लखनऊ में अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती की पूर्व संध्या पर आयोजित काव्य पाठ कार्यक्रम में कवि कुमार विश्वास ने अपनी कविताओं और संस्मरणों से समां बांध दिया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मुख्य अतिथि रहे।
UP News: लखनऊ में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती की पूर्व संध्या पर एक विशेष एकल काव्य पाठ कार्यक्रम आयोजित हुआ। इस कार्यक्रम में प्रसिद्ध कवि कुमार विश्वास ने अपनी कविताओं और संस्मरणों से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। मुख्य अतिथि के रूप में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मौजूद थे। कुमार विश्वास के मजेदार किस्सों और गहरे विचारों से पूरा हॉल तालियों और हंसी से गूंज उठा। योगी जी और राजनाथ जी भी उनके बताए किस्सों पर ठहाके मारकर हंस पड़े।
कुमार विश्वास ने अटल जी की बहुत प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि अटल जी जैसे महान लोग किसी देश में सदी में एक बार ही जन्म लेते हैं। अटल जी ने भी कहा था कि पद बड़ा होना जरूरी नहीं, कद बड़ा होना जरूरी है। कुमार विश्वास ने बताया कि उन्होंने खुद यह देखा है। अटल जी का व्यक्तित्व इतना बड़ा था कि वे छोटी-छोटी बातों का बुरा नहीं मानते थे, बल्कि उदारता से सबको साथ लेते थे।
कुमार विश्वास ने एक पुराना मजेदार किस्सा सुनाया जो उनके कॉलेज के दिनों का है। वे बीए पहली साल में पढ़ते थे। उस समय लखनऊ के एक प्रसिद्ध पत्रकार शिवकुमार गोयल जी थे, जो राजनाथ सिंह जी से परिचित थे। अटल जी उस समय 'वंदे मातरम' पत्रिका में गोयल जी के साथ सह-संपादक थे। कुमार विश्वास और उनके साथियों ने एक कवि सम्मेलन 'सृजन महोत्सव' आयोजित किया। उन्होंने गोयल जी से कहा कि अटल जी को बुलवा दीजिए। उस समय अटल जी विपक्ष में थे और हाल में चुनाव हार गए थे। फिर भी वे कार्यक्रम में आने को राजी हो गए। कार्यक्रम के लिए पैसे जुटाने मुश्किल हो रहे थे। एक स्थानीय साड़ी व्यापारी उद्योगपति से उन्होंने 501 रुपये मदद मांगी। उस व्यापारी ने पैसे दिए, लेकिन शर्त रखी कि वह खुद मंच पर भाषण देगा। यह थोड़ी मुश्किल स्थिति थी, लेकिन पैसे की जरूरत थी तो मान गए।
व्यापारी मंच पर खड़े हुए और बोले, "बस दो लाइन पढ़ूंगा।" फिर उन्होंने कहा, "आज अटल जी आए हैं, मैं यह दो पंक्तियां पढ़ना चाहता हूं। शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले…" यह पंक्ति शहीदों के लिए थी, लेकिन वे अटल जी के लिए कह रहे थे, जो जीवित थे। पूरा मंच उन्हें घूरने लगा। अटल जी जोर से हंस पड़े। उनकी हंसी से उस व्यक्ति का संकोच दूर हो गया और माहौल हल्का हो गया।
कुमार विश्वास ने आगे बताया कि जब भी वे अटल जी से मिलने जाते थे और प्रणाम करते थे (वे उन्हें बाप जी कहते थे), अटल जी अक्सर पूछते थे, "अरे भाई, उनके क्या हाल हैं जिन्होंने मुझे जीवित शहीद बना दिया था?" यह कहकर अटल जी उस व्यापारी का मजाक उड़ाते थे, लेकिन बिना बुरा मानें। यह दिखाता है कि अटल जी का कद कितना बड़ा था – वे किसी बात का बुरा नहीं मानते थे, बल्कि सदभावना से सबको अपनाते थे।
अंत में कुमार विश्वास ने कहा कि लखनऊ वालों का सौभाग्य है कि यहां से अटल बिहारी वाजपेयी जैसे महान व्यक्ति संसद में गए। अगर भारतीय राजनीति का एक विश्वविद्यालय है तो अटल जी उसके संस्थापक हैं। और वर्तमान में उनके सच्चे उत्तराधिकारी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जी हैं, जो उस विश्वविद्यालय के कुलपति जैसे हैं। यह सुनकर राजनाथ जी मुस्कुराए और तालियां बजीं।