आपको बार-बार यूरिन इन्फेक्शन, कमर में दर्द, यूरिन में बदलाव (जैसे रंग या गंध), या अत्यधिक थकान जैसे लक्षण दिखें तो तुरंत नेफ्रोलॉजिस्ट से संपर्क करें। डिजिटल डिटॉक्स एक निवारक उपाय है लेकिन मौजूदा समस्याओं के लिए चिकित्सकीय सलाह जरूरी है।