लाइफस्टाइल

Treat Culture: क्यों Gen Z की जेब और दिमाग दोनों हो रहे हैं खाली

Treat Culture: Gen Z की जिंदगी में Treat Culture एक नया ट्रेंड बन चुका है। छोटे-छोटे ट्रीट्स जैसे कॉफी, शॉपिंग या बाहर खाना अब उनके लिए सेल्फ-केयर और मोटिवेशन का तरीका हैं।

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Aug 26, 2025
Treat Culture (photo- freepik)

Treat Culture: Gen Z का मूड जल्दी बदलता है और छोटे-छोटे अनुभव या इनाम उनके मूड को तुरंत प्रभावित कर सकते हैं। ऐसे में खुद को ट्रीट देना इनके लिए एक तरह का जादुई इलाज बन गया है। कोई छोटी जीत मिली, मूड खराब है या बस थोड़ा खुश होना है, तो तुरंत खुद को छोटा-सा गिफ्ट दे देते हैं। जैसे ऑफिस में टफ दिन झेल लिया? चलो कुकी खा लो और ओट मिल्क वाला फैंसी लाट्टे पी लो।

चार दिन लगातार जिम चले गए? तो अब शॉपिंग कार्ट में पड़े महंगे लिपस्टिक को खरीद ही लो। बेस्ट फ्रेंड से झगड़ा हो गया? तो क्यों न अपने फेवरेट रेस्टोरेंट से गरमा-गरम रामेन खा लिया जाए। यानी, ट्रीट कल्चर अब लाइफस्टाइल का हिस्सा बन चुका है। छोटे-छोटे पलों को सेलिब्रेट करने और लो मोमेंट्स में खुद को खुश करने का तरीका।

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क्यों बढ़ रहा है ये ट्रेंड?

साइकोलॉजिस्ट्स का कहना है कि ये सेल्फ-केयर का नया तरीका है। छोटे-छोटे इनाम हमें मोटिवेट करते हैं, मूड अच्छा करते हैं और जिंदगी में पॉजिटिविटी लाते हैं। पहले लोग तब तक मेहनत करते रहते थे जब तक थक न जाएं। अब Gen Z बीच-बीच में ही खुद को खुश करना पसंद करती है। लेकिन ये हमेशा सही नहीं है।

छुपे हुए नुकसान

एक-एक ट्रीट छोटा लगता है, लेकिन रोज-रोज करने से जेब ढीली हो जाती है। महंगाई और नौकरी की अनिश्चितता में ये और मुश्किल हो जाता है। फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स का कहना है कि अपनी इनकम का 5-20% हिस्सा fun fund के लिए रखो। पहले सेव करो, फिर खर्च करो।

साइकोलॉजिकल असर

  • ट्रीट लेने से तात्कालिक खुशी मिलती है, लेकिन असली इमोशनल प्रॉब्लम वहीं की वहीं रह जाती है।
  • सोशल मीडिया बार-बार नई-नई चीजों का लालच देकर इस कल्चर को और बढ़ावा देता है।
  • अगर सिर्फ शॉपिंग से ही मूड अच्छा करना सीख लिया, तो लंबी दौड़ में असली सेल्फ-केयर मिस हो जाती है।

हर ट्रीट पैसे से नहीं होती

एक्सपर्ट्स कहते हैं कि हमेशा पैसा खर्च करके ही खुश होना जरूरी नहीं। परिवार के लिए खाना बनाओ, ज़रूरतमंद को कपड़े दान करो, किसी को पढ़ने में मदद करो, बच्चों के साथ खेलो, पेड़ लगाओ, नेचर वॉक पर जाओ, किसी का दुख सुन लो ये सब चीजें हमें grounded भी करती हैं और अंदर से गहरी खुशी देती हैं।

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