Raw Vs Roasted Pumpkin Seeds: कद्दू के बीज सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं। इनका सेवन गर्मियों में भी लाभदायक होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कद्दू के बीज कच्चे या भुने हुए इनमें कौन-से अधिक फायदेमंद होते हैं? अगर नहीं, तो जानिए किसका सेवन अधिक लाभदायक है।
Raw Vs Roasted Pumpkin Seeds: कद्दू के बीज, जिन्हें 'Pumpkin Seeds' या 'Pepita' भी कहा जाता है, सेहत के लिए किसी सुपरफूड से कम नहीं हैं। इनमें प्रोटीन, हेल्दी फैट्स, फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट्स और कई जरूरी मिनरल्स जैसे जिंक, मैग्नीशियम, आयरन और पोटैशियम पाए जाते हैं। आजकल लोग इन बीजों को कच्चा या भूनकर दोनों ही तरीके से खाते हैं, लेकिन अक्सर यह सवाल उठता है कि कच्चे बीज सेहत के लिए ज्यादा फायदेमंद हैं या भुने हुए? चलिए जानते हैं दोनों के फायदों और फर्क के बारे में विस्तार से।
कच्चे बीज पोषण से भरपूर होते हैं क्योंकि इनमें कोई पोषण हानि नहीं होती।
इनमें मौजूद एंजाइम्स और न्यूट्रिएंट्स जैसे जिंक, मैग्नीशियम और हेल्दी फैट्स अपनी प्राकृतिक अवस्था में बने रहते हैं।
कच्चे बीज इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने, हॉर्मोन बैलेंस करने और दिल की सेहत सुधारने में मददगार होते हैं।
ये बीज पाचन में सहायक होते हैं क्योंकि इनमें नैचुरल फाइबर अच्छी मात्रा में होता है।
डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर कंट्रोल में भी सहायक माने जाते हैं।
भूनने से इनका स्वाद और कुरकुरापन बढ़ जाता है, जिससे इन्हें स्नैक के रूप में खाना आसान और मजेदार हो जाता है।
हल्के भूने हुए बीज भी पोषक तत्व प्रदान करते हैं, हालांकि बहुत ज्यादा तापमान पर भूनने से न्यूट्रिएंट्स कम हो सकते हैं।
भुने बीज में भी हेल्दी फैट्स, प्रोटीन और एंटीऑक्सीडेंट्स मिलते हैं, जो शरीर को एनर्जी देने और सूजन कम करने में मदद करते हैं।
अगर बीज को बिना ज्यादा तेल या नमक के हल्के से भुना जाए, तो वे सेहतमंद स्नैक बन सकते हैं।
इन्हें लंबे समय तक स्टोर करना आसान होता है और खराब होने की संभावना कम रहती है।
अगर आप पोषण की बात करें, तो कच्चे बीज ज्यादा फायदेमंद माने जाते हैं क्योंकि इनमें कोई न्यूट्रिएंट्स लॉस नहीं होता। लेकिन अगर स्वाद और क्रिस्पनेस पसंद करते हैं, तो हल्के भूने हुए बीज अच्छा विकल्प हैं। ध्यान रहे कि ज्यादा तेल, नमक या अत्यधिक तापमान पर भुने बीज हेल्थ के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं।
डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।